कब है गणेश चतुर्थी? जानें पूजा-विधि से लेकर शुभ मुहूर्त तक सब कुछ

By: Dilip Kumar
8/23/2022 11:20:40 PM

सनातन धर्म में साल के 12 महीनों में हर महीने में कोई न कोई बड़ा त्योहार पड़ता ही है. वह त्योहार किसी न किसी देवता को समर्पित रहता है. उसी में से एक अगस्त महीने में गणेश चतुर्थी का पर्व भी पड़ता है. पंचांग के मुताबिक, गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास यानी भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. हिंदू पंचाग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त को मनाया जाएगा. गणेश चतुर्थी के दिन कई जगहों पर गणेश उत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है. भक्त अपने घर में गणपति बप्पा को स्थापित करते हैं और उनकी विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चन करते हैं .

जानिए क्या है शुभ मुहूर्त?

ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि भादो माह के संकष्टी चतुर्थी यानी 30 अगस्त दिन मंगलवार दोपहर 3:33 पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी. जबकि 31 अगस्त दोपहर 3:22 पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के कारण गणेश चतुर्थी का व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन 11:05 से दोपहर 1:38 तक शुभ मुहूर्त है.

गणेश चतुर्थी की क्या है पूजा-विधि?

गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करने के साथ साफ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद गणेश के समक्ष बैठकर पूजा शुरू करनी चाहिए. भगवान गणेश का गंगा जल से अभिषेक के साथ उनको अक्षत, फूल, दूर्वा घास, मोदक आदि अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने के बाद बप्पा के सामने धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं. गणेश की आरती और मंत्रों का जाप करें.

श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


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