शारदा केयर हेल्थसिटी ने PM-JAY के तहत बुजुर्ग महिला की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी सफलतापूर्वक की

By: Dilip Kumar
5/2/2025 6:39:45 PM
गाज़ियाबाद

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। जीरा देवी नाम की नोएडा की रहने वाली 80 साल की बुज़ुर्ग महिला, जो मूल रूप से बिहार की हैं, उनकी शारदा केयर हेल्थसिटी में गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए घुटना प्रत्यारोपण (नी रिप्लेसमेंट) सर्जरी सफलतापूर्वक हुई। यह हॉस्पिटल एक प्रमुख सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है। जीरा देवी पिछले छह सालों से घुटनों की गंभीर परेशानी के कारण चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ थीं और बिस्तर पर थीं। शुरुआती जांच में पता चला कि जीरा देवी को 'जेनू वेरम' नामक गंभीर घुटनों की समस्या थी। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें घुटनों के पास पैर बाहर की ओर मुड़ जाते हैं, जिससे खड़े होने पर दोनों घुटनों के बीच करीब एक फुट का फासला दिखाई देता है। यह समस्या इलाज में देरी के कारण हुई थी। उनकी हालत की गंभीरता को समझते हुए शारदा केयर हेल्थसिटी के ऑर्थोपेडिक्स और नी रिप्लेसमेंट विभाग के प्रमुख डॉ. वीरेन्द्र कुमार गौतम की अगुवाई में डॉक्टरों की एक टीम ने आयुष्मान भारत योजना के तहत तुरंत सर्जरी करी।

• घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) बहुत आम बीमारी है, जो 65 साल से ज़्यादा उम्र के लगभग 12.4 मिलियन (33.6%) लोगों को होती है।
• हिप रिप्लेसमेंट सबसे किफायती और लगातार सफल होने वाली सर्जरी में से एक है। यह सर्जरी हड्डियों से जुड़ी बीमारियों (ऑर्थोपेडिक्स) में की जाती है।
• महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने की दर 10.3% है, जो पुरुषों की तुलना में (5.7%) ज़्यादा है।

यह समस्या गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि हिप और घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) दुनिया भर में सबसे आम पुरानी गठिया की बीमारी है और साथ ही यह दर्द व विकलांगता का एक सबसे बड़ा कारण भी है। भारत में ऑस्टियोआर्थराइटिस दूसरी सबसे आम गठिया संबंधी बीमारी है, जो देश की 22% से 39% आबादी को प्रभावित करती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) उम्र बढ़ने के साथ तेज़ी से बढ़ती है और यह बीमारी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कहीं ज़्यादा पाई जाती है। 65 साल से ऊपर की लगभग 45% महिलाएं इसके लक्षण महसूस करती हैं और 70% महिलाओं के एक्स-रे आदि जांच में इसका साफ़ प्रमाण मिलता है। घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस खासकर बुजुर्ग महिलाओं में चलने-फिरने को प्रभावित करता है। दुनियाभर में ओए को नॉन-फेटल (जानलेवा नहीं) बीमारियों में 10वां सबसे बड़ा कारण माना गया है, जिससे यह पता चलता है, कि समय पर जांच और इलाज से यह ठीक हो सकता है।

शारदा केयर हेल्थसिटी के ऑर्थोपेडिक्स और नी रिप्लेसमेंट विभाग के एचओडी डॉ. वीरेन्द्र कुमार गौतम ने बताया कि, "जीरा देवी का मामला काफी पेचीदा था, क्योंकि उनकी समस्या बहुत गंभीर थी। उनके पैर बहुत ज्यादा मुड़े हुए थे, जिससे बिना सहारे खड़ा होना या चलना मुश्किल था। इस तरह के गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले न सिर्फ शारीरिक रूप से अपंग बनाते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत परेशान करते हैं। दुर्भाग्यवश कहें या की डर, गलतफहमियों या आर्थिक दिक्कतों की वजह से अकसर इसकी सर्जरी में देर हो जाती है। लेकिन इस तरह के गंभीर मामलों में घुटना प्रत्यारोपण (नी रिप्लेसमेंट) सर्जरी एक कारगर उपाय साबित होता है। यह चलने-फिरने की क्षमता, आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता वापस दिलाती है। ऐसी सर्जरी को लेकर बनी झिझक को दूर करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि समय पर की गई सर्जरी जीवन को बहुत हद तक बेहतर बना सकती है। हमें मरीज की शानदार रिकवरी देखकर बेहद खुशी है। अब वह बिना सहारे चलने में सक्षम हैं, जो सर्जरी की सफलता को दिखाती है और साथ ही आयुष्मान भारत योजना से ज़रूरतमंद लोगों तक बेहतर इलाज पहुँचाने का प्रमाण भी है।

आयुष्मान भारत योजना के तहत एक घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी सफलतापूर्वक हो चुकी है। चूँकि योजना के तहत दोनों घुटनों की सर्जरी एक साथ नहीं की जाती, इसलिए दूसरा ऑपरेशन लगभग एक महीने के बाद किया जाएगा। प्रदीप कुमार गुप्ता, फाउंडर - शारदा ग्रुप, चेयरमैन - शारदा केयर हेल्थसिटी और शारदा हॉस्पिटल, चांसलर - शारदा यूनिवर्सिटी ने कहा, "शारदा हॉस्पिटल और शारदा केयर हेल्थसिटी में हमारा दृष्टिकोण सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत - पीएम-जय से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है, जिसका उद्देश्य सभी के लिए बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा को पहुंच में और किफायती बनाना है। हम उन मरीजों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले, मुफ्त इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा जरूरत है, ताकि हम उनके जीवन को बदल सकें। आज, शारदा केयर में भर्ती लगभग 80% मरीज आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी हैं। हमारा लक्ष्य इस परिवर्तनकारी कार्यक्रम के तहत सबसे बड़ा स्वास्थ्य सेवा देने वाला बनना है, ताकि बेहतरीन चिकित्सा सेवाएं समाज के सबसे पिछड़े वर्गों तक पहुँच सकें, और भारत में स्वास्थ्य देखभाल के नए मानक स्थापित किए जा सकें।

बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा और सही जानकारी देने की अपनी समृद्ध धरोहर पर आधारित, शारदा यूनिवर्सिटी ग्रुप और शारदा अस्पताल, जो आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज करने के लिए प्रसिद्ध हैं। वह अब शारदा केयर हेल्थसिटी के लॉन्च के साथ अपने दृष्टिकोण का विस्तार कर रहे हैं। यह उनके परिसर में स्थित एक अत्याधुनिक मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है।


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