नाडा इंडिया फाउंडेशन एवम नाडा इण्डिया युवा नेटवर्क के तत्वाधान में भोगरवां जिले के राजकीय सीनियर सेकंडरी विद्यालय में तम्बाकू सेवन के दुष्प्रभावों को लेकर जागरूकता रैली निकाली गई। तंबाकू मुक्त भारत के निर्माण का आह्वान किया गया। नाडा इंडिया युवा नेटवर्क के मंगल सिंह एवम सन्नी सूर्यवंशी की पहल रंग लाई। भोगरवां विद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के सहयोग से यह रैली अभियान चलाया गया। राजकीय विद्यालय में तंबाकू उत्पादों वह कोटपा अधिनियम के तहत बच्चों को शपथ दिलाई गई। कोटपा संशोधन 2020 में शिक्षण संस्थानों के आसपास पॉइंट ऑफ सेल्स को बंद करने के लिए आवाज़ उठाई गई। तंबाकू बिक्री की आयु सीमा को 18-21 करने की मांग रखी गई।
स्कूल बैंड के साथ तंबाकू उत्पादों के ऊपर किया एक आकर्षक रैली निकाली गई। जिसमें प्रतिज्ञा के माध्यम से उन्हें जागरूक किया गया । युवा जागेगा तम्बाकू भागेगा! नारे का महत्व रेखांकित किया गया। विद्यार्थियो की भागीदारी से तम्बाकू की रोकथाम की दिशा में एक सराहनीय पहल ली गई। जागरुकता रैली में कुल 350 विद्यार्थियों समेत समस्त स्कूल स्टाफ ने भाग लिया। नाडा इंडिया युवा नेटवर्क के सदस्यों ने इसमें बढ़ चढ़कर साथ दिया। कोटपा अधिनियम 2003 के तहत नाडा इंडिया फाउंडेशन ने युवाओं के माध्यम से प्रदेश स्तरीय इस कैंपेन की शुरुआत शिक्षा विभाग के सहयोग से की है। जिसका मुख्य उद्देश्य कैंपस में स्वास्थ को सुनिश्चित करना है।
इस मौके पर विद्यालय के प्रिंसिपल कमल किशोर ने कहा कि नाडा इंडिया के पहल सराहणीय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के संदेश जन जन में ले जाने का काम हो रहा है। आज की यह रैली तंबाकू उत्पादों के नुकसान को लेकर जागरूता अभियान की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। स्कूल के आसपास 100 गज दायरे में तंबाकू उत्पादों को बेचना या खरीदना कानून के दायरे में आता है। कोटपा अधिनियम के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इसके लिए हमारे स्कूल परिसर में समय समय पर अनुपालन के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।
विधालय के एनएसएस यूनिट के रिंकू सिंह ने एनटीसीपी के बारे में बताया कि किया की भारत सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना एवम उत्पादन को नियंत्रित करना था। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हिमाचल प्रदेश में कराए गए 2013 सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में तम्बाकू सेवन कर प्रतिशत 16.1 है। जबकि धुम्रपान की व्यापकता 14.2 प्रतिशत है। धुम्रपान रहित तम्बाकू की व्यापकता देश में हालांकि 3.1 प्रतिशत के साथ सबसे कम है। वैश्विक वयस्क तम्बाकू सेवन द्वितीय सर्वे में पहले सर्वे की तुलना में आंकड़ों में तब्दीली आई है। सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क से इस समय राज्य में 32.5 प्रतिशत लोग घरों में प्रभावित हैं। जबकि सार्वजनिक स्थानों पर 12 प्रतिशत ।भारत में दुनिया में तंबाकू खपत की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। भारत में लगभग 27 फीसदी कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू है। 2017-18 में तंबाकू के उपयोग से होने वाली सभी बीमारियों और मौतों की वार्षिक आर्थिक लागत 177,341 करोड़ रुपयें रहा जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का एक फीसदी है।
स्वास्थ किसी भी देश की बड़ी पूंजी होती है। युवा शक्ति पूंजी होती है। तंबाकू एवम उससे जुड़े उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । इस समस्या के समाधान की दिशा में भोगरवां के राजकीय विद्यालय का कदम सराहनीय है। हिमाचल एन वाई एन राज्य समन्वयक मंगल सिंह ने कहते हैं कि कोटपा अधिनियम की जानकारी आमजन में बहुत कम है । युवाओं में स्वास्थ्य को लेकर चिंता कम है। ज़मीनी स्तर पर जागरुकता बढ़ाने के लिए कैंपेन चलाए जा रहे हैं। विद्यालय के बच्चों के द्वारा निकाली गई रैली से शिक्षण संस्थानों के आसपास में तम्बाकू को लेकर जागरूकता आएगी। स्कूली बच्चों में जागरूकता आएगी जोकि आगे बदलाव की नींव रखेगा। समाजसेवी सुनील वत्सयायन ने जागरूकता रैली की बारे में बात करते हुए कहा कि स्वास्थ्य महत्त्व की चीज होती है। युवाओं की सेहत बचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए।ऐसे अभियान भविष्य की नीव रखेंगे। बदलाव की कड़ी बनेंगे।
नाडा यंग इंडिया नेटवर्क इस दिशा में निरंतर सक्रिय रही है। युवाओं के स्वास्थ्य की दिशा में पिछले कई वर्षो से सक्रिय योगदान दे रही है। उन्होंने बताया कि देश में लगभग 13 मिलियन से ज्यादा लोग सालाना तंबाकू से उत्पन्न बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं । जबकि तंबाकू व नशाखोरी से ही दस मिलियन लोग इसकी लत में आकर गरीबी की और धकेले जाते हैं। । राज्य की दृष्टि से भी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। प्रदेश में 26.7% पुरुष,1.6% महिला तथा 14.2% कुल युवा धूम्रपान करते हैं। हालांकि 2016 के वैश्विक वयस्क तम्बाकू सेवन सर्वे ने हिमाचल प्रदेश को स्वर्ण श्रेणी में रखा था। तंबाकू से मुक्ति के लिए अभी कई यात्राएं की जानी शेष है। श्री वात्स्यायन ने चिंता जताई कि गत दस वर्षो में बीड़ी और सिगरेट बहुत ही किफायती उत्पाद बन गये हैं। बच्चों तक इनकी पहुंच आसान नहीं हैं।
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