मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को शरीयत में कोर्ट का दखल बर्दाश्त नहीं

By: Dilip Kumar
9/11/2017 3:04:49 AM
नई दिल्ली

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रविवार को भोपाल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। बोर्ड ने फिलहाल कोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए कानूनी जानकारों की दस सदस्यीय समिति बनाने का फैसला किया है। यह समिति इस बात का अध्ययन करेगी कि कोर्ट के फैसले में शरीअत को लेकर कोई विसंगति तो नहीं है। इसके साथ ही बोर्ड ने साफ किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है, लेकिन शरीअत में किसी भी प्रकार का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं बाबरी मस्जिद मामले पर बोर्ड ने कहा कि किसी खास पार्टी के सदस्य के कहने पर कोर्ट जल्दबाजी कर रहा है।

बैठक के बाद हुई पत्रकार वार्ता में बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि एक साथ तीन तलाक पाप है, लेकिन वैध है। उन्होंने कहा कि एक साथ तीन तलाक धार्मिक आधार पर शुरू हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह मंशा जाहिर की थी कि कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना यदि कोई शादी टूटती है तो वह असंवैधानिक घोषित करना चाहिए।

बोर्ड ने केंद्र सरकार के इस हलफनामे पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला है। केंद्र सरकार संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कर रही है और मुस्लिम समुदाय इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना रब्बे हाशमी नदवी, महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी, उपाध्यक्ष डॉ. डॉ.सयैद कलबे सादिक, मोहम्मद सलीम कासमी, सचिव जफरयाब जिलानी, सांसद असदुद्दीन औवेसी सहित करीब बोर्ड की वर्किंग कमेटी के लगभग 45 सदस्य मौजूद थे।

औवेसी ने तैयार किया फैसले का सार

बैठक में सदस्यों की राय के बाद बोर्ड को लगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अभी सभी लोगों ने ठीक से नहीं समझा है। सांसद असदुद्दीन औवेसी ने करीब दो घंटे कानून के जानकारों के साथ बातचीत करके फैसले का सार तैयार किया। इसे सभी सदस्यों को बांटा गया।

तीन तलाक लेने वालों का होगा बायकॉट, सरकार से मांगी वित्तीय मदद

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि एक साथ तीन तलाक के खिलाफ बोर्ड पहले भी प्रस्ताव पारित कर चुका है। अब इसे लेकर बड़े पैमाने पर सामाजिक सुधार कार्यक्रम चलाया जाएगा और एक साथ तीन तलाक देने वाला का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि मुस्लिम महिलाओं और पुस्र्षों को जागस्र्क करने के लिए नए कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके लिए बोर्ड ने केंद्र सरकार से वित्तीय मदद भी मांगी है। बोर्ड द्वारा गठित की जाने वाली कमेटी भी सुधार कार्यक्रम को बड़े पैमाने पर करने

बाबरी मस्जिद पर जल्दबाजी हो रही है

बाबरी मस्जिद मामले में कमाल फास्र्की ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद मामले में जल्दबाजी हो रही है। उन्होंने कहा कि किसी खास पार्टी के एक सदस्य के कहने पर इस मामले में जल्दबाजी हो रही है।

इनका कहना है

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम नाखुश हैं। तीन तलाक को पहले से इस्लाम में अच्छा नहीं माना जाता। शरीअत में किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा।

- मौलाना वली रहमानी, महासचिव, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

केंद्र सरकार हिंदू और मुसलमानों को लड़ाकर सियासी फायदा उठाना चाहती है।

- जफरयाब जिलानी, सचिव, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

तीन तलाक पर एक फिजूल की हवा खड़ी की गई है। ये सामाजिक मसला है, इसे यहीं सुलझाया जा सकता है।

- असमा जेहरा, सदस्य, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड


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