प्राकृतिक रंगों से खेलें होली

By: Dilip Kumar
2/22/2018 3:52:29 PM
नई दिल्ली

रासायनिक रंगों से होली खेलने पर कभी-कभी लंबे समय तक इलाज कराना पड़ता है। कुछ लोगों की त्वचा पर जिंदगीभर के लिए दाग बन जाते हैं। इसलिए होली की मस्ती बरकरार रखनी है तो हर्बल रंग बरसाएं। इससे तन-मन दोनों महक उठेगा।होली के लिए रंगों का बाजार सज रहा है। हर बार की तरह इस बार भी अधिकतर दुकानों पर केमिकल रंगों की ही भरमार है, जबकि प्राकृतिक या हर्बल रंग चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध हैं। हर्बल रंग महंगे तो हैं लेकिन इनके फायदे भी बहुत हैं। इन प्राकृतिक रंगों से त्वचा मुलायम बनी रहेगी और सौन्दर्य में भी निखार आता है। प्राकृतिक रंगों में चंदन, गेंदा, टेसू, गुलाब व अन्य तमाम फूलों की खुशबू भी आएगी। इन फूलों से ही हर्बल रंग तैयार किए जाते हैं। फूलों से बने रंग जिस पर पड़ेगा वह निहाल हो जाएगा। उसको सुखद खुशबू को एहसास होगा।

हर्बल रंग से भीगने पर शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। होली खेलने के बाद इन रंगों को छुड़ाने में कोई मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती, बस एक बार साबुन या शैंपू लगाया और रंग साफ।काल्विन अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. शक्ति बसु कहते हैं कि प्राकृतिक रंग से त्वचा मुलायम हो जाती है। इन रंगों के जरिए विभिन्न फूलों व वनस्पतियों का तेल भी त्वचा को मिलता है, जो कि त्वचा के लिए बहुत ही लाभदायक है। रासायनिक रंग से भीगना कभी-कभी इतना महंगा पड़ जाता है कि जिंदगीभर पछताना पड़ता है। मन भी उचाट हो जाता है। इसलिए प्राकृतिक रंगों से होली खेलिए, इससे तन-मन दोनों महक उठेगा।

  • नारंगी रंग बनाने के लिए रात भर मेहंदी की पत्तियों को पानी में भिगों दें, सुबह होली खेलें।
  • गहरा गुलाबी रंग बनाने के लिए चुकंदर को पानी में उबाल लें, रंग तैयार हो जाएगा।
  • लाल रंग के फूलों को रात भर पानी में भिगों दे तो पानी का रंग हल्का पीला हो जाएगा।
  •  ब्लूबेरी के रस से नीला रंग तैयार किया जा सकता है।
  • सूखे लाल चंदन को लाल गुलाल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। लाल रंग का यह पाउडर त्वचा के लिए लाभकारी है।
  •  सिन्दूरिया के बीजों को पीस कर गाढ़ा लाल रंग बनाया जा सकता है।

 


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