सत्य प्रकाश का कॉलम : सशक्त लोकतंत्र बनाने में जनसहयोग जरूरी

By: Dilip Kumar
3/11/2024 9:20:17 PM

विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत अपने स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण कर अमृत महोत्सव मान रहा है। भारतीय लोकतंत्र स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण करके आगे की गौरवमई यात्रा आरंभ कर चुका है । इसे अमृत काल कहा जा रहा है जिसमें वर्ष 2047 तक विकसित भारत की भव्य छवि प्राप्त करने का संकल्प सरकार ले रही है । आज बेरोजगारी,महंगाई और अपराधीकरण की प्रवृत्ती समाज में बढ़ती ही जा रही है। समाज में जातिवाद धर्मान्धता और लिंगभेद भी दिख रहा है।आज भारतवासियों को यह संकल्प लेना होगा हर भारतवासी का परम कर्तव्य बनता है कि वह आने वाले लोकसभा के आम चुनाव में जाति, धर्म ,वंश या लिंग के नाम पर वोट नहीं करना है।आपको ऐसे जनप्रतिनिधियों को चुनना है जो स्वच्छ छवि वाले हों, कोई आपराधिक पृष्ठभूमि न हो, अच्छे पढ़ें लिखे और समझदार हो,ये सामाजिक कार्यकर्ता और सकारात्मक मानसिक सोच रखने वाले हों।ये जनप्रतिनिधि जातिवाद, धर्मवाद और चमचागीरी जैसी घटिया सोच न रखते हों। जब आम जनता जाति धर्म और लिंग से ऊपर उठकर वोट करेंगे। ऐसे समस्त राजनैतिक दलों और उनके प्रत्याशियों को दरकिनार करेंगे जो जाति, धर्म और लिंग भेद की बात करके या अपराधीकरण को बढ़ावा देकर चुनाव जीतते आये हैं उन्हें नकारना है। उन्हें सबक सिखाना है। जो जनता की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा। जिस दिन देश से बेरोजगारी, भुखमरी, महंगाई और अपराधीकरण की प्रवृत्ती समाज से खत्म हो जाएगी उसी दिन अमृत महोत्सव के रूप मनाना तर्कसंगत होगा।

आज भारत के 96.88 करोड़ मतदाता आने वाले आम चुनाव में अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए तत्पर हैं । इसमें आमजन और खास जानकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। देश में सशक्त लोकतंत्र स्थापित करने के लिए राजनीतिक स्थायित्व का होना अत्यंत आवश्यक है । अब प्रश्न स्वाभाविक है कि राजनीतिक क्षेत्र में बढ़ते अपराधीकरण के कारण लोकतंत्र की जड़ें खोकली होती जा रही हैं । सरकार चाह कर भी राजनीतिक क्षेत्र में बढ़ते अपराध को रोक पाने में विवश है या असमर्थ है लेकिन जनता यदि चाहे तो स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशी चुनकर सशक्त लोकतंत्रात्मक सरकार और उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकती है।

भारत वासियों से मुख्यतः मतदाताओं से विनम्र आग्रह है कि वह आने वाले 2024 के आम चुनाव महोत्सव में न केवल बढ़ चढ़कर भाग ले बल्कि संकल्प ले कि जो व्यक्ति विशेष स्वच्छ छवि का है पढ़ा लिखा है वह उत्तम आचरण रखता है और कर्म सील समाज सेवा में सच्ची श्रद्धा रखता है उसको अपना जन प्रतिनिधि चुनकर भेजे । यह संभव तब ही होगा जब आम जनता संकल्प ले। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि राजनीति में अपराधीकरण की विचारधारा को बढ़ावा राजनीतिक दल कम आम जनता ज्यादा दे रही है या कहे राजनीतिक अपराधीकरण को राजनीतिक दल कम बढ़ावा देते हैं । आम जनता अधिक बढ़ावा दे रही है । दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि यदि आम जनता आम चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों के प्रति ईमानदारी का व्यवहार रखें उनसे चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार का लालच या लोभ न पाले मुफ्त की दारू या भोजन ना करें, किसी भी प्रकार का मुफ्त का उपहार जैसे साड़ी, अनाज, जोड़ियां, मोबाइल, लैपटाप या फिर कैश यदि कोई यह सब वितरित करना चाहे तो उसका खुलकर विरोध करें और ऐसे प्रत्याशी को वोट करें जो स्वच्छ ईमानदारी और साफ सुथरी छवि का है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि मुफ्त की रेवड़ियां बाद में बहुत भारी पड़ती हैं। जो समाज सेवा में गहरी आस्था रखता है किसी भी प्रकार का कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, पढ़ा लिखा है।

यदि ऐसे प्रत्याशी को जनता चुनने का संकल्प ले तो वह अपने और देश के हित में होगा। हम दागदार को बेदाग बनाकर अपना जन प्रतिनिधि नहीं बनाएंगे तो स्वाभाविक रूप से राजनीतिक दलों की भी हिम्मत नहीं है कि वह क्रिमिनल पृष्ठभूमि के दागदार प्रत्याशियों को अपना उम्मीदवार बनाएं । हम कह सकते हैं कि राजनीतिक अपराधी कारण के लिए राजनीतिक दलों से अधिक आम जनता जिम्मेदार है‌। इसलिए आने वाले लोकसभा के आम चुनाव में सशक्त लोकतंत्र विकसित राष्ट्र और समृद्ध साली जनमानस को बनाने के लिए विश्व स्तर पर भारत की छवि को सांस्कृतिक ,आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में पहचान या महाशक्ति या शक्तिशाली बनाने के दृढ़ संकल्प लेना होगा। यदि भारत के समस्त नागरिक यह संकल्प ले कि हम अपना जनप्रतिनिधि स्वच्छ छवि वाला समाज सुधार में विश्वास रखने वाला कर्मठ और संघर्षशील पढ़ा लिखा ही चुनेंगे जो बेदाग छवि का होगा अर्थात उसके ऊपर किसी भी प्रकार का अपराध या आपराधिक मामला नहीं बनता होगा । यदि कोई दागदार है क्रिमिनल है तो ऐसे उम्मीदवार को कदापि अपना प्रतिनिधि नहीं चुनेंगे चाहे वह राष्ट्रीय राजनैतिक दलों का हो या राज्य स्तरीय दलों का हो या क्षेत्रीय पार्टियों का ही क्यों न हो।तो निश्चित रूप से एक बेहतर लोकतंत्र या सशक्त लोकतंत्र स्थापित हो सकेगा।

वैसे तो भारत में अनेक राजनीतिक दल है किंतु चुनाव आयोग के अनुसार आज देश में 6 ही राष्ट्रीय राजनीतिक दल है जिनमें भाजपा ,कांग्रेस ,माकपा, नेशनल पीपुल्स पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी हैं जबकि 50 से अधिक क्षेत्रीय पार्टियां हैं । इस चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दल मुख्यतः दो घटकों में लामबंद है भाजपा में के नेतृत्व वाले राजग या एनडीए जिसमें आज 40 से अधिक दल है।और कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दल के आई एन डी आई ए अर्थात इंडिया जिसमें 30 से अधिक दल शामिल हैं। कुछ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल ऐसे भी है जो अकेले चुनाव में उतर रहे हैं हमें अर्थात देशवासियों को राजनीतिक पार्टी को वोट न देकर प्रत्याशी को देखकर परख कर वोट करना है यदि राजनीतिक पार्टी जातिवादी धर्म वादी या आपराधिक पृष्ठभूमि के आदमी को अपना प्रत्याशी बना रही है तो उसकी जगह पर बेदाग पढ़े लिखे समाजसेवी छवि के व्यक्ति को मौका दें । यदि ऐसा हुआ तो आने वाले समय में गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले राजनेताओं की प्रवृत्ति में निश्चित रूप से सुधार होगा और आए दिन बनने वाले तमाम राजनीतिक दलों की दर में भी स्वाभाविक रूप से कमी आएगी।

भारत वैसे ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है बल्कि करोड़ महिला मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी 49.72 करोड़ पुरुष मतदाता अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे 1.85 करोड़ पंजीकृत ऐसे मतदाता है जो 18 से 19 वर्ष की आयु के हैं जो अपने मत का पहली बार प्रयोग करेंगे यह संख्या आने वाले दिनों में बाढ़ भी शक्ति है। भारतीय मतदाताओं की संख्या विश्व के कई देशों की जनसंख्या से भी अधिक है इसमें पहली बार लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने को उत्साहित युवा मतदाताओं पर सभी दलों की निगाहें रहेंगे । 543 लोकसभा सीटों पर विभिन्न राजनीतिक दल अपने भाग्य को आजमाएंगे।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन पर गौर करें तो भाजपा 303 लोकसभा सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी जिसे आम चुनाव में 37.7 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। जबकि कांग्रेस 52 सीट जीतकर 19.7 प्रतिशत वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रही थी तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी जो 2019 के चुनाव में 10 सीट जीतकर 3.66 प्रतिशत वोट हासिल की थी हालांकि 2014 के चुनाव में तो वह 4.1 प्रतिशत वोट हासिल करके एक भी सीट प्राप्त नहीं कर सकी थी लेकिन वोट शक्ति के आधार पर वह देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही । ध्यान रहे 1951 - 52 के प्रथम आम चुनाव में 14 राष्ट्रीय पार्टियों शामिल हुई थी आज यह केवल अच्छा रह गई है। ऐसा नहीं की राष्ट्रीय पार्टियों में कमी आ रही है बल्कि राष्ट्रीय पार्टियों के प्रति आम जनता का मोह भंग होता जा रहा है करण राष्ट्रीय पार्टियां जनता पर कम पार्टी पर ज्यादा ध्यान देती हैं। इसलिए क्षेत्रीय पार्टियों सशक्त होती गई और आज क्षेत्रीय पार्टियों के दम पर राष्ट्रीय पार्टियों स्वयं को स्थापित कर रही है यदि हम भाजपा जो भारत की सबसे बड़ी ताकत और राजनीतिक शक्ति है आज उसके साथ 40 दल सहयोगी के रूप में है।

यदि उनको पृथक कर दिया जाए तो राष्ट्रीय पार्टी के रूप में शायद वह स्वयं को स्थापित कर सके यही हाल कांग्रेस का है जिसकी सपोर्ट में तीसरा राजनीतिक क्षेत्रीय दल है यदि वह दूरी बना ले तो कांग्रेस अभी तो सदन में विपक्ष के नेता की हैसियत नहीं प्राप्त कर सकी पर वह राष्ट्रीय दर्जा भी खो बैठेगी इसलिए राजनीतिक दलों को पार्टी से अधिक लोगों को महत्व देना चाहिए जब राजनीतिक दल आम जनता को महत्व देंगे तो फिर धर्म जाति संप्रदाय जैसी घटिया सोच स्वयं ही खत्म हो जाएगी फिर आदमी जाति धर्म या संप्रदाय से के नाम पर वोट नहीं करेगा बल्कि प्रत्याशी के नाम पर वोट करेगा यह सुधार जनता के माध्यम से ही संभव हो सकता है। जनता संकल्प ले हम गलत न करेंगे न करने देंगे ,न चुनेंगे और न ग़लत को चुनने देंगे ऐसा करने पर ही सुधार प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।

भारत के विकास की दिशा और दशा तय करने वाले आम चुनाव 2024 की जल्द ही घोषणा होने वाली है । विकसित राष्ट्र के लिए और बेहतर आर्थिक स्थिति हो , प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो , इस आशय से आम नागरिकों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा , खाद्य ,जल की उपलब्धता रोजगार सृजन ,गरीबी उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी देश की स्थिति मजबूत हो यह तभी संभव है जब भारतीय इस चुनाव में स्वच्छ शब्द वाले गैर आपराधिक पृष्ठभूमि के पढ़े-लिखे व्यक्ति को अपना जनप्रतिनिधि बनाएं। मुफ्त में या फ्री की रेवड़ियां बांटने वालों को मुंहतोड़ जवाब दें आम जनता आने वाले समय में आंख खोलकर बुद्धि और विवेक से काम ले । अभी अगर बुद्धि और विवेक से कम लिया तो आने वाले 5 साल तक विकसित भारत और सशक्त लोकतंत्र में सहयोग कर सकेंगे। आम नागरिकों से अपेक्षा है कि जो 75 साल में अब तक संकल्प नहीं लिया अब संकल्प लें कि "सही का चुनाव करेंगे, गलत को दरकिनार करेंगे" तब ही एक विकसित राष्ट्र की एक विकसित समाज की और एक सशक्त लोकतंत्र की हम कल्पना कर सकते हैं । देश को और समाज को सही मार्ग प्रदान कर सकते हैं ।जब जाएंगे तभी सवेरा यह सोचकर जब भारतीय आगे बढ़ेंगे तो हमारा देश भी आगे बढ़ेगा हर भारतीय अपने मताधिकार का बुद्धि और विवेक से प्रयोग करेंगा तो निश्चित रूप से भारत का विकास और भारतीयोंका कल्याण हो सकेगा।

लेखक
सत्य प्रकाश
(प्राचार्य)
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़


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