कॉन्गो के डेनिस और इराक की नादिया को शांति का नोबेल

By: Dilip Kumar
10/5/2018 4:12:53 PM
नई दिल्ली

शांति का नोबेल इस साल काॅन्गो के डेनिस मुकवेज और नादिया मुराद को दिया जाएगा। शुक्रवार को नोबेल नॉर्विजियन कमेटी ने इसका ऐलान किया। युद्ध के दौरान होने वाले यौन हिंसा की रोकथाम के प्रयास के लिए डेनिस और नादिया को इस अवॉर्ड के लिए चुना गया। कॉन्गो के रहने वाले मुकवेज जाने-माने सर्जन और बुकावु शहर में पनजी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर हैं। यौन हिंसा पर लगाम लगाने और यौन हिंसा के शिकार लोगों को बचाने के लिए मुकावेज काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं। नोबेल कमेटी के अध्यक्ष बेरिट रीस एंडरसन ने कहा कि दोनों विजेताओं ने मासूमों को बचाने के लिए कई बार अपनी जान जोखिम में डाली।

मुराद इराक की मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। वे उन हजारों यजीदी लड़कियों में से हैं, जिन्हें आईएसआईएस के आतंकियों ने अगवा करके सेक्स स्लेव बना दिया था। वे मोसुल के रास्ते किसी तरह अपनी जान बचाकर आतंकियों के कब्जे से बच निकली थीं। 2016 में अमेरिकी कांग्रेस के सामने अपने भाषण में उन्होंने अमेरिका से आईएस को खत्म करने की अपील की थी। नोबेल कमेटी ने उन्हें हजारों महिलाओं की आवाज बनने के लिए बधाई दी।

नादिया ने सुनाई थी आपबीती

नादिया ने अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की सिक्योरिटी काउंसिल में बयान दिया था. उन्होंने बताया था कि आईएसआईएस के आतंकी उसके साथ शारीरिक और मानसिक अत्याचार करते थे और उसके बेहोश होने तक उसके साथ रेप करते थे. उसने बताया कि आतंकी उसे उठाकर इराक के मोसुल लेकर गए थे.

सेक्स स्लेव की तरह रखा गया

नादिया ने खुलासा किया था कि साल 2014 में आईएसआईएस के आतंकियों ने 150 यजिदी परिवारों के साथ यजीदि लड़कियों का अपहरण कर लिया था. सभी को मोसुल लेकर गए और उन्हें सेक्स स्लेव के तौर पर रखा गया. बता दें कि इराक के सिंजर में याजिदी समुदाय के लोग रहते थे. इसी गांव के कोचों में नादिया का घर था. अचानक एक दिन आईएसआईएस आतंकी पहुंच गए और फरमान किया कि सभी कोई इस्लाम कुबूल कर लें. नादिया ने बताया कि आतंकियों ने घर के बाहर निकाल गांव के 300 पुरुषों और गांव की बूढ़ी औरतों को गोली मार दी. इसके बाद महिलाओं को बस में भरकर अपने साथ लेते गए.

 


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