104 साल बाद 27 जुलाई को दुर्लभ चंद्रग्रहण

By: Dilip Kumar
6/26/2018 1:07:34 PM
नई दिल्ली

104 साल बाद 27 जुलाई को दुलर्भ चंद्रग्रहण लगने जा रहा है, जिसका चार राशियों पर खास असर रहेगा और इस दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा। ज्योतिषियों का कहना है कि यह चंद्रग्रहण बेहद खास है। ऐसे में लोगों को बेहद सावधानी बरतनी होगी। शनि मंदिर के शास्त्री पंडित उदयवीर ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा पर 27 जुलाई की रात खग्रास चंद्रग्रहण होगा। 27 व 28 जुलाई को 3 घंटे 55 मिनट का खग्रास चंद्रग्रहण होगा। पूरे देश के साथ-साथ यमुनानगर और आसपास के क्षेत्र में भी इसे देखा जा सकेगा। 104 साल बाद ये संयोग बन रहा है। पंडित जी ने बताया कि इस ग्रहण का प्रभाव चार राशियों मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन के लिए श्रेष्ठ है। वहीं मिथुन, तुला, मकर और कुंभ के लिए यह चंद्रग्रहण नेष्ट है।

इन राशि वाले लोग ग्रहण के दौरान भगवान शिव और हनुमान की आराधना कर ग्रहण के प्रभाव को अनुकूल बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि खग्रास चंद्रग्रहण का ग्रह गोचर के अनुसार अलग-अलग प्रभाव होगा। ग्रह गोचर में मकर राशि के केतु के साथ चंद्रमा का प्रभाव और राहु से उसका समसप्तक दृष्टि संबंध होना, युति कृत मान से कर्क राशि में राहु, सूर्य, बुध तथा मकर राशि में चंद्र, केतु, मंगल युति कृत दृष्टि संबंध होना, दो तरफा केंद्र योग का बनना और शनि व मंगल का वक्री होना अपने आप में विशेष घटना है।

हालांकि यह अच्छा नहीं माना जाता है। सूतक-आषाढ़ पूर्णिमा ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटा पहले शुरू होगा। मोक्ष तड़के 3.55 बजे होगा। ग्रहण स्पर्श रात 11:45 बजे। ग्रहण सम्मिलन रात 1 बजे। उन्मूलन रात 2:45 बजे होगा। सूर्यग्रहण में ग्रहण के 4 पहर पूर्व और चंद्र ग्रहण में 3 पहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बुजुर्ग, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं। जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। ग्रहण वेद के प्रारंभ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग नहीं करना चाहिए। ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।


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