सत्य प्रकाश का कॉलम: जल है तो जीवन है

By: Dilip Kumar
3/21/2023 7:33:21 PM

मानव जीवन के लिए जल का अत्यंत महत्व है। जल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती क्योंकि मानव के शरीर में 70% जल की मात्रा होती है। इसी प्रकार जीव जंतु और पादकों के भी जीवन का मुख्य आधार जल ही होता है। इसलिए जल का महत्व जब से पृथ्वी पर जीवन की कल्पना की गई है तब से ही है जल के महत्व को देखते हुए स्वच्छ जल संरक्षण और इसके महत्व के बारे में आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। सर्वप्रथम वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में आयोजित हुए पर्यावरण एवं विकास पर केंद्रित संयुक्त राष्ट्र की महासभा के सम्मेलन के एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। उसी वर्ष 22 दिसंबर 1992 को संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा द्वारा "वर्ल्ड वाटर डे" मनाने का निर्णय लिया गया था जिसके बाद 22 मार्च 1993 को पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया था जोकि पृथ्वी पर स्थित संपूर्ण देशों में मनाया जाता है।

विश्व जल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य जल के महत्व की आवश्यकता और जल संरक्षण को लेकर जन जागरूकता फैलाना है । आज 2 अरब लोग मल से दूषित पेयजल के स्रोतों का उपयोग करते हैं। जिन्हें हैजा, पेचिश ,टाइफाइड और पोलियो जैसी भयानक या खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। पृथ्वी पर तेजी घटते जलाशयों और लुप्त होते पीने योग्य पानी के स्रोतों को देखते हुए आज जल संकट एक बड़ा मुद्दा बन गया है ऐसे में लोगों की बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए शुद्ध जल की उपलब्धता को हर इंसान तक पहुंचाना काफी मुश्किल हो गया है। पृथ्वी पर उपस्थित संपूर्ण जल की मात्रा में से 71% जल पृथ्वी की सतह पर पानी है। कुल जल का 97% पानी सागर महासागरों झीलों में दिखाई पड़ता है जो खारा है।यह पीने खेती करने या उद्योग में प्रयोग करने के लायक नहीं है। ढाई प्रतिशत जल ग्लेशियर, ध्रुवीय बर्फ वातावरण में वास और मिट्टी की नमी के रूप में पाया जाता है। जिस तक पहुंचना संभव नहीं है। मात्र 0.5 प्रतिशत जल नदी तालाब भूजल आदि के रूप में उपस्थित है जिसे हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं। समस्या इस 0.50%जल के संरक्षण की है जिस पर पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जीव, जंतु और पादपों के जीवन के लिए बड़ा संकट बना हुआ है।

आज पीने योग्य पानी का संकट गहराता ही जा रहा है। आज लगभग 2 अरब या 25% लोगों के पास पीने योग्य साफ पानी उपलब्ध नहीं है । इस संकट से जूझने वाले लोगों की संख्या 2050 में 55% को भी पार कर सकती है। इसी विकराल समस्या को देखते हुए वर्ष 2023 में विश्व जल दिवस की थीम है। परिवर्तन में तेजी इस साल से वी द चेंज के तहत मनाया जाएगा वास्तविकता यह है। जल दिवस मनाने के पीछे एक थीम के साथ मनाया जाता है । सर्वप्रथम 1993 में विश्व जल दिवस की थीम थी "शहरों के लिए जल" जिस पर पूरे वर्ष कार्य किया गया। यह थीम परिस्थितियों के अनुसार हर वर्ष बदलती रहती है। जल संरक्षण और उसके महत्व को केवल सरकार के प्रयासों से ही जन जन तक नहीं पहुंचाया जा सकता बल्कि समस्त समाजों के बुद्धि मान लोगों का भी कर्तव्य बनता है कि वह जल के संरक्षण और महत्व को जन-जन तक पहुंचाएं। आम और खास आदमी भी इस ओर सराहनीय कदम उठा सकते हैं । जैसे -

*पानी बचाएं नहाते समय अनावश्यक रूप से पानी न बहाएं।

* ब्रश करते समय, बर्तन धोते समय, खाना बनाते समय, सब्जी धोते समय नल खुला न छोड़ें।

*सुरक्षित तरीके से करें फ्लैश कहीं पानी का लीकेज ना होने दें भरे सॉफ्ट टैंक को समय पर खाली करवाएं।

*आयल, दवा और रसायन अवशिष्ट पदार्थ को नदी‌ में या जलाशयों में न जाने दें।

*टॉयलेट एड्रेस में न बहाए। स्थानीय खाद्य पदार्थ बनाएं स्थानीय स्तर पर उगाए और बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

*मौसमी फल सब्जी खाएं ऐसे खाद्य पदार्थ चुनें जिनके उत्पादन में कम पानी लगता है।

*प्रकृति की रक्षा करें। इसके लिए अधिक से अधिक पौधे लगाएं , लगवाए और बाढ़ वह तूफान से बचाव के लिए प्राकृतिक व्यवस्था में योगदान दें।

*स्थानीय नदियों तालाबों जलाशय जैसे जल स्रोतों की साफ सफाई में भी योगदान दें।

*वर्षा के जल को संरक्षित करें। सब्जी या कपड़े धोने के बाद के पानी का स्वक्षता में उपयोग किया जाए छोटे-छोटे उपायों से जल को संरक्षित किया जा सकता है।

आज बढ़ती जनसंख्या, घटते पादपों और जलाशयों के कारण बढ़ते विश्वव्यापी जल संकट से निपटने के लिए मनुष्य को सोचना होगा विचार करना होगा जिम्मेदारी निभानी होगी और सरकार सहित तमाम एजेंसियों का सहयोग करना होगा। तब ही जल संकट से मुक्ति पाई जा सकती है। सरकार को भी ध्यान देना चाहिए कि कारखाना, नालियों और सीवर आदि का पानी नदियों के जल से ना मिले ऐसा करके नदियों और जलाशयों के पानी को भी पीने योग्य बनाया जा सकता है। खेती बाड़ी सहित अन्य कामों में भी इसका उपयोग किया जा सकता है ।भूजल का जल स्तर बढाना होगा वृक्षारोपण कार्य करने पर और उसकी गति को बढ़ाने पर सरकार और समाज को ध्यान देना होगा। जल संरक्षण हेतु हमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग तकनीकी का उपयोग करना चाहिए। जिससे वर्षा के जल को संरक्षित किया जा सके पेड़ /पादपों की कटाई पर रोक लगे, वृक्षारोपण पर ध्यान दिया जाए वृक्षारोपण के द्वारा भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

पानी की कमी का कारण पानी का अनावश्यक उपयोग ही है । जब से लोगों की बढ़ती आबादी, तीव्र औद्योगिकरण के कारण आज नदियों निरंतर दूषित हो रही हैं या सूख दूषित होती जा रही है। स्वच्छ पानी की खपत मांग बढ़ रही है इसलिए स्वच्छ पानी का उपयोग करने पर जोर दिया जाए पानी का दुरुपयोग करने से बचा जाए अधिक से अधिक पृथ्वी पर पौधे लगाए तबाही भूजल का स्तर बढ़ाया जा सकता है और बढ़ते पानी के संकट को दूर किया जा सकता है । जल संकट को दूर करने के लिए सरकार और समस्त जनमानस को पानी के संरक्षण और यह पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए बरकरार बना रहे इसके लिए सकारात्मक इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़


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