नवरात्रि में कलश स्थापना प्रतिपदा के दिन किया जाता है और जिस मिट्टी पर कलश स्थपित होता है उस मिट्टी में जौ बोए जाते हैं और नवरात्रि के समापन पर इन्हें जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।
मान्यता है कि कलश स्थापित जौ जितना अधिक बढ़ता है उतना अधिक मां भगवती की कृपा मिलती है और सुखसमृद्धि आती है। यह भी कहा जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में जौ ही सबसे पहली फसल थी और जौ के उगने या न उगने से भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान के तौर पर देखा जाता है।
जौ बोते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि पूजा के समय पानी इसमें अवश्य डाली जाय। इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि जौ बोये मिट्टी के बर्तन को दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। दक्षिण दिशा यम की दिशा माना जाता है। इसलिये इस दिशा में न ही भगवती का कलश रखा जाता और न ही जौ बोया जाता है।
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