हाल ही में भारतीय सुरक्षा बलों ने देश के माओवादी कमांडर माडवी हिडमा को मार गिराया। इस बड़ी सफलता के बाद अभाविप जेएनयू ने विश्वविद्यालय परिसर में एक शांतिपूर्ण विजय जुलूस निकाला, जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और हमारे वीर जवानों के साहस, पराक्रम और बलिदान को सलाम किया। यह जुलूस राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्मान और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक था। लेकिन हैरानी और दुख की बात है कि इसी जेएनयू के वामपंथी संगठनों ने हिडमा की मौत के विरोध में पर्चे बांटे, बयान जारी किए और उसके प्रति प्रत्यक्ष समर्थन जताया। यही तत्व, जो वर्षों से नक्सल हिंसा को वैचारिक संरक्षण देने की कोशिश करते आए हैं, कल फिर एक बार अपने असली चेहरे के साथ सामने आए।
कल दिल्ली में इंडिया गेट के निकट प्रदूषण के खिलाफ आयोजित एक प्रदर्शन में जो एक पर्यावरणीय मुद्दा होना था उसी वामपंथी मानसिकता से प्रेरित कुछ समूहों ने “हिडमा अमर रहो”," तुम कितने हिडमा मरोगे, हर घर से हिडमा निकलेगा", “लाल सलाम”, “नक्सलवाद जिंदाबाद” जैसे भड़काऊ और देशविरोधी नारे लगाए। यह न केवल शर्मनाक है, बल्कि खुलेआम आतंकवादियों के समर्थन की खतरनाक प्रवृत्ति का प्रतीक है। हिडमा वर्षों तक देश के सैकड़ों निर्दोष वनवासियों, सुरक्षा बलों और ग्रामीणों की मौत का जिम्मेदार रहा। वह बस्तर जैसी संवेदनशील जगहों पर भय का पर्याय था। ऐसे आतंकी का समर्थन करना न केवल क्रूरता का महिमामंडन है, बल्कि हिंसा को वैचारिक संरक्षण देने की खतरनाक कोशिश भी है।
अभाविप जेएनयू इन नारों को राष्ट्र-विरोधी करार देती है, दिल्ली की सड़कों पर माओवादी हिंसा का गुणगान करने वाले देश विरोधी तत्वों का कड़ा विरोध करती है। इन वामपंथी गुटों द्वारा इंडिया गेट पर लगाए गए देश विरोधी नारों में संलिप्त लोगों में कुछ उस संगठन के लोग भी थे जो कल जेएनयू में हिडमा के समर्थन में पर्चे बांट रहे थे। इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि वामपंथी संगठन पर्यावरण, छात्र समस्याओं, या सामाजिक मुद्दों का उपयोग केवल अपने नक्सल समर्थक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कर रहा है और यह सभी वामपंथी संगठन देश के लिए खतरा है।
अभाविप जेएनयू अध्यक्ष मयंक पंचाल ने कहा,“जिस प्रदर्शन का उद्देश्य प्रदूषण के खिलाफ आवाज़ उठाना था, उसे वामपंथी तत्वों ने माओवादी आतंकवाद के समर्थन का मंच बना दिया। यह दिल्ली की जनता और देश के सुरक्षा बलों का अपमान है। ऐसे कृत्यों पर कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए।” अभाविप जेएनयू मंत्री प्रवीण पीयूष ने कहा,”हिडमा जैसे खूनी आतंकवादी के लिए ‘अमर रहो’ के नारे लगाना किसी भी लोकतांत्रिक समाज में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह सीधे-सीधे आतंकवाद के पक्ष में खड़े होने का कृत्य है। अभाविप इसकी घोर निंदा करता है और देश की सुरक्षा एजेंसियों से मांग करता है कि इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।”
अभाविप नक्सलवाद के समर्थन और किसी भी प्रकार की आतंक-मित्र राजनीति का दृढ़ता से विरोध जारी रखेगी। देश के सैनिकों का सम्मान और निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और किसी भी मंच पर आतंकी तत्वों का महिमामंडन राष्ट्र के खिलाफ गंभीर अपराध है।
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