ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म करने तैयारी

By: Dilip Kumar
6/16/2018 7:31:45 PM

ट्रेनों के समय पर और सुरक्षित संचालन के लिए रेलवे ने डिवीजनों को ज्यादा अधिकार देने और आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए हर डिवीजन में एक परियोजना प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी तथा मंडल प्रबंधकों को बात-बात पर जोनल महाप्रबंधकों के चक्कर लगाने की जरूरत से काफी हद तक आजाद किया जाएगा। इस संबंध में पिछले दिनों रेलवे बोर्ड की ओर से सभी जोनल महाप्रबंधकों को पत्र लिखा गया था। जबकि शनिवार को उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर-पूर्व रेलवे तथा पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों के साथ बैठक में रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस पत्र के मजमून को तत्काल अमल में लाने की ताकीद की।

ट्रेनों की लेटलतीफी से परेशान गोयल इन दिनों अलग-अलग जोनो के महाप्रबंधकों से बात कर समस्या की जड़ में जाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि दुखी यात्रियों को जल्द से जल्द राहत मिल सके। वैसे आज की बैठक इलाहाबाद में अगले साल होने वाले कुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के मकसद से भी बुलाई गई थी। डिवीजनों को सशक्त करने के पीछे गोयल का मुंबई का अनुभव है, जहां जोन और डिवीजन के बीच लालफीताशाही के कारण एल्फिंस्टन ब्रिज के निर्माण का जिम्मा सेना को देना पड़ा था। ऐसे बहुत से कार्य होते हैं जिनमें व्यापक समन्वय की आवश्यकता होती है।

दरअसल, किसी भी शहर में रेलवे के ज्यादातर कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें जोन के बजाय डिवीजन के स्तर पर जल्दी और बेहतर ढंग से कराया जा सकता है। जैसे कि स्टेशनों पर फुट ओवरब्रिज, का निर्माण, प्लेटफार्म की लंबाई या ऊंचाई बढ़ाना और टाइलें व छतें वगैरह लगवाना। लिफ्ट, एस्केलेटर, सिगनल एवं टेलीकॉम संबंधी कार्य मसलन- पैनल इंटरलॉकिंग, इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग तथा यार्ड की रीमाडॅलिंग और वहां रेलवे विद्युतीकरण संबंधी अनेक कार्य भी इसी श्रेणी में आते हैं। इनमें से ज्यादातर कार्यो का संबंध ट्रेन संचालन, संरक्षा एवं समय पालन से होता है।

यही वजह है कि प्रत्येक डिवीजन में एक परियोजना प्रकोष्ठ अथवा प्रोजेक्ट सेल के गठन के निर्देश दिए गए हैं। एडीआरएम इसके मुखिया होंगे, जबकि सीनियर डीईएन, डीईएन, सीनियर डीएसटीई अथवा डीएसटीई, सीनियर डीईई, डीओएम अथवा सीनियर डीएफएम/डीएफएम अथवा जेएजी ग्रेड के अफसर सदस्य। प्रकोष्ठ के लिए अफसरों व कर्मचारियों का प्रबंध डिवीजन के अलावा जोन से भी किया जाएगा। प्रोजेक्ट सेल द्वारा चुनी गई 75 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए धन की मंजूरी डीआरएम स्वयं अपने स्तर पर दे सकेंगे।

प्रोजेक्ट सेल के लोग एक टीम की तरह काम करेंगे और प्लानिंग से लेकर टेंडरिंग, ड्राइंग, डिजाइन, सॉफ्टवेयर तथा कंसल्टेंसी तक आदि सभी तरह के कार्यो की जिम्मेदारियां स्वयं निभाएंगे और बाहरी फर्मो से काम नहीं कराएंगे। प्रोजेक्ट टीम का सबसे ज्यादा जोर ट्रेनों के सुरक्षित और समय से संचालन पर होगा।


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