राजनेता बने सनी देओल के टॉप 10 फिल्मी डायलॉग

By: Dilip Kumar
4/24/2019 3:01:09 AM
नई दिल्ली

सनी देओल अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। राजनीति में कदम रखने पर ऐक्टर ने कहा कि पार्टी से जुड़ने के बाद उनसे जो बन पड़ेगा वह करेंगे। वैसे बतौर अभिनेता सनी देओल के बारे में बात करें तो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को कई हिट मूवीज दी हैं, जिनमें से कुछ के डायलॉग्स तो आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं।

हम आपके लिए लाए हैं सनी के टॉप  डायलॉग।
1. ये मज़दूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है! ये ताकत ख़ून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है. मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं.
– काशी, घातक (1996)

2. चड्‌ढा, समझाओ.. इसे समझाओ. ऐसे ख़िलौने बाज़ार में बहुत बिकते हैं, मगर इसे खेलने के लिए जो जिगर चाहिए न, वो दुनिया के किसी बाज़ार में नहीं बिकता, मर्द उसे लेकर पैदा होता है. और जब ये ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है न तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है.
– गोविंद, दामिनी (1993)

3. अशरफ अली! आपका पाकिस्तान ज़िंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान ज़िंदाबाद है, ज़िंदाबाद था और ज़िंदाबाद रहेगा! बस बहुत हो गया.
– तारा सिंह, गदर: एक प्रेम कथा (2001)

4. झक मारती है पुलिस. उतारकर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंतराय का पट्‌टा अपने गले में यू बा**र्ड. ऑन माई फुट, माई फुट! अंधेर नगरी है ये. बस. ऐसे गरीब, कमज़ोर लोगों पर दिखाओ अपनी मर्दानगी. वर्दी का रौब. इन्हीं हाथों को बांध सकती हैं तुम्हारी हथकड़ियां. बलवंतराय के नहीं. जाकर दुम हिलाना उसके सामने. तलवे चाटना. बोटियां फेंकेंगे बोटियां. अच्छा कर रहे हो इंस्पेक्टर, बहुत अच्छा कर रहे हो तुम. बहुत तरक्की मिलेगी तुम्हे, मेडल्स मिलेंगे. अरे भागकर कहां जा रहे हो बात सुनो मेरी! आई विल ड्रैग यू टू द कोर्ट यू बा**र्ड, यू आर गोना पे फॉर दिस.
– अजय मेहरा, घायल (1990)

5. चिल्लाओ मत इंस्पेक्टर, ये देवा की अदालत है, और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाज़त नहीं.
– देवा, ज़िद्दी (1997)

6. हलक़ में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा हरामख़ोर.. उठा उठा के पटकूंगा! उठा उठा के पटकूंगा! चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले!
– काशी, घातक (1996)

7.  क्या चाहता है? क्या चाहता है तू? मौत चाहता है? तेरे सारे कुत्तों को मैंने मार दिया, मगर वो राजू को कुछ नहीं कर सके, वो जिंदा है. तेरा कोई भी बारूद, कोई भी हथियार उसे मार नहीं सकता. आज के बाद तेरी हर सांस के पीछे मैं मौत बनकर खड़ा हूं.
– करण, जीत (1996)

8. तेरा गुनाहों का काला चिट्‌ठा मेरे पास है इंस्पेक्टर. तुझे कानून की ठेकेदारी का लाइसेंस मिले छह साल हुए, और उन छह सालों में तूने अपने लॉकअप में, पांच लोगों को बेहरमी से मौत के घाट उतार दिया.
– देवा, ज़िद्दी (1997)

9. चिल्लाओ मत, नहीं तो ये केस यहीं रफा-दफा कर दूंगा. न तारीख़ न सुनवाई, सीधा इंसाफ. वो भी ताबड़तोड़.
– गोविंद, दामिनी (1993)

10. जिस वकील को मारने के लिए तूने अपने आदमी भेजे थे वो अशोक प्रधान.. देवा का बाप है. अगर दोबारा तूने ऐसी ग़लती की तो तेरा वो हश्र करूंगा कि तुझे अपने हाथों से अपनी ज़िंदगी फिसलती हुई नज़र आएगी.
– ज़िद्दी (1997), देवा

 


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