फ़िरोज़ बख़्त अहमद का कॉलम: वैक्सीन के बाद अब भारत चंद्रयान में जगत गुरु!

By: Dilip Kumar
8/23/2023 9:57:31 AM

आज जिस समय, यह हरदिलअज़ीज़ अखबार आपके हाथों में होगा, उसकी शाम को इनशाललह भारत का चंद्रयान-3 चाँद के ऊपर लैंड करेगा। बचपन में हम अपनी तीसरी क्लास की उर्दू प्राईमर में पढ़ा करते थे, रविश द्वारा रचित, “चंदा मामा दूर के, पुए पकाएं बूर के/ आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में!” वैसे 1955 में फ़िल्म “वचन” में भी आशा भोंसले ने यह मज़ेदार गीत गया था, जिस में राजेन्द्र कुमार और गीता बाली थे। आज यह देवमालाई कहानियों और गीतों से होता हुआ कारवां शाम को सच्चाई की डोर पर हिचकोले खाएगा! अल्लाह का हुक्म हुआ तो, यह सब काम साथ खैर के हो जाए, जिसके लिए मस्जिदों, मंदिरों, गुरुद्वारों और गिरजाओं और सिनागोगों आदि में दुआएं की जा रही हैं! हाँ, सभी भारतवासियों को रूस के लूना चंद्रयान के ध्वस्त होते आ बड़ा दुख है और उसके लिए भी प्रार्थना है कि, उसका अगला मिशन सफल हो।

भारत है मेरा देश और यह मेरी जान है,धरती से आसमान तक तिरंगे की शान है,भारत है विश्वगुरु और रहेगा यह हमेशा,इसका सुबूत आज हमारा चंद्रयान है!

- खालिद आज़मी 

इस में कोई डीपी राय नहीं कि वेदों, पुराणों आदि के समय से भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में आपण लोहा मनवाया है। एक बार का किस्सा है कि पुणे के एमoआईoटीo (महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी), जिसके भाषणविद पैनल में लेखक है, एक बार विज्ञान को ले कर भारत के महान वैज्ञानिक, आरoएo मशेल्कर के 75वें जन्म दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक स्थल शनिवारवाड़ा पर एक बड़ी संगोष्ठी हुई, जिस में “सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय”, पुणे विश्व विद्यालय”, “एमoआईoटीo”, “सिमबायोसिस”, “फ़्लेम यूनिवरसिटि” आदि के छात्र शामिल हुए थे और लेखक ने जब कहा कि राम सेतु तो हजारों साल पूर्व पानी के अंदर बनाया गया था और यह कि लंका से पुष्कर विमान में, मर्यादा पुरुषोत्तम राम अयोध्या आए थे, तो भारत तो तभी से विज्ञान में दक्ष था, तो भाषण के पश्चात, लोग इतने आत्म विभोर हुए कि लेखक के पांव तक छू लिए!

ईमानदारी की बात है कि यदि अमेरिका और पश्चिमी देशों से भारत के चिकित्सक और कम्प्युटर एक्सपर्ट वापस आ जाएं तो उनका सारा वैज्ञानिक सिस्टम ही बैठ जाएगा! आर्यभट से ले कर, होमी जहांगीर भाभा, विश्वेशररैय्या, विक्रम साराभाई, हरगोबिन्द खुराना, जगदीश चंद्र बोस, एoपीoजेo अब्दुल कलाम, प्रफ्फ़ुल चंद्र राय, सुबरामन्य चंद्रशेखर, विजय भटकर, जानकी, अम्मल, इन्दिरा हिंदुजा, कल्पना चावला और टेसी थॉमस तक न जाने कितने वैज्ञानिक भारत में हो चुके हैं। 

इस चंद्रयान-3 के तीन मुख्य उद्देश्य है। पहला, चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना, दूसरे, रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और तीसरे यथास्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना। भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को उतरने का प्रयास करेगा, जिससे संभावित रूप से कई आर्थिक लाभ मिलने का रास्ता साफ हो सकता है। यदि 23 अगस्त को नहीं उतार सका तो 27 अगस्त को उतारने का इंतज़ार किया जाएगा। भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2025 तक 13 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। चंद्रमा पर सफल लैंडिंग भारत की तकनीकी क्षमता को भी बयां करेगी। 

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है, जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है। चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है। केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं। हालांकि, ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे। 

वास्तव में, चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करता है। इसमें लैंडर और रोवर विन्यास शामिल हैं। इसे एलवीएम3 द्वारा एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से प्रमोचित किया गया। प्रणोदन मॉड्यूल 100 किमी चंद्र कक्षा तक लैंडर और रोवर विन्यास को ले जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक मापों का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (एसएचएपीई) नीतभार है। अगर यह चांद पर स्थापित हो गया तो भारत अमेरिका, रूस, जर्मनी आदि की श्रेणी में खड़ा हो जाएगा। 

चंद्रयान 3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से महज 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगा रहा है। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क हो गया है। अब आज यानि 23 अगस्त का इंतजार है, जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत इतिहास रच देगा और ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल की है। इतना ही नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश हो सकता है। 

प्रथम चंद्रयान मिशन ने प्रमाणित किया कि चांद पर पानी है। चंद्रयान-2 मिशन में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर लगाना था, लेकिन चीजें ठीक से काम नहीं कर पाईं। चंद्रयान-2 का मॉड्यूलर मिशन उल्लेखनीय रूप से सफल रहा। चंद्रमा पर उतरना कितना मुश्किल है, इसका अंदाजा लगाने के लिए आप देख सकते हैं कि रूस लूना-25 को उतारने में सफल नहीं हो सका। मुझे पूरा यकीन है कि 23 अगस्त को सफल लैंडिंग होगी। चंद्रयान-3 हमें पानी, जल स्रोतों और खनिजों की पहचान करने में मदद करेगा।

 इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के जरिये अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा। इसने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है। इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम का टेलीविजन पर 23 अगस्त को सीधा प्रसारण किया जाएगा, जो इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज, और डीडी (दूरदर्शन) नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर पांच बजकर 27 मिनट से शुरू होगा। हम सब फिर दुआ करते हैं कि इस बार भारत को सफलता प्राप्त हो। आमीन सुम्माह आमीन! भारत माता की जय! (लेखक पूर्व कुलाधिपति और भारत रत्न, मौलाना आज़ाद के वंशज हैं)

 


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