मान्यता है कि मां गंगा पृथ्वी पर पहली बार गंगा दशहरा को अवतरित हुईं। लेकिन, जाहनू नामक ऋषि ने गंगा का पूरा जल पी लिया। देवताओं और राजा भागीरथ के याचना करने पर उन्होंने गंगा सप्तमी के दिन गंगा के जल को मुक्त किया। तभी से इस दिन को मां गंगा के पुनर्अवतरण और जाहनु सप्तमी के नाम से जाना जाता है। ऋषि जाहनु के मुख से पुनर्जन्म लेने के कारण मां गंगा का एक नाम 'जाह्नवी' भी पड़ा।
कहा जाता है कि गंगा सप्तमी पर मोक्षदायिनी मां गंगा में डुबकी लगाने से दस पापों का हरण होता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा पूजन एवं स्नान से यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। मां गंगा तीनों लोक देवलोक, मृत्युलोक और पाताल लोक को अपने पवित्र जल से तृप्त करती हैं। स्वर्ग में मां गंगा को मंदाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं।
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