सत्य प्रकाश का कॉलम: बहुजन समाज के आवाज मान्यवर कांशीराम

By: Dilip Kumar
3/13/2023 7:50:44 PM

मान्यवर कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोरापुर गांव में हुआ था। आपके पिता रेदसिया सिक्ख परिवार से संबंध रखते थे । यह एक ऐसा समाज था जिन्होंने अपना धर्म छोड़कर सिख धर्म को अपनाया था । आपके पिता अशिक्षित या कम पढ़े लिखे थे किंतु उन्होंने सभी भाई बहनों को पढ़ाया था। मान्यवर कांशीराम के दो भाई और चार बहनें थीं । आप सभी भाई बहनों में सबसे बड़े थे और सबसे अधिक पढ़े लिखे थे। आप बी एस सी की पढ़ाई पूर्ण करके 1956 में पुणे में रक्षा उत्पादन विभाग में सहायक वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त हुए। 1965 में मान्यवर कांशीराम ने डॉक्टर अंबेडकर के जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश न करने के विरोध में संघर्ष प्रारंभ किया। इस घटना ने मान्यवर कांशीराम को अत्यधिक प्रभावित किया और आपने यह प्रण लिया कि मैं संपूर्ण जीवन बहुजन समाज के कल्याण हेतु व्यतीत करूंगा और दबे कुचले शोषित पीड़ित पिछड़े जनजाति या अल्पसंख्यक वर्गों को उनके हकों के लिए लड़ाई लड़ूंगा और उन्हें संविधान में दिए गए अधिकारों को दिलाकर रहेंगे। मैं दलित शोषित पिछड़े आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दूंगा।

मान्यवर कांशीराम भारतीय समाज सुधारक , उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ और प्रखर विद्वान थे। आपने दलित शोषित , पिछड़े,आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्गों के राजनीतिक एकीकरण तथा उनके उत्थान के लिए एक ऐसी जमीन तैयार की जहां पर भी ये वर्ग अपनी बात कह सकते थे। अपने हक के लिए लड़ सकते थे और अपनी बात कह सकते थे। अपनी आवाज बुलंद कर सकते थे।इस कार्य को सफल बनाने हेतु मान्यवर काशीराम ने कई रास्ते तैयार किए जैसे बामसेफ ,डी एस फोर, और बीएसपी इत्यादि। बी एस पी की स्थापना सर्वाधिक प्रभावित करने वाला कदम था। मान्यवर कांशीराम ने 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी एक राजनीतिक दल को बनाया।

मान्यवर कांशीराम जी अपना पूरा जीवन दलित शोषित और पिछड़ों अल्पसंख्यकों आदिवासी लोगों की लड़ाई लड़ने उनके अधिकारों को दिलाने में निकाला। उन्हें हक दिलाने हेतु अग्रिम पंक्ति में खड़े हुए। आपका उद्देश्य इन सभी वर्गों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक रूप से सफल बनाना था ।मा काशीराम चाहते थे कि ये सभी वर्ग भी मानवता के दायरे में रहकर अपनी जिंदगी व्यतीत करें। इन्सानियत के साथ जीवन यापन करें। इसलिए उन्होंने मजबूती के साथ दलित शोषित पिछड़े आदिवासी लोगों के उत्थान हेतु अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। आपका मानना था कि जब तक सत्ता की मास्टर चाबी हमारे पास नहीं होगी तब तक अधिकार नहीं प्राप्त हो सकते है। उत्तर प्रदेश में बहन कुमारी मायावती चार बार मुख्यमंत्री बनी और बहुजन समाज के लोगों को उनके न केवल अधिकार दिलाने का काम किया बल्कि सांस्कृतिक विकास भी किया। बहुजन समाज को आगे ले जाने का काम किया।

मान्यवर कांशीराम ने 7 प्रतिज्ञाएं की जैसे

- मैं कभी घर नहीं जाऊंगा ।

-मैं कभी घर नहीं बसाऊंगा।

- मैं हमेशा गरीब दलितों पिछड़ों अल्पसंख्यकों आदिवासियों के घर को ही अपना घर समझूंगा। उनके ही घर हमेशा रहूंगा ।

-मैं रिश्तेदारों से मुक्त रहूंगा।

मैं शादी ,बर्थडे ,श्राद्ध जैसे समारोह में शामिल नहीं हूंगा।

-मैं कहीं पर नौकरी नहीं करूंगा। -मैं फुले तथा डॉक्टर अंबेडकर के सपनों को पूरा होने तक चैन से नहीं बैठूंगा ।

आपने दृढ़ संकल्प लिया।आपने इनका अपने जीवन में बखूबी पालन किया। 1971 में मान्यवर कांशीराम ने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर अपने एक सहकर्मी के साथ मिलकर एस सी ,एस टी ,ओ बी सी समाज के कर्मचारीयों के कल्याण हेतु संस्था की स्थापना की । इस संस्था का पंजीकरण परोपकार अधिकारी कार्यालय पुणे में कराया था । वास्तविकता यह थी कि इस संस्था का गठन पीड़ित समाज के कर्मचारियों का शोषण रोकने के लिए और उनकी समस्याओं के प्रभावी समाधान हेतु किया गया था। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य था। लोगों को शिक्षित करके और जाति प्रथा के बारे में जागृत करना। आप जातिवाद के सख्त खिलाफ थे। धीरे-धीरे इस संस्था से बड़ी संख्या में लोग जुड़ने लगे और कारवां आगे बढ़ता गया ।

सन 1973 में मान्यवर कांशीराम ने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर बामसेफ अर्थात बैकवर्ड एवं माईनर्टी कम्युनिटीज एंप्लाइ फेडरेशन की स्थापना की । प्रथम क्रियाशील कार्यालय 1976 में नई दिल्ली में बनाया गया था। इस क्षमता का आदर्श वाक्य था एजुकेट ,ऑर्गेनाइजर ,अजीटेट संस्था के माध्यम से डॉक्टर अंबेडकर के विचारों और उनकी मान्यताओं को लोगों तक पहुंचाने का बुनियादी काम किया। मान्यवर कांशीराम ने अपना बुनियादी काम और तेज कर दिया अपना प्रचार तंत्र मजबूत किया। कभी पैदल कभी साईकिल से शहर शहर गांव गांव और गली गली पहुंच कर लोगों को जाति प्रथा , जातिवाद के विषय में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई।भारत में इसकी उपज और डॉक्टर अंबेडकर के विचार के बारे में लोगों को मजबूत किया। वह जहां-जहां हो गए उन्होंने अपनी बात रखी दमदारी के साथ रखी और लोगों ने उन्हें पूरा सम्मान दिया। धीरे धीरे लोग मा काशीराम जी से जुड़ने लगे। आपको बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ । सन 1980 में अपने "अंबेडकर मेला" नाम से पदयात्रा प्रारंभ की जिसमें अंबेडकर के जीवन और उनके विचारों को चित्र और कहानियों के माध्यम से दर्शाया गया था। मान्यवर कांशीराम ने 1981 में डी एस एस एस एस (डी एस फोर) अर्थात दलित, शोषित, संघर्ष समिति की स्थापना की यह समिति की स्थापना का कार्य दलित शोषित पिछडे समाज को उनके हक या अधिकार दिलाना था। आपका मानना था कि ब्राह्मण ठाकुर बनिया छोड़ बाकी सब हैं डी एस फोर।

मान्यवर कांशीराम ने 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी के नाम से एक नए राजनीतिक दल का गठन किया था। सन 1986 में मा काशीराम ने संकल्प लिया कि वह बीएसपी के अलावा किसी और संस्था के काम नहीं करेंगे । मान्यवर कांशीराम ने आह्वान किया कि "जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी" का नारा संपूर्ण देश में गूंजा। आपने बहुजन समाज पार्टी को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया । आपने स्वयं को एक आम सामाजिक कार्यकर्ता से एक खास राजनेता के रूप में परिवर्तित किया। पार्टी की बैठकों और भाषणों के माध्यम से मान्यवर कांशीराम ने कहा कि अगर सरकार है कुछ करने का वादा करती हैं तो उसे पूरा करना चाहिए अन्यथा यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि उन्हें वायदे पूरे करने की क्षमता या ताकत नहीं है । आपने कहा कि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी का सिद्धांत पर काम करना चाहते थे। 1994 में मान्यवर कांशीराम को दिल का दौरा पड़ चुका था।सन 2000मे बहन कुमारी मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 2003 में दिमाग का दौरा पड़ा और 2004 में सेहत खराब होने लगी । 09अक्टूबर 2006 को नई दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई । आपका अंतिम संस्कार बौद्ध रीत से नई दिल्ली में किया गया।

मान्यवर कांशीराम का दर्शन दलित शोषित पिछड़े आदिवासी अल्पसंख्यक लोगों के उत्थान के लिए था। आपने जीवन पर्यंत इन वर्गों के हको और उनके अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया। आपने भारत की सोयी हुई कोमो को जगाया। उन्हें राजनीतिक सत्ता तक पहुंचाया। चार बार उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनवायी। बी एस पी की सरकार में उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक विकास चर्म पर पहुंचा। बी एस पी वह राजनीतिक दल है जहां पर खड़े होकर बहुजन अपनी बात कह सकते हैं, बात रख सकते हैं। मान्यवर कांशीराम आज हमारे बीच नहीं हैं किंतु आपका दर्शन आपके विचार बहुजन समाज को हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे । आपके विचार वर्तमान बहुजन समाज के लिए प्रासंगिक है।

प्रस्तुतकर्ता
सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़


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