करें माता रानी का श्रृंगार, मिलेगा सुहाग का वरदान
By: Dilip Kumar
10/9/2018 8:27:54 PM
नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष पूजा होती है और माता रानी को 16 श्रृंगार किया जाता है. आइये जानते हैं 16 श्रृंगार में कौन-कौन से श्रृंगार आते हैं और इनका क्या महत्व है.
माता के श्रृंगार के लिए:
लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंद्दी, मेहंदी, काजल, चोटी, गले के लिए माला या मंगल सूत्र, पायल, नेलपॉलिश, लिपस्टिक (लाली), चोटी में लगाने वाला रिबन, कान की बाली
ऐसे करें मां का श्रृंगार
सबसे पहले मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक चौकी लें और उसपर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं. इसके बाद इस पर मां की मूर्ति या तस्वीर रखें. मां को कुमकुम का टीका लगाएं और श्रृंगार का सारा सामान चढ़ा दें.
16 श्रृंगार का महत्व
नवरात्रि में मां को 16 श्रृंगार चढ़ाया जाता है. दरअसल ऐसी मान्यता है कि इससे घर में सुख और समृद्धि आती है और अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है. यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह श्रृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है. नवरात्रि में मां को सोलह श्रृंगार का चढ़ावा चढ़ाने के अलावा महिलाओं को भी इस दौरान सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए. ऋग्वेद में भी सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगारों का महत्व बताया गया है.
सोलह श्रृंगार में मौजूद हर एक श्रृंगार का अलग अर्थ है. बिन्दी को भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से जोड़कर देखा जाता है. वहीं सिंदूर सौभाग्य और सुहाग की निशानी होती है. महावर और मेहंदी को प्रेम से जोड़कर देखा जाता है. काजल बुरी नजर से बचाता है.
मां का सोलह श्रृंगार करने से घर और जीवन में सौभाग्य आता है. जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं और जीवनसाथी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है.