“ट्विंकल टोज़ पार्ट 2” में अवीकल कक्कड़ की प्रस्तुति से सजी एक अविस्मरणीय शाम

By: Dilip Kumar
6/21/2025 7:18:05 PM
नई दिल्ली

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। बॉलीवुड के स्वर्णिम युग को समर्पित एक शानदार शाम का गवाह बना इंडिया हैबिटेट सेंटर, द थिएटर, जहाँ प्रस्तुत हुआ “Twinkle Toes Part 2” — एक बहुआयामी मंचीय प्रस्तुति, जो बॉलीवुड की नृत्य और संगीत परंपरा को 1980 के दशक से वर्तमान तक के रंगों में पिरोती है। अवीकल कक्कड़ द्वारा रचित, निर्देशित और प्रस्तुत यह कार्यक्रम एक सजीव चलचित्र-सा अनुभव था, जिसमें संगीत, नृत्य और भावनाओं का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। कार्यक्रम का निर्माण सोहैला कपूर और अनुराधा दार ने थ्री आर्ट्स क्लब और कात्यायनी प्रोडक्शन के बैनर तले किया। दिल्ली के कला प्रेमियों ने बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लिया और भावविभोर होकर इसे सराहा।

कार्यक्रम के केंद्र में रहे अवीकल कक्कड़, जो इस शो के सूत्रधार, निर्देशक और प्रमुख कलाकार हैं। एक कुशल अभिनेता, कोरियोग्राफर और गायक के रूप में कक्कड़ ने अपनी बहुआयामी प्रतिभा से दर्शकों को बाँधे रखा। उनकी प्रस्तुति केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक अनुभव थी, जो बॉलीवुड की धड़कनों को मंच पर सजीव करती है। बचपन से कला-संस्कृति से जुड़े अवीकल कक्कड़, एक विशिष्ट संगीत परंपरा से आते हैं। उन्होंने महिम जंक्शन, मीरा, एक दो तीन जैसे मंचीय नाटकों में अभिनय किया है, साथ ही जस्सी जैसी कोई नहीं, प्यार के दो नाम, मेरी आवाज़ को मिल गई रोशनी, पलकी, और एमटीवी फुल्ली फालतू जैसे टीवी धारावाहिकों में अपने यादगार किरदारों से दर्शकों का दिल जीता है।

फिल्मों की बात करें तो उन्होंने हमदम, आशा किरण जैसी फिल्मों में अभिनय किया है। कोरियोग्राफर के रूप में उन्होंने तेरा जादू चल गया, सोचा न था, और कई विज्ञापन अभियानों (अमूल मिल्क, थम्स अप, फिएट पालियो) में नृत्य निर्देशन किया है। पं. बिरजू महाराज से कथक में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अवीकल कक्कड़ ने ऐशले लोबो, स्टेसी फर्नांडेज़ और फर्नांडो से बैले और जैज़ में भी शिक्षा ली है। वे भारत में अपनी तरह के पहले जैज़ नृत्य विद्यालय “Ace Dance Academy” के संस्थापक भी हैं।

“ट्विंकल टोज़ पार्ट 2” के बारे में अवीकल कक्कड़ कहते हैं: “यह शो बॉलीवुड की नृत्यात्मक आत्मा के प्रति मेरा प्रेम-पत्र है। हर ताल, हर मुद्रा में मैंने उस संगीत और गति को सम्मान देने का प्रयास किया है, जिसने हमारी पीढ़ियों को गढ़ा है। यह प्रस्तुति हमारी सिनेमा परंपरा और नृत्य, कहानी और भारतीय आत्मा के बीच के अमर संबंध का उत्सव है।”


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