अंग्रेजी हुकूमत में दरभंगा महाराज की चलती थी ट्रेन,अब रेलवे दुनिया को दिखाएगा

By: Dilip Kumar
6/8/2018 6:08:59 PM
नई दिल्ली

रेलवे के स्वर्णिम इतिहास से दरभंगा महाराज का गहरा नाता रहा है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान महाराज ने तिरहुत स्टेट रेलवे कंपनी बना खुद अपनी रेलगाड़ी चलाई थी। कई स्टेशनों का निर्माण कराया था। पूर्व मध्य रेलवे उनके 145 वर्ष पुराने एक इंजन को धरोहर के रूप में संरक्षित करेगा। उसे दरभंगा स्टेशन पर लगाने के लिए समस्तीपुर रेल मंडल के प्रबंधक ने हाल ही में सरकार को पत्र भेजा है। अनुमति मिलते ही काम शुरू होगा। 

रेलवे इससे पूर्व दो जगहों पर दरभंगा राज के रेल इंजनों को संरक्षित कर चुका है। हाजीपुर जोनल कार्यालय में तिरहुत स्टेट रेलवे के इंजन को धरोहर के रूप में रखा गया है। समस्तीपुर डीआरएम कार्यालय में भी एक इंजन संरक्षित है। दरभंगा राज के बारे में शोध करने वाले कुमुद सिंह कहते हैं, दरभंगा राज की बंद सकरी चीनी मिल में रेल इंजन जंग खा रहा है। इसे संरक्षित करने की जरूरत है।

अंग्रेजी हुकूमत में दरभंगा महाराज की 14 कंपनियों में एक रेलवे विश्वविख्यात थी। इसकी स्थापना 1873 में तिरहुत स्टेट रेलवे नाम से महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह ने की थी। 1873-74 में जब उत्तर बिहार भीषण अकाल का सामना कर रहा था, तब राहत व बचाव के लिए लक्ष्मेश्वर ने अपनी कंपनी के माध्यम से बरौनी के समयाधार बाजितपुर से दरभंगा तक रेल लाइन का निर्माण कराया। इस रेलखंड का परिचालन एक नवंबर 1875 को शुरू हुआ था। महाराज ने तीन स्टेशनों का निर्माण भी कराया था। दरभंगा स्टेशन आम लोगों के लिए था, जबकि लहेरियासराय अंग्रेजों के लिए। उन्होंने अपने लिए नरगौना में निजी टर्मिनल स्टेशन का निर्माण कराया था। वहां उनकी सैलून रुकती थी। उनकी ट्रेन व सैलून से महात्मा गांधी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे स्वतंत्रता सेनानी सफर कर दरभंगा आते थे। 1922, 1929 और 1934 सहित पांच बार महात्मा गांधी इस ट्रेन से दरभंगा आए थे।

दरभंगा महाराज की थैकर्स एंड स्प्रंक कंपनी स्टेशनरी का निर्माण करती थी। तब यह पूर्वी भारत की सबसे बड़ी कंपनी थी। यह भारतीय रेलवे की समय तालिका छापने वाली इकलौती कंपनी थी। इसके बंद होने के बाद यह अधिकार रेलवे के पास चला गया। दरभंगा महाराज के तिरहुत स्टेट रेलवे का अधिग्रहण भारतीय रेलवे में 1929 में किया था। धीरे-धीरे दरभंगा महाराज के योगदान को भुला दिया गया था। पिछले कुछ सालों में रेलवे ने दरभंगा महाराज की यादों व धरोहरों को संजोने में दिलचस्पी दिखाई है। रेलवे की150वीं जयंती पर प्रकाशित स्मारिका में दरभंगा महाराज के शाही सैलून की तस्वीर छापी गई।

 


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