डीयू के गांधी भवन में हुआ गांधी व टॉलस्टॉय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन 

By: Dilip Kumar
3/18/2024 5:36:52 PM
नई दिल्ली

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में बने गाँधी भवन द्वारा आयोजित अपनी व्याख्यान श्रृंखला के तहत "भारत के संविधान के 75 वर्ष - हमारा संविधान, हमारा सम्मान " और महात्मा गांधी की 155 वीं और लियो टॉलस्टॉय की 196 वीं जयंती के उपलक्ष्य में " गांधी व टॉलस्टॉय के विचार -- ए हिस्टोरिकल प्रॉस्पेक्टिव " पर एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया । व्याख्यान से पूर्व गाँधी भवन के निदेशक प्रोफेसर के.पी.सिंह ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 1966 में गाँधी भवन की स्थापना हुई थीं । इसका प्रमुख उद्देश्य प्रगतिशील , सामाजिक व शैक्षणिक स्तर पर गाँधी जी के सत्य , अहिंसा , सत्याग्रह और स्वच्छता के दर्शन को बढ़ावा देने तथा उनके विचारों को प्रसारित करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है । यही कारण है कि गाँधी भवन दिल्ली विश्वविद्यालय में ही नहीं बल्कि अपनी शैक्षणिक गतिविधियों के कारण अब पूरे देश में अपनी पहचान बना चुका है , इसलिए गाँधी जी के सत्य , अहिंसा का जीवंत केंद्र बन गया है । उन्होंने यह भी बताया कि यहाँ पर हर दिन अनेक विश्वविद्यालयों से शोधार्थी शोध संबंधी जानकारी प्राप्त करने आते हैं ।

यह कार्यक्रम गांधी भवन और रूसी दूतावास के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. बलराम पाणी , मुख्य वक्ता रुसी दूतावास की डॉ. गेलिना एलेक्सवेना एवं विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राम सिंह, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स थे । आए हुए अतिथियों ने कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया । गाँधी भवन के निदेशक प्रोफेसर के.पी. सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ व शॉल ओढ़ाकर किया । प्रोफेसर सिंह अपने स्वागत भाषण में भारत और रूस के शैक्षणिक व संस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए गांधी तथा टॉलस्टॉय के विश्व शांति व अहिंसा के लिए किये गए कार्यों की चर्चा की। उन्होंने इन दोनों महान विभूतियों द्वारा विश्व शांति, सदभाव , सत्य , अहिंसा और विश्व भाईचारे के लिए किए गए योगदान पर अपने विचार साझा किए।

डॉ. गेलिना ने अपने संबोधन में बताया कि टॉलस्टॉय व गाँधी दोनों ही आधुनिक विचारक व चिंतक थे । अपने समय की दोनों महान विभूतियाँ थीं जिन्हें सारा विश्व जानता है । उन्होंने न केवल टॉलस्टॉय के जीवन और कथा साहित्य से परिचय कराया बल्कि उनकी दार्शनिक घटनाओं से भी परिचय कराया। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी, लियो टॉलस्टॉय को अपना गुरु व मार्गदर्शक मानते थे तथा उनके द्वारा निर्धारित सिद्धांत व विचारों को अपने जीवन में उतारा । उनका कहना था कि लियो टॉलस्टॉय व गाँधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक है । वर्तमान पीढ़ी उनके विचारों से बहुत कुछ सीख सकती है ।

गांधी जी ने टॉलस्टॉय की पुस्तक " द किंगडम ऑफ गॉड इज विथ इन यू " पढ़ने के बाद उसे हमेशा अपने पास रखते थे। उनका यह भी कहना था कि यह वहीं पुस्तक जिसके कारण गांधी जी ने सत्य - अहिंसा के सिद्धांत की पुष्टि करने में मदद मिली । लियो टॉलस्टॉय ने बड़े गम्भीर और शांत वातावरण में इस पुस्तक को लिख समाज के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसकी प्रशंसा इसे पढ़ने पर हर पाठक करता है । उनके इन्हीं दार्शनिक कार्यों ने अतीत में अधिसंख्य लोगों को प्रेरित किया है इसलिए यह पुस्तक वर्तमान में तो प्रासंगिक है ही भविष्य में भी इसकी प्रासंगिकता बनी रहेगी । उनका व्याख्यान अत्यंत विचारपूर्ण व ज्ञानवर्धक था जिसकी सभी ने प्रशंसा की ।

गाँधी भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधार्थियों ने भाग लिया। प्रोफेसर आर.के. भट्ट , डॉ. हंसराज सुमन , डॉ.पिंकी शर्मा , डॉ.राज कुमार फलवारिया , डॉ.विनय कुमार , डॉ.आलोक कुमार , डॉ. मनोज कुमार , डॉ.सुनील कुमार , डॉ.मनीष कुमार , डॉ.राकेश कुमार आदि भी उपस्थित रहे । सवाल -जवाब का सेशन भी चला जिसमें बहुत से लोगों ने टॉलस्टॉय व गाँधी जी से संबंधित प्रश्न भी पूछे जिसका जवाब बड़ी कुशलता के साथ दिए । कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. गिरीश मुंजाल ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन गाँधी भवन के निदेशक प्रोफेसर के.पी. सिंह ने दिया ।


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