डोकलाम के बाद उत्तराखंड में भी घुसे चीनी सैनिक, भारतीय जवानों ने वापस खदेड़ा

By: Dilip Kumar
7/31/2017 4:38:54 PM
नई दिल्ली

सिक्किम में तो भारत और चीन के बीच तनाव चल ही रहा है अब उत्तराखंड से भी चीनी घुसपैठ की खबर आई है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि 25 जुलाई को चीन के सैनिक उत्तराखंड के बाराहोटी इलाके में 1 किलोमीटर तक अंदर घुस गए थे। घुसपैठ की ये घटना सुबह 9 बजे करीब हुई थी।

बता दें 16 जून से भारत-चीन के बीच सिक्किम में स्थित डोकलाम को लेकर बॉर्डर विवाद चल रहा है। भारत ने बातचीत से मसले को सुलझाने को कहा है। साथ ही कहा है कि दोनों देशों की सेनाएं वापस जाएं। चीन का कहना है कि भारत ने उसकी सीमा में घुसपैठ की है। लिहाजा भारतीय आर्मी को वापस जाना चाहिए।

एक अगस्त को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की 90th एनिवर्सरी है। इससे दो दिन पहले रविवार को चीन ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इनर मंगोलिया में स्थित चीन के सबसे बड़े मिलिट्री बेस झूरिहे में परेड निकाली गई। इस मौके पर चीन के प्रेसिडेंट शी प्रेसिडेंट बाकायदा मिलिट्री यूनिफॉर्म पहनकर शामिल हुए। जिनपिंग ने कहा, "चीन की आर्मी को खुद पर पूरा भरोसा है और वह घुसपैठ करने वाले दुश्मन को हराने की ताकत रखती है।" "पीएलए को सख्ती से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) को फॉलो करना चाहिए। आर्मी को वहीं ही जाना चाहिए जहां पार्टी निर्देश दे।" हालांकि अपनी स्पीच में जिनपिंग ने डोकलाम विवाद का जिक्र नहीं किया।

क्या है डोकलाम विवाद?

 विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम एरिया में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है। इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।

भारत की क्या है चिंता?

 नई दिल्ली ने चीन को बता दिया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी। इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।

सुषमा ने क्या कहा था?

 21 जुलाई को सुषमा ने राज्यसभा कहा था, "अगर वह सिक्किम में ट्राई-जंक्शन में स्टेटस-को में बदलाव करता है तो इसे भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती माना जाएगा।" स्टेटस-को यानी यथास्थिति को बनाए रखना है। "जैसे ही पता चला कि OBOR (वन बेल्ट वन रोड) में वो CPEC (चाइना-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर) को डाल रहे हैं। तो हमने उसी समय विरोध दर्ज कराया था।" "डोकलाम में एक ट्राईजंक्शन है और 2012 में एक लिखित समझौते के तहत फैसला हुआ था कि इसमें कोई भी फेरबदल भारत, चीन और भूटान के बीच चर्चा के बाद ही होगा।" "चीन लगातार वहां आता रहा है। कभी डेवलपमेंट के लिए कभी किसी और काम के लिए। लेकिन इस बार वे सीधे ट्राईजंक्शन प्वाइंट पर आ गए। कोई भी एकतरफा फैसला हमारी सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा है। "चीन के साथ सैन्य गतिरोध इसलिए बना हुआ है कि वह लगातार यह कह रहा है कि भारत अपनी आर्मी को वापस अपनी सीमा में बुलाए। चीन की बात मानना संभव नहीं है। हमारा प्वाइंट सही है और बाकी देश इस बात को समझ रहे हैं।"

दोनों देशों के सैनिक 100 मीटर पर आमने-सामने

- इंडियन आर्मी के जवानों ने चीनी सैनिकों के अड़ियल रवैये को देखते हुए सिक्किम के डोकलाम इलाके में 9 जुलाई से अपने तंबू गाड़ रखे हैं। बॉर्डर पर दोनों देशों की 60-70 सैनिकों की टुकड़ी 100 मीटर की दूरी पर आमने-सामने डटी हैं। दोनों ओर की सेनाएं भी यहां से 10-15 km की दूरी पर तैनात हैं।

बिना शर्त पीछे हटने से भारत का इनकार

 भारत ने डोकलाम से अपनी सेनाएं बिना शर्त वापस बुलाने की चीन की मांग ठुकरा दी है। चीन के सरकारी न्यूज पेपर पीपुल्स डेली के एक रिपोर्टर के सवाल पर इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने ये जवाब दिया

 बागले ने कहा, "हमने डोकलाम मसले पर अपना नजरिया और रास्ता खोजने के तरीके को चीन के सामने साफ कर दिया है। सीमा के मसले को निपटाने के लिए दोनों देशों के बीच पहले से एक सिस्टम बना हुआ है और मौजूदा विवाद को लेकर भी हमें उसी दिशा में आगे बढ़ना होगा। इंटरनेशनल कम्युनिटी ने इस बात का सपोर्ट किया है कि इस मुद्दे का हल बातचीत से होना चाहिए। हमने इंटरनेशनल लेवल पर अपने नजरिए को साफ कर दिया है।"

 

 


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