2019 चुनाव में हुआ सबसे बड़ा दल-बदल

By: Dilip Kumar
4/30/2019 6:33:26 PM
नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव 2019 में दलबदलू नेताओं ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं। चुनावी मौसम में अपनी राजनीतिक सेहत के हिसाब से नेताओं पाला बदल किया है। किसी ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया तो कोई मौजूदा पार्टी में मतभेद के कारण किसी और पार्टी के झंडे तले चला गया। अमूमन हर चुनाव में कुछ नेता एक दल से दूसरे दल की और रुख कर लेते हैं। इस बार के चुनाव में बड़ी संख्या में दिग्गज नेताओं ने अपनी पुरानी पार्टी का साथ छोड़कर नई पार्टी की राह चुन ली। कुछ ऐसे नेता भी रहे जिनकी पुरानी पार्टी में घर वापसी हो गई। आइए जानते हैं कौन कौन से दिग्गज नेताओं ने इस चुनाव में दल बदले हैं।

सबसे पहले बात भाजपा के पूर्व नेता शत्रुघ्न सिन्हा की। शत्रुघ्न सिन्हा इस बार पटना साहिब से लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे हैं। उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा था। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से वो दरकिनार होते गए। इसपर अपने बागी तेवरों से भाजपा और मोदी सरकार की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठाते रहे। हर मंच से उन्होंने पीएम मोदी को निशाना बनाया। वह भाजपा की धुर विरोधी पार्टियों से जा मिले। इसकी वजह से भाजपा ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया। उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। यहां उनके सामने भाजपा उम्मीदवार रविशंकर होंगे।

दल-बदल के इस मौसम में भाजपा के मौजूदा सांसद उदित राज ने भी भाजपा को अलविदा कह दिया। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद पश्चिमी दिल्ली से सांसद उदित राज ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। आखिर में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया। वहीं, भाजपा ने इस सीट से गायक हंसराज हंस को टिकट देकर सभी को चौंका दिया। उनका मुकाबला आप और कांग्रेस उम्मीदवार से होगा।
इस चुनावी मौसम में कांग्रेस की तेज तर्रार प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी चौंकाया। कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर वह शिवसेना में शामिल हो गईं।

प्रियंका ने कांग्रेस पर ये आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ी कि उनके साथ हुई बदसलूकी में शामिल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं। मौका देख शिवसेना ने पहल की और प्रियंका को अपने पाले में कर लिया। प्रियंका की छवि एक प्रखर वक्ता और सौम्य नेता के तौर पर है और शिवसेना को भी उनकी इस छवि का फायदा भी मिलेगा। पार्टी ने उन्हें उपनेता भी नियुक्त दिया। 2019 चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम ने भाजपा का दामन छोड़कर सुर्खियां हासिल कीं। उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। वो अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए।

सुखराम ने इसे अपनी ‘घर वापसी' बताते हुए कहा कि कांग्रेस में बुजुर्गों का सम्मान है। 1996 में सुखराम को टेलीकॉम घोटाले में नाम आने के बाद कांग्रेस से निकाल दिया गया था। सीबीआई द्वारा उनके आधिकारिक आवास से 3.6 करोड़ रुपये जब्त करने के 15 साल बाद साल 2011 में उन्हें दोषी ठहराया गया था।  2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारा झटका उस वक्त लगा जब वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि पार्टी के रवैए की वजह से पार्टी छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह गया था। टॉम दिल्ली में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए। वडक्कन ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद वायु सेना के हवाई हमले पर अपनी पूर्व पार्टी के रुख को लेकर उस पर निशाना साधा था।

महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। हाल ही में राधाकृष्ण ने भी महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता पद से त्यागपत्र दे दिया है। पिछले महीने पाटिल के बेटे ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। बेटे सुजय विखे पाटिल के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद नेता विपक्ष का पद छोड़ने की पेशकश की थी।  लोकसभा चुनाव से ठीक पहले देते हुए तृणमूल कांग्रेस को झटका देते हुए सांसद सौमित्र खान ने पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।

भाजपा से पाला बदलकर सांसद सावित्री बाई फुले ने कांग्रेस का दामन थामा लिया। कांग्रेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश की बहराइच लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। 2019 चुनाव एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर में सपा को झटका दिया। जवाब में सपा ने भी भाजपा को झटका दिया। भाजपा सांसद रामचरित्र निषाद सपा में शामिल हो गए। सपा-बसपा गठबंधन उन्हें मिर्जापुर से गठबंधन का प्रत्याशी घोषित किया है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व सांसद राकेश सचान ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। राकेश सचान मुलायम सिंह और शिवपाल के करीबी माने जाते हैं।

सीतापुर से बहुजन समाज पार्टी की पूर्व नेता कैशर जहां कांग्रेस मेें शामिल हो गईं। बताया जा रहा है कि उन्होंने लोकसभा का टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर छो़ड़ी बसपा छोड़ी है। भाजपा से लंबे समय नाराज चल रहे कीर्ति आजाद ने आखिरकार इस चुनाव में कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने उन्हें झारखंड की धनबाद लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।  बीजेडी के पूर्व नेता जय पांडा ने इस बार नवीन पटनायक को बड़ा झटका देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। नवीन पटनायक से मतभेद की वजह से उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

समाजवादी पार्टी की पूर्व नेता व रामपुर की पूर्व सांसद जया प्रदा इस बार सपा का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा ने उन्हें रामपुर से ही सपा नेता आजम खान के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। यहां आजम खान ने उनके खिलाफ विवादित बयान भी दिया जिसके कारण उनपर 48 घंटे का प्रचार से रोकने का प्रतिबंध भी लगा। जेडीएस के नेता दानिश अली ने जनता दल सेक्युलर को छोड़ कर कुमारस्वामी और उनके पिता एच डी देवेगौड़ा को तगड़ा झटका दिया। दानिश मायावती की पार्टी बसपा में शामिल हो गए। इस बार सीनियर नेता अवतार सिंह भड़ाना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। भाजपा से अवतार सिंह भड़ाना के अलग होने की असल वजह यूपी में गुर्जरों की अनदेखी के तौर पर देखा जा रहा है।

हालांकि उनके साथ पार्टी बदलने का इतिहास जुड़ा हुआ है। लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता और करनाल के पूर्व सांसद अरविंद शर्मा भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इस दौरान उन्होंने कहा था- काफी सोच-विचार कर अपनी आत्मा की आवाज पर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर अपनी इच्छा व्यक्त कर चुके हैं और उनके आभारी हैं कि उन्हें भाजपा में काम करने का अवसर मिला।

 


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