हनुमान जी की माता को ऋषि दुर्वासा ने इसलिए दिया था श्राप

By: Dilip Kumar
2/5/2018 4:42:44 PM
नई दि्ल्ली

  एक बार जब दुर्वासा ऋषि देवराज इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब एक पुंजिकस्थली नामक अप्सरा बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं। इससे बार-बार सभा में बैठे लोगों का ध्यान भंग हो रहा था, गुस्सा होकर ऋषि दुर्वासा ने पुंजिकस्थली को वानरी हो जाने का श्राप दे दिया। पुंजिकस्थली ने बहुत क्षमा मांगी, तो ऋर्षि ने उसे इच्छानुसार रूप धारण करने का वर भी दिया।

कुछ वर्षों बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। उनका नाम अंजनी रखा गया। विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री का विवाह महान पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से कर दिया। इस रूप में पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं।

बाद में हनुमान जी ने दोनों के पुत्र के रूप में जन्म लिया। ज्योतिषीयों की गणना के अनुसार बजरंगबली जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान के सालासर व मेहंदीपुर धाम में इनके विशाल एवं भव्य मन्दिर है।

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

 


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