बालेश्वर नाथ : राजा बलि के यज्ञ में हुई थी शिवलिंग की स्थापना

By: Dilip Kumar
7/23/2019 3:15:25 PM
नई दिल्ली

बलिया में स्थित बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर में पूरे सावन महीने में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां चांदी के अरघे में रजत आवृत्त लिंग विग्रह का दर्शन-स्पर्श पूजन कर भक्त त्रितापों से मुक्त हो जाते हैं। बलिया के सर्वाधिक प्रसिद्ध इस शिवालय के बारे में ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर पांडुलिपि संरक्षण मिशन भारत सरकार के जिला समन्वयक शिव कुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि पौराणिक आख्यानों और श्रुति प्रमाणों के अनुसार इस बालुकामय शिवलिंग का इतिहास दानवीर महाराज बलि के बलियाग से जुड़ा है।

दैत्यराज हिरण्यकश्यप के प्रपौत्र, राजा विरोचन के पुत्र राजा बलि भी शैव पंथ को मानते वाले थे। मान्यता है कि बालेश्वर घाट के सामने के दियारा में दैत्यगुरु शुक्राचार्य के सानिध्य में महाराज बलि ने जो यज्ञ किया था उसमें सर्व प्रथम शिवलिंग की स्थापना करके उसका अभिषेक किया गया था। उस समय यह लिंग काफी बड़ा एवं भारी था। बलि द्वारा बनाए मंदिर के नष्ट हो जाने के बाद काफी दिनों तक यह बाढ़ के थपेड़ों की बीच उपेक्षित पड़ा घिसता रहा। कालांतर में प्रथम एवं द्वितीय बलिया नगर के निवासी चबूतरों पर इस लिंग की पूजन-अर्चन करते रहे।

वर्तमान बाबा बालेश्वर नाथ के मंदिर का निर्माण सन 1918-19 में बलिया के सुप्रसिद्ध वैश्य परिवार लच्छू भगत, बिशुन राम ने विध्य पर्वत के लाल पत्थरों से करवाया था। उत्कृष्ट प्रस्तर शिल्प का शिखर से लेकर नीचे जमीन तक पत्थरों पर पच्चीकारी करके बना यह शिवालय भी दर्शनीय है। इसमें स्थापित प्राचीन लिंग विग्रह घिसकर मात्र चार-छ: अंगुल चौड़ा रह गया है। जिले के भक्तों ने चांदी से मढ़वाकर इसे संरक्षित करने का प्रयास किया है।


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