कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबियल अवेयरनेस वीक (WAAW) 2025 के अवसर पर, शारदा केयर हेल्थसिटी, जो उत्तर भारत का एक प्रमुख मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल है, ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) जैसे बढ़ते वैश्विक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए समुदाय-आधारित जागरूकता अभियान शुरू किया। इस वर्ष की थीम “Act Now – Protect Our Present, Secure Your Future” यह संदेश देती है कि एंटीबायोटिक की प्रभावशीलता बचाने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र और समाज—दोनों में मिलकर तुरंत कदम उठाना ज़रूरी है।
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवी दवाइयों का असर लेना बंद कर देते हैं। इससे आम संक्रमणों का इलाज मुश्किल हो जाता है और सामान्य मेडिकल प्रक्रियाएँ भी जोखिम भरी बन जाती हैं। गलत तरीके से दवाइयों का उपयोग—जैसे वायरल बीमारी में एंटीबायोटिक लेना, खुद से दवा लेना, बीच में दवा छोड़ देना, पशुओं में जरूरत से ज्यादा दवाइयाँ देना और खराब स्वच्छता—AMR को और तेज़ी से बढ़ा रहे हैं। WHO के अनुसार, AMR हर साल 1.2 मिलियन से ज़्यादा मौतों की वजह है और अगर अभी कार्रवाई नहीं हुई तो 2050 तक यह कैंसर से भी ज़्यादा मौतें कर सकता है।
इस चुनौती का सामना करने के लिए, शारदा केयर हेल्थसिटी “एंटीमाइक्रोबियल स्टूवर्डशिप” यानी एंटीबायोटिक का सही दवा, सही मात्रा, सही समय पर और केवल जरूरत पड़ने पर उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ा रहा है। अभियान में लोगों से अपील की गई है कि वे खुद से दवा न लें, डॉक्टर पर एंटीबायोटिक लिखने का दबाव न डालें, अच्छी स्वच्छता अपनाएँ, टीकाकरण कराएँ, दवाइयाँ साझा न करें, बची हुई दवा का सही निस्तारण करें, और पशुओं को दवा केवल पशु-चिकित्सक की सलाह पर दें।
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. अनिल कुमार, सीनियर कंसल्टेंट एवं हेड, मेडिकल ICU, शारदा केयर हेल्थसिटी ने कहा: “एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक ‘साइलेंट पैंडेमिक’ है जो हमारे घरों और समुदायों में चुपचाप बढ़ रहा है। एंटीबायोटिक का गलत उपयोग—जैसे खुद से दवा लेना, बीच में रोक देना या वायरल बीमारी में लेना—बैक्टीरिया को और मजबूत और दवाइयों को कमज़ोर बना रहा है। अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो ऐसा समय आ सकता है जब छोटी-सी चोट या सामान्य सर्जरी भी जानलेवा बन जाए। हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह इन जीवनरक्षक दवाइयों की शक्ति को बनाए रखने में योगदान दे।”
उन्होंने आगे कहा, “हाथ धोना, टीकाकरण, बेवजह एंटीबायोटिक न लेना और परिवारों में जागरूकता फैलाना—ये छोटे कदम मिलकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं। AMR सिर्फ मेडिकल समस्या नहीं है, यह सामाजिक समस्या भी है। आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रखने के लिए हमें अभी एकजुट होकर काम करना होगा।”
इस पहल पर बात करते हुए, डॉ. कौसर शाह, ग्रुप CEO, शारदा केयर हेल्थसिटी ने कहा: “शारदा केयर हेल्थसिटी में हम जिम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस पहल के माध्यम से हम सही जानकारी देकर लोगों में व्यवहारिक बदलाव लाना चाहते हैं। AMR से लड़ने के लिए हर स्तर पर जिम्मेदारी आवश्यक है—स्वास्थ्यकर्मियों से लेकर नीतिनिर्धारकों तक और आम नागरिकों तक। एंटीमाइक्रोबियल स्टूवर्डशिप को बढ़ावा देकर, संक्रमण नियंत्रण मजबूत करके और समुदाय में जागरूकता फैलाकर हम एंटीबायोटिक की प्रभावशीलता बचा सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रख सकते हैं।”
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