महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा : तत्काल फ्लोर टेस्ट नहीं, कल फिर सुनवाई

By: Dilip Kumar
11/24/2019 12:56:58 PM
नई दिल्ली

महाराष्ट्र में शनिवार सुबह के चल रहे हाई-वोल्टेज पोलिटिकल ड्रामे के बीच अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर थीं। कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, सीएम फडणवीस और डेप्युटी सीएम अजित पवार को नोटिस जारी किया है। सोमवार सुबह साढ़े 10 बजे फिर सुनवाई होगी। बता दें कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस और डेप्युटी सीएम अजित पवार के शपथग्रहण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया। तत्काल बहुमत परीक्षण पर कोई फैसला नहीं। सोमवार को साढ़े 10 बजे फिर होगी सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस, डेप्युटी सीएम अजित पवार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह सोमवार सुबह राज्यपाल का आदेश और फडणवीस की तरफ से उनके पास दिए गए लेटर ऑफ सपॉर्ट की कॉपी कोर्ट में पेश करें।

रोहतगी ने कहा कि क्या 3 हफ्ते तक तीनों पार्टियां सो रही थीं। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह सीएम को नोटिस जारी करें, वह अपना पक्ष रखेंगे। रोहतगी बोले कि राज्यपाल अपने विवेक से फैसला लेने को स्वतंत्र हैं। राज्यपाल ने सड़क से किसी को उठाकर शपथ नहीं दिलाई है। मुकुल रोहतगी की इस दलील पर कि राज्यपाल के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती, कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह भी नहीं है कि किसी को भी शपथ दिला दी जाए।

सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एनसीपी के कुल 54 विधायकों में से 41 विधायकों ने गवर्नर को लिखित में जानकारी दी है कि अजित पवार को एनसीपी के विधायक दल के नेता पद से हटाया जा चुका है। रोहतगी ने अपनी दलील में कहा कि राज्यपाल के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। फ्लोर टेस्ट को लेकर फैसला हो सकता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल किसी कोर्ट के प्रति जवाबदेह नहीं है। उन्होंने पूछा कि अगर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास बहुमत था तो सरकार बनाने का दावा क्यों नहीं पेश किया था।

बीजेपी की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी की दलील, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पक्ष सुने बिना कोर्ट को फैसला नहीं लेना चाहिए। फडणवीस को नोटिस भेजने की मांग। सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि जोड़-तोड़ की राजनीति को रोकना जरूरी है, इसलिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट हो। किसी सीनियर विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाने और आज ही फ्लोर टेस्ट की मांग।

-एनसीपी की तरफ से पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण की मांग की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अजित पवार को एनसीपी विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है। अजित के पास उनकी ही पार्टी का समर्थन नहीं है, उन्हें डेप्युटी सीएम क्यों बना दिया गया? सिंघवी ने कहा कि एनसीपी (शरद पवार कैंप) के पास 41 विधायक एकजुट हैं।

-शिवसेना की तरफ से दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कर्नाटक की तर्ज पर 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण कराने का आदेश देने की मांग की। उन्होंने कर्नाटक का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 19 दिनों का वक्त दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था।

-शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि राज्यपाल कैसे आश्वस्त हुए कि फडणवीस के पास बहुमत है, राज्यपाल को कौन सी चिट्ठी मिली। सीएम की शपथ का आखिर आधार क्या है? राज्यपाल ने समर्थन की चिट्ठी की जांच क्यों नहीं की?

-सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने पर उठाया सवाल। उन्होंने कहा कि महा विकास अघाड़ी हाई कोर्ट जा सकता था। वे सीधे सुप्रीम कोर्ट कैसे आए।  रोहतगी ने पूछा कि आर्टिकल 32 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कोई राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंच सकता है।  बीजेपी की तरफ से दलील रख रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने रविवार को अवकाश के दिन सुनवाई पर आपत्ति उठाई है। उन्होंने कहा कि ऐसी क्या इमर्जेंसी थी कि छुट्टी के दिन सुनवाई हो रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी सुप्रीम कोर्ट में मौजूद। कोर्ट ने उनसे पूछा कि आप किसका पक्ष रखेंगे। मेहता बोले- रात को याचिका दी गई इसलिए मैं कोर्ट में आया हूं।

-शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि महाराष्ट्र में जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट हो। सिब्बल ने कहा कि गवर्नर कैसे आश्वस्त हुए कि फडणवीस के पास बहुमत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर गवर्नर को लगता है कि किसी के पास बहुमत है तो वह उसे बुला सकते हैं।  कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आनन-फानन में राष्ट्रपति शासन हटाकर अचानक शपथ दिलवाई गई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन को हटाने की कैबिनेट से मंजूरी तक नहीं ली गई। सिब्बल ने कहा कि अगर बीजेपी के पास बहुमत है तो वह जल्द से जल्द साबित करे।

राज्यपाल ने फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया है। शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी ने अपनी याचिका में राज्य में 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण का आदेश देने की मांग की है। सीनियर ऐडवोके मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की तरफ से पक्ष रख रहे हैं। दूसरी तरफ महा विकास अघाड़ी की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी मुख्य तौर पर पक्ष रख रहे हैं। जस्टिस एन. वी. रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही है।


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