लैब टेक्नोलोजिस्ट के तौर पर करियर

By: Dilip Kumar
9/20/2016 6:05:47 PM

किसी भी बीमारी को जानने के लिए डॉक्टर मेडिकल लेबारेट्री टेक्नोलॉजी की मदद लेता है। इसमें रोगी के अंदरूनी शरीर की पूरी तरह से जांच-पड़ताल की जाती है। इसलिए मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी को क्लीनिकल लेबोरेट्री साइंस भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत बीमारी की जांच और लेबोरेट्री टेस्ट के जरिए बीमारी के इलाज और रोकथाम के तरीके निकाले जाते हैं।

 मेडिकल लैब टेक्नीशियन के तौर पर अपना करियर बनाने वाले संदीप कुमार कहते हैं कि मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी के अंतर्गत काम करने वाले व्यक्ति को मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट कहते हैं। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट रोगी के खून की जांच, टीशू, माइक्रोआर्गनिज्म स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस और सेल काउंट से जुड़े परीक्षण को अंजाम देता है।

 मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट बीमारी के होने या न होने संबंधी जरूरी साक्ष्य जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट का काम बेहद जिम्मेदारी भरा होता है। इस विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों को दो अलग-अलग शाखाओं में विभाजित किया जाता है, टेक्नीशियन और टेक्नोलॉजिस्ट। मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट लेबोरेट्री के पांच अलग-अलग क्षेत्रों में काम करता है, यह है ब्लड बैंकिंग, क्लीनिकल कैमेस्ट्री, हेमाटोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी।

 इसके अलावा टेक्नोलॉजिस्ट साइटोटेक्नोलॉजी, फेलबोटॉमी, यूरिनएनालिसिस, कॉग्यूलेशन, पैरासीटोलॉजी और सेरोलॉजी से संबंधी परीक्षण भी करता है। टेक्नीशियन की तुलना में मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट की जिम्मेदारियां और काम ज्यादा बड़े व जटिल होते हैं। टेक्नोलॉजिस्ट टीशू के माइक्रोस्कोपिक परीक्षण, खून में बैक्टीरिया या फंगी की जांच जैसे मुश्किल कामों को अंजाम देता है।

कुछ लैबोरेट्री में टेक्नोलॉजिस्ट मेडिकल शोधकर्ताओं के साथ मिलकर शोध कार्यों में भी योगदान देते हैं। इसके उलट मेडिकल टेक्नीशियन इंस्ट्रक्शन के आधार पर रोजमर्रा की लेबोरोट्री टेस्टिंग को अंजाम देते हैं। टेक्नीशियन, टेक्नोलॉजिस्ट या सुपरवाइजर के सहयोगी के रूप में काम करते हैं। सामान्य तौर पर टेक्नीशियन ऐसी मशीनों को ऑपरेट करता है जो स्वत: ही परीक्षण करने में सक्षम हैं। इन्हें ऑपरेट करने के लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं होती है।

इसके साथ ही टेक्नीशियन उपकरणों की साफ.सफाई और लेबोरेट्री में मेंटीनेंस का भी काम संभालता है। लेबोरेट्री में इस्तेमाल होने वाले स्टैंडर्ड सोल्यूशन बनाने की जिम्मेदारी भी टेक्नीशियन की ही होती है। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नालॉजी में बेहतर करिअर व्यक्ति के एकेडेमिक और टेक्निकल नॉलेज पर भी निर्भर करता है।

कुशल मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नीशियन को हॉस्पिटलए इमरजेंसी सेंटरए प्राइवेट लेबोरेट्री, ब्लड डोनर सेंटर और डॉक्टर के आफिस या क्लीनिक में से कहीं भी आसानी से काम मिल सकता है। अच्छे-खासे अनुभव और शैक्षिक योग्यता के चलते टेक्नीशियन, टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर भी काम करना शुरू कर सकता है।

अस्पतालों और लेबोरेट्री की संख्या लगातार बढऩे से मेडिकल टेक्नीशियन की मांग हर समय बनी ही रहती है। शैक्षणिक योग्यता : मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी में करिअर बनाने के लिए डिप्लोमा कोर्स करना होता है। यह कोर्स 12वीं के बाद किया जा सकता है। डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में बॉयोलॉजी विषय का होना अनिवार्य है।

डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो वर्ष की होती है। डिप्लोमा कोर्स के अलावा लैब टेक्नीशियन के रूप में करिअर बनाने के लिए कई अन्य सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं। टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में करिअर की शुरुआत करने के लिए बैचलर इन मेडिकल टेक्नोलॉजी के तीन साल के प्रोग्राम में प्रवेश ले सकते हैं। यह प्रोग्राम देश की कई यूनिवर्सिटीज और हॉस्पिटल द्वारा चलाया जाता है। इसके अलावा आप बैचलर डिग्री प्राप्त करने के बाद इसमें एमएसी भी कर सकते हैं।


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