ईवीएमएसद ने कानून की धज्जियां उड़ाते अवैध ई-रिक्शों पर चिंता जताई
By: Dilip Kumar
7/4/2025 1:24:59 PM
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। पूरे भारत के 200 से अधिक संगठित और एमएसएमई ईवी निर्माताओं के संघ ईवीएमएस ने आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस वार्ता कर भारतीय इलेक्ट्रिक परिवहन के क्षेत्र की दी बड़ी चुनौतियां सामने रखी। इनमें एक गैर-कानूनी ढंग से ई-रिक्शा का संचालन और दूसरा निम्म्हरीय गुणवत्ता के आयात में बेतहासा वृद्धि शामिल है। सत्र की अधाक्षता ईवीएमएस के महासचिव और अनुभवी इस उद्योग के राजीव तुली ने की। उन्होंने इन गंभीर चिंताओं को दूर करने के लिए मजबूती से कुछ अहम बातें रखीं जैसे तत्काल नीतिगत कदम उठाना, नियामक स्पष्ट करना और सभी भागीदारों का इस दिशा में एकजुट प्रयास। भारत की स्वच्छ परिवहन शांति में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देने वालों में ई-रिक्शा सबसे तेजी से सामने आया है। आज देश भर में 50 लाख से अधिक ई-रिक्शा चल रहे हैं। इन्हें ई-रिक्शा और ई-कार्ट के लगभग 500 एमएसएमई निर्माताओं का आधार मिला है। इस सेक्टर के बढ़ने से पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक लाभ दोनों मिल रहे हैं।
ई-रिक्शा पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक लाभ देते हैं। प्रतिदिन अब से अधिक ग्रीन किलोमीटर की दूरी तय करते हुए लगभग 4 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम कर रहे है। यह लाभ 2 अरब पेड़ लगाने के बराबर है। इनका चलन बढ़ने के साथ ये 98 प्रतिशत पेर से चलने वाले रिक्सा की जगह ले चुके है। इससे हर दिन लगभग 50 मिलियन लीटर पेट्रोल की बचत होती है और भारत पर ईधन आयात का बोझ कम होता है। इस सेक्टर में खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में 50 लाख से अधिक लोग प्रलाक्ष और 75 लाख से अधिक लोग अप्रत्युक्ष रोजगार कर रहे है। आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों को रोजगार मिल रहे हैं। ई-रिक्शा विप्रस्थती और कारगर है इसलिए लाखु-माइल कनेक्टिविटी के लिए लाखों लोगों की पसंद बन गए हैं। पे सभी महानगरों के मेट्रो रेल नेटवर्क को सहधोग दे रहे हैं।
लेकिन ऐसे तमाम योगदान के बावजूद ई-रिक्शा के बारे में गलत धारणाएँ बनी हुई हैं। इस संबंध में ईवीएमएस ने यह स्पष्ट किया कि सुरक्षा को लेकर जो भी चिताएँ हैं मुख्य रूप से अवेध, अपंजीकृत और अस्तरीय वाहनों की वाजह से हैं। ये वाहन नियामकों का अनुपालन नहीं करते है करते हैं। दूसरी ओर अनुपालन करने वाले ई-रिक्शा के प्रमाणन और पंजीकरण से पहले उन्हें अधिकृत एजेंसियों के कठोर परीक्षण से गुजरना होता है। यातायात में बाथक और असुरक्षित होने की बात उन वाहनों पर लागू होती है जो नियामबों का पालन नहीं करते हैं। ज़िम्झेदार निर्माताओं के ई-वाहन मान्यताप्राप्त और सड़कों पर बलने के लिए सुरक्षित हैं। इस सिलसिले में ईचीएमएस प्राधिकारणों के साथ मिल कर फिटनेस जांच सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है। साथ ही, अवैध वाहनों को जब्त किए जाने पर जोर देगा।
आज यह समझना जरूरी है कि वैद्य, नियामक अनुपालन करने वाले और अवैध, असहीकृत ई-रिक्शा इन सब के बीच क्या अंतर हैं। ई-रिक्शा वैध है यदि सड़क परिवहन का पंजीकरण, एक नंबर प्लेट, एक चेसिस नंबर, एक नियमाक अनुपालन पोट, बीमा और फिटनेस प्रमाणपत्र है। ये वाहन मान्यताप्राप्त ओईएम पार्ट्स लगाते है और सुरक्षा और गुणवत्ता के सभी मानकों को पूरा करते हैं। दूसरी ओर, अवैध ई-रिक्शा अक्सर बिना पंजीकरण, नंबर प्लेट या वैध चेसिस नंबर के चलते हैं। बड़ी संख्झा में पैडल रिक्सा इलेक्ट्रिक वाहन में बदल दिए गए हैं। ये सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरते। इनके पास न तो कम्प्लायंस पूजेंट और न ही बीमा होता है। इन्हें बनाने के लिए निम्स रस्रीय पार्ट लगाए जाते हैं जो जांच-परखे नहीं होते हैं। फिटनेस सर्टिफिकेट या सड़क पर चलने की योग्यता का प्रमाण नहीं मिलने की बजह से ये वाहन यात्रियों के लिए जोखिम पैदा करते हैं और इस सेक्टर की विश्वसनीयता तार-तार कर रहे हैं।
इस सेक्टर की तेजी को लेकर कोई संदेह नहीं है, परंतु अवैध ई-रिक्शा की बेलगाम वृद्धि एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। ईबीएमएस के अनुमान से आज लगभग 4.75 लाख अपनीकृत ई-रिक्या भारतीय शहरों में चल रहे हैं। इनके लिए क्युआर कोड, चालक का प्रमासन या पंजीकरण जैसी कोई जरूरी चीज लागू नहीं होती है। Age ईवीएमएस के महासचिव राजीव तुली ने बताया कि व्यूआर कोड जारी करने में देरी और सुव्यवस्थित पंजीकरण प्रक्रिया के अभाव में अवैध ऑपरेटर फल-फूल रहे हैं। इससे न सिर्फ सार्वजनिक सुरक्षा खतरे में है, बल्कि उन निर्माताओं के लिए गैर-कानूनी ढंग से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है जी गुणवत्ता में निवेश और नियामक अनुपालन करते हैं। इस बीच अस्सीय ईवी कम्पोनेंट और चेसिस का आयात तेजी से बढ़ने के चलते यह चुनौती और बढ़ गई है। 2021 और 2024 के बीच मोटर आयात 320 करोड़ रु. से बढ़कर 870 करोड़ रु. हो गया, जबकि कंट्रोलर का आयात 140 करोड़ रु. से बढ़कर 410 करोड़ रु. का हो गया। इन आयातों में बड़ा हिस्सा खास कर चीन से होता है जो भारतीय गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करता है और सहदेशी परिचालन व्यवस्था के लिए हानिकारक है।
अस्त्रीय आयात का वाहन के कार्य प्रदर्शन और यात्रियों की सुरक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ता हैं। इससे घरेलू एमएसएमई सप्लायर्स को भी नुकसान पहुंच रहा है। बाजार में उनकी हिस्खोदारी पहले ही 35 प्रतिशत नीचे गिर गई है। श्री तुली ने इस रुझान को आत्मनिर्भर भारत मिशन के लिए एक झटका और घरेलू नवाचार के लिए सीधा खतरा बताया। LEVA सुरक्षा पर बहुत बुरा ईवीएमएस ने इस मामले में कानून प्रवर्तन व्यवस्था में भी कुछ खामियां बताई जैसे कि अवैध वाहनों को जब्त करने और स्क्रैप करने के लिए पर्याप्त स्थान का अभाव और पुराने हो चले ई-रिक्शा के लिए स्क्रैप की स्पष्ट नीति का अभाव। इन चिंताओं की ठोस वजह बताते हुए ईवीएमएस ने एक विस्मृत डोजियर भी प्रस्तुत किया। इसमें अवैध वाहनों की जब्शी सबंधी आरटीआई के उत्तर, दिल्ली उच्च न्झायालय के निर्देश, ईवी नियामक अनुपालन पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की अधिसूचनाएं और दिल्ली परिवहन विभाग के सर्कुलर सभी शामिल किए गए।
ईवीएमएस ने जिलेवार गैप पेश कर अवैध संचालन के हॉटस्पॉट, आयात रुझान के डेटा, अनुगवश्यक ईवी पार्टस की गुणवत्ता की तुलना की और एक प्रलोचार्ट भी पेश किया जो दर्शाता है कि कैसे अनियंत्रित आयात से स्मृदेशी उत्पादन क्षमता कमजोर पड़ रही है। श्री तुली ने अपनी बात पूरी करते हुए नीति निर्माताओं से निर्णायक कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में ईवी का यह नया दौर सफल नहीं होगा यदि गुणवत्ता में समझौता, सुरक्षा पर गातरा या अस्सुरीय आपात का सिलसिला चलता रहा। देश के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को विश्वसनीय, प्रतिस्पर्थी और सुरक्षित बनाने के लिए मौजूदा नियमों को लागू करना, सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना और भारतीय निर्माताओं को सशक्त बनाना आवश्यक है।