सत्य प्रकाश का कॉलम: बढ़ता प्रदूषण मानव समाज को घातक

By: Dilip Kumar
3/21/2023 7:50:37 PM

वायु,जल या मृदा प्रदूषण किसी भी प्रकार का हो जीव, जंतु -मानव और पादपों के लिए हानिकारक ही सिद्ध होता है । प्रदूषित वायु प्रदूषित जल प्रदूषित मृदा या प्रदूषित पर्यावरण मानव के साथ-साथ जीव जंतु और पादपों के लिए भी घातक है । हाल ही में स्विट्जरलैंड की संस्था आइक्यू एयर की रिपोर्ट के अनुसार देशों के स्तर पर देखा जाए तो भारत की स्थिति में कुछ हद तक सुधार तो हुआ है पर इतना नहीं कि उस पर सरकार अपना सीना फुलाए। भारत की स्थिति को अगर देखा जाए तो यह पांचवें स्थान पर से घटकर आठवें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2022 के लिए जारी सूची में पहले 10 स्थान में चाड, इराक, पाकिस्तान, बहरीन, बांग्लादेश ,बुर्किना ,फासो ,कुवैत, भारत ,मिश्र और तजाकिस्तान शामिल है। रिपोर्ट में भारत में पीएम 2.5 प्रदूषण के लिए 20 से 35% तक परिवहन क्षेत्र जिम्मेदार है जिस पर भारत सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर मंथन करना चाहिए। सरकार ने भाड़े में अत्यधिक वृद्धि तो की है किंतु सुविधा के मामले में हाथ पीछे खींच लिए हैं। वही खटारा गाड़ियां वही पुराने मॉडल के बस ट्रक इत्यादि सड़कों पर वायु प्रदूषण फैलाते हैं। आज चिंता का यह विषय बना हुआ है।

भारत में प्रदूषण फैलाने वाले परिवहन के बाद अन्य स्रोतों में सर्वाधिक औद्योगिक इकाइयां प्रमुख हैं और कोयले से चलने वाली बिजली संयंत्र तथा बायोमास जलाना भी शामिल है। वहीं ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, और न्यूजीलैंड की हवा बेहतर बनी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) के अनुसार हवा में अधिकतम पी एम 2.5 की मात्रा 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को सुरक्षित माना गया है। भारत के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने संसद में पेश की रिपोर्ट मैं कहा गया है । नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल इन शहरों में 2017 के मुकाबले पीएम 10 के स्तर में सुधार है। प्रोग्राम में शामिल किए गए 131 शहर जिनमें कई शहरों के पीएम 10 में 50% तक दिखा सुधार जिन शहरों की सूची नहीं सुधरी या प्रदूषण बड़ा वहां जल्द ही चलेगा विशेष अभियान यह केवल सरकारी घोषणा है । कब इस घोषणा को अमलीजामा पहना जाएगा यह तो भविष्य के गर्भ में ही समाहित है। भारत में जनाधिक्य प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली जन समस्या है।

भारत के अधिकांश शहर ऐसे हैं जहां की आबोहवा मानव के रहने के लायक नहीं उन शहरों केवल प्रदूषण के स्तर में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण या मृदा प्रदूषण बढ़ रहा है वहां सरकार जल्द ही अभियान चलाने की तैयारी कर रही है । केवल घोषणा नजर आती है तैयारी नहीं केंद्र सरकार का इस संदर्भ में मत स्पष्ट है । वह 2024 तक वायु प्रदूषण के स्तर में 20 से 30% तक सुधार का लक्ष्य रखा गया है । वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल शहरों की वायु गुणवत्ता में बदलाव का यह आकलन वर्ष 2017 के स्तर पर किया गया मंत्रालय द्वारा संसद में इस बदलाव को लेकर पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक एनसीएपी मैं शामिल 131 शहरों में से 95 शहरों में पी एम 10 का औसत स्तर 2017 के मुकाबले कम हुआ है। इतना कम नहीं कि जिस पर संतोष जताया जा सके खास बात यह है कि एनसीएपी में 122 शहरों को इस आधार पर शामिल किया गया था कि वहां प्रदूषण वायु गुणवत्ता के मानकों से काफी अधिक था। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जिन शहरों ने एक्शन प्लान पर बेहतर काम किया वहां सुधार दिखने लगा है जिन शहरों ने एक्शन प्लान पर काम नहीं किया वहां की हवा पहले से ज्यादा प्रदूषित हुई है । वहां मानव जीवन जीना काफी मुश्किल हो गया है। उल्लेखनीय है कि एमसी एपी ने इन सभी शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ने के जो बड़े कारण बताएं उनमें वाहन के उत्सर्जन ,सड़कों से उठने वाली धूल, निर्माण कार्यों से उत्पन्न होने वाली प्रदूषित वायु , औद्योगिक उत्सर्जन, कचरा आदि जलाना शामिल है।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इन प्रमुख शहरों को लेकर चिंता व्यक्त की गई जिनमें वायु की गुणवत्ता अत्यधिक खराब होने के कारण मानव जीवन दूभर हो गया है।ये शहर है- झांसी, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जम्मू ,मुजफ्फरपुर, गया इत्यादि। भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ साथ नागरिकों को भी प्रदूषण को लेकर विचार करना चाहिए । जब तक मंथन परस्पर नहीं करेंगे प्रदूषण मानव जीवन के लिए घातक बना रहेगा। प्रदूषित आबोहवा मानव जीवन को ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं और पौधों के लिए भी अत्यधिक घातक है । इसलिए जिम्मेदार इकाइयों को परस्पर मंथन करना बेहद जरूरी है। क्योंकि भारत सरकार भले ही अपनी पीठ खुद ही थपथपाऐ किंतु विदेशियों की दृष्टि में भारत की तस्वीर कुछ और ही है। विश्व की सबसे बड़ी महापंचायत या सबसे बड़ी प्रशासनिक संस्था यू एन ओ हमारे देश के विषय में कहता है कि "भारत अत्यधिक प्रदूषित देश है विश्व के 50 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से 39 भारत के शहर हैं ।" इसलिए चिंता करना बेहद जरूरी है। चिंता करने से काम नहीं चलेगा बल्कि इस विषय पर गहन विचार और मंथन करके परस्पर एक दूसरे के साथ मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।

केंद्र और राज्यों की सरकारों तथा नागरिकों को परस्पर मंथन करना चाहिए और एक दूसरे को जिम्मेदारी भी दी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए प्रदूषण किसी भी रूप में हो किसी भी क्षेत्र में हो , उसको जिम्मेदारी के साथ ठोस कदम उठाकर रोका जाना है।प्रदूषित हवा जीवन को घातक है। प्रदूषित पर्यावरण पादपों को घातक है। प्रदूषित आबोहवा समाज को घातक है। अर्थात प्रदूषण किसी भी रूप में हो घातक ही घातक है। एक सर्वे में भी बताया गया है कि विश्व में 30% वनस्पति विलुप्त होती जा रही है। आने वाले समय में यह संख्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए भारत सरकार, राज्यों की सरकारें और मानव समाज को परस्पर जिम्मेदारी के साथ मंथन करना चाहिए । मंथन करके निष्कर्ष निकाले और उद्देश्य तय किए जाएं और उन पर जिम्मेदारी के साथ अमल किया जाए तो निश्चित रूप से प्रदूषण मुक्त भारतीय शहर ही नहीं होंगे बल्कि समाज के साथ ही यह भी होगा आवश्यकता है। सकारात्मक इच्छाशक्ति उत्पन्न करके जिम्मेदारी निभाने का यही बेहतर समय है।

सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़


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