28 मई को गुरुपुष्य योग, अक्षय तृतीया के समान शुभफलदायी

By: Dilip Kumar
5/27/2020 11:17:55 PM
नई दिल्ली

मई के आखिरी गुरुवार को पुष्य योग बन रहा है। इस योग में किए गए सभी कार्यों में सफलता और शुभता में वृद्धि होती है। इस तरह के संयोग बहुत ही कम बनते हैं। यह पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से 8वां है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है। गुरुवार के दिन इस नक्षत्र का आना इसके महत्व को और बढ़ा देता है। माना जाता है कि इस नक्षत्र में किए गए कार्यों के बेहतर परिणाम आते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति उदार, सहनशील और परोपकारी होते हैं। धर्म-कर्म में इनकी गहरी आस्था होती है, लेकिन बचपना संघर्ष में     गुजरता है।

ज्योतिष मठ संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम के अनुसार नौतपा के दौरान गुरुवार को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में विचरण करेगा। इससे गुरु पुष्य योग बनेगा। गुरु पुष्य योग 27 साल बाद सबसे कम समय के लिए बन रहा है। बुधवार 27 मई को सुबह 5.48 बजे से योग शुरू होगा, जो 28 मई सुबह 5.43 बजे तक रहेगा।

सूर्योदय 5.21 होगा। गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का योग 20 मिनट तक रहेगा। जो तीन घड़ी से कम समय तक विद्यमान है। गुरुवार को छूते हुए पुष्य नक्षत्र निकल जाएगा। आगामी समय में 17 अगस्त व 14 सितंबर को सोम पुष्य योग, 11 अक्टूबर को रवि पुष्य योग और 7 नवंबर और 5 दिसंबर को शनि पुष्य योग का संयोग बनेगा। ज्योतिष में गुरु, सोम, रवि और शनि नक्षत्र का योग अनेक कार्यों में शुभफलदायी होता है।

यह महामुहूर्त स्थायित्व कारक

गुरुवार को भले ही अल्प समय के लिए पुष्य नक्षत्र छू रहा हो, पर इसे ज्योतिष विज्ञान में महामुहूर्त माना गया है। धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, अनुष्ठान, धार्मिक कृत्य करें। इस दिन सोना-चांदी, हीरे तथा विवाह से संबंधित मांगलिक कार्यों से संबंधित खरीदारी शुभ फलदायी होता है। दान की वस्तुएं खरीदने का भी शुभ मुहूर्त है। जमीन, मकान, वाहन आदि की खरीदारी का भी योग है। इस योग में ग्रहण की गई वस्तुएं स्थिर एवं फलीभूत होती हैं।

गुरु बने हैं मंत्री

पुष्य को सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना जाता है, जो स्थाई होता है। इस नक्षत्र में किए गए कार्यों में स्थायित्य का भाव मौजूद होता है। यदि कुछ ऐसे काम करने हैं, जिनमें आप स्थिरता चाहते हैं तो इस नक्षत्र में करना बेहतर होगा। साथ ही गुरु को ग्रहों में मंत्री का स्थान प्राप्त है। उनकी दृष्टि गंगाजल के समान पवित्र मानी जाती है।


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