देवाधिदेव महादेव का प्रिय अस्त्र ''पाशुपतास्त्र''

By: Dilip Kumar
7/13/2019 7:34:25 PM

त्रिशूल के बाद यह सबसे शक्तिशाली शस्त्र है जिसके प्रहार से सारी सृष्टि नष्ट हो सकती है। अर्जुन ने यह अस्त्र का उपयोग इसी कारण नहीं किया था। केवल शिव के अस्त्र या विष्णु का सुदर्शन चक्र ही इसे निष्प्रभाव कर सकते हैं। पुराणों के अनुसार त्रिशूल के अतिरिक्त, शिव के पास चार शूल वाला एक और परम शक्तिशाली अस्त्र हैं, जिसे पाशुपतास्त्र कहा गया है।

मान्यता हैं कि शिव पाशुपतास्त्र से दैत्यों का संहार करते हैं तथा युग के अंत में इससे सृष्टि का विनाश करेंगे। पाशुपतास्त्र एक प्रकार का ब्रह्मशिर अस्त्र हैं। वस्तुत: ब्रह्मशिर अस्त्र एक प्रकार का ब्रह्मास्त्र है। सभी ब्रह्मास्त्र ब्रह्मा द्वारा निर्मित अति शक्तिशाली और संहारक अस्त्र हैं। ब्रह्मशिर अस्त्र साधारण ब्रह्मास्त्र से चार गुना शक्तिशाली हैं। साधारण ब्रह्मास्त्र की तुलना आधुनिक परमाणु बम तथा ब्रह्मशिर अस्त्र की तुलना हाइड्रोजन बम से की जा सकती हैं। ब्रह्मशिर अस्त्र के सिरे पर ब्रह्मा के चार मुख दिखाई पड़ते हैं, अत: दिखने में यह एक चतुर्शूल भाला अथवा एक तीर हैं।

इतिहासकारों के अनुसार चतुर्शूल शिव की सवारी नंदी बैल के पैर के निशान और शिव के हथियार त्रिशूल का मिश्रण है। पाशुपतास्त्र का मेघनाद ने रामायण कालीन राम- रावण युद्ध में इस्तेमाल किया था। मेघनाद अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रह्मदंड अस्त्र, नारायणास्त्र और पाशुपतास्त्र पर विजय प्राप्त की थी। पुरातन भारतीय शास्त्रों के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि पाशुपतास्त्र जब इस्तेमाल किया जाता था तो अपने आस-पास की सभी चीजों को मिटा देता था। जब इसे चलाया जाता था तो कई दैत्य, शैतान, आत्माएं आ जाती थीं और इसे और शक्तिशाली कर देती थीं।

इसकी तुलना आज के समय के बायोलॉजिकल बम से की जा सकती है, जिसे एक बार चलाया जाए तो कई वायरस फैल जाते हैं और टारगेट एरिया में मौजूद सभी चीजों को तबाह कर देते हैं। प्लेग, इबोला जैसी वायरस जनित अनेक तरह की बीमारियां फैल जाती हैं। शिव, माता शक्ति और काली ये तीनों देवतायें मन, आंखे, शब्द, या फिर तीर से आवाहित कर सकते हैं। भगवान शिव इसका उपयोग दुनिया के अंत में सब कुछ नष्ट करने के लिए करते हैं।

शिव का यह अस्र ब्रम्हास्त्र और ब्रम्हाशिर अस्त्र से भी ज्यादा विध्वंसकारी हैं। शिव स्वयं महाकाल हैं, उनमें इतनी शक्ति व्याप्त है कि कोई उन्हें हरा नहीं सकता। विश्व का सबसे शक्तिशाली अस्त्र पाशुपतास्त्र भी उन्ही के पास है। पशुपति शब्द का अर्थ होता है शिव या वह जो सभी जीवितों का भगवान है। पाशुपतास्त्र के सामने कोई भी जीवित या मृत चीज टिक नहीं सकती, यहाँ तक ये ब्रह्मा के बनाये अस्त्र ब्रम्हास्र और ब्रम्हाशिर को निगल सकता है।

पुराणों के अनुसार आवाहित अथवा चलाये गये पाशुपतास्र का वर्णन एक पैर, बड़े दात 1000 सिर, 1000 धड़ और 1000 हाथ, 1000 आंखे और 1000 जिह्वाओं के साथ अग्नि की वर्षा करता है। यह अस्त्र तीनों लोकों को एक साथ नष्ट कर सकता था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार अश्वमेध यज्ञ के समय राजा वीरमनी की रक्षा के लिए आये शिव को श्रीराम द्वारा चलाये गये पाशुपतास्त्र को अपने हृदय में सहना पड़ा था।

पाशुपतास्त्र सीधा शिव के हृदय स्थल में समा गया था। महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन ने भगवान शिव से इस प्राप्त किया था, शिव ने किरात अवतार लेकर पहले अर्जुन की परीक्षा ली थी, और इसके बाद ही पशुपतास्र अर्जुन को दिया था। पाशुपतास्र देते समय शिव ने अर्जुन से कहा था यह अस्त्र किसी भी मनुष्य, देवता, देवताओ के राजा, यम, यक्षों के राजा, वरुण किसी के भी पास नहीं है। महाभारत युद्ध के समय कर्ण के साथ भी पाशुपतास्त्र का उल्लेख है। इस अस्त्र को योद्धा किसी कम ताकतवर दुश्मन पर चलाये तो यह तीनों लोकों की चल-अचल सभी चीजो को नष्ट कर देगा। महाभारत काल में अर्जुन अकेला मनुष्य था जिसे पाशुपतास्त्र मालूम था।

महाभारत में एक और अस्त्र पाशुपत

महाभारत में एक और अस्त्र पाशुपत का उल्लेख आता है, जो भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को पता था, जो भगवान् शिव से सम्बंधित था। शिव पाशुपतास्त्र को आँखों, दिल या शब्दों से भी आवाहित कर सकते थे, परन्तु उन्होंने जो पाशुपतास्त्र अर्जुन को दिया था, वह पाशुपतास्त्र दिव्य तीर और धनुष के रूप में दिया था। कुछ विद्वानों के अनुसार अर्जुन ने इस अस्त्र से जयद्रथ का वध किया था। परन्तु इसके बारे मे विद्वानो में मतभेद है। कुछ विद्वान मानते हे कि उस समय सिर्फ इसका उल्लेख किया गया था। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने यह अवश्य कहा था कि अगर तुम्हें पाशुपतास्त्र स्मरण है तो तुम जयद्रथ का निश्चित ही वध करोगे। पर इसका उपयोग करने का स्पष्ट उल्लेख महाभारत में नहीं मिलता, और कई विद्वानों के अनुसार जिस अस्त्र का उपयोग अर्जुन ने किया था, वो पाशुपतास्र से बिलकुल मेल नहीं खाता।

 


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