श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने दिल्ली के सुरजीत

By: Dilip Kumar
10/9/2024 10:24:57 PM
नई दिल्ली

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने दिल्ली के सुरजीत कुमार। सुरजीत इससे पहले दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष उसके बाद राष्ट्रीय महामंत्री के दायित्व का निर्वाह कर चुके हैं। वर्तमान में श्री गुरु रविदास मंदिर तुगलकाबाद ट्रस्ट के सचिव भी हैं, जो कि भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा संचालित है। सुरजीत के अध्यक्ष बनने पर श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ दिल्ली प्रांत के पदाधिकारियों में अति उत्साह और प्रसन्नता का माहौल है। दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष मनोज आजाद ने शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए सुरजीत को बधाई दी। उन्होंने कहा कुछ दिनों बाद एक बड़े कार्यक्रम या पीठ की बैठक में नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का अभिनंदन जोरों-शोरों से किया जाएगा। दिल्ली प्रांत के महामंत्री मनोज कैन ने भी सुरजीत जी को बधाई देते हुए कहा कि हम दिल्ली वालें बहुत गर्व का अनुभव कर रहे हैं जो हमें दिल्ली से सुरजीत जी जैसे कर्मठ,सरल सौम्य, परिश्रमी, रविदास जी के प्रति पूर्ण समर्पित राष्ट्रीय अध्यक्ष मिले । कैन जी ने कहा राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की प्रेरणा से दिल्ली प्रांत गुरु जी की शिक्षाओं पर आधारित एक पुस्तक भी प्रकाशित करेगा ।

पीठ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष दुष्यंत कुमार गौतम पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा ; अंतरराष्ट्रीय महामंत्री आत्माराम परमार पूर्व कैबिनेट मंत्री गुजरात सरकार हैं ।
श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ देश दुनिया का सबसे बड़ा रविदास समाज के करोड़ों लोगों का सामाजिक संगठन है । दुनिया के 22 देश और भारत में 26 प्रदेशों में पीठ सुचारू रूप से कार्य कर रही है। पूर्व में पीठ के कुछ पदाधिकारी भारत सरकार में राज्यपाल भी रहें हैं । वर्तमान में पीठ में अलग-अलग प्रदेशों के सांसद , मंत्री और विधायक पदाधिकारी के रूप में श्री गुरु रविदास जी की विचारों को दुनिया में प्रचारित कर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें हैं। पीठ रविदासी समाज से इतर सर्व समाज को भी साथ लेकर चलते हुए सबका साथ, सबका विकास, और सब का विश्वास उक्ति को चरितार्थ कर रही है । पीठ संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ राष्ट्र, देश, और समाज को राष्ट्रीयता ,समता, समरसता के सूत्र में बांधने का काम कर रही है।


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