श्रीमद् भागवत:अंतिम दिन सुदामा चरित्र के साथ हुआ भागवत कथा का समापन

By: Dilip Kumar
10/7/2023 7:14:23 PM
अलीगढ़

राजपाल सिंह आर्य की रिपोर्ट। भगवान भाव के भूखे होते हैं, जहां भाव शुद्ध हो वहां किसी चीज का अभाव नहीं रहता है। महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती के सानिध्य में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अन्तिम दिन शनिवार को कथा व्यास पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद जी महाराज ने कल के आगे भगवान श्रीकृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना, सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए महराज जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जी से समझा जा सकता है।

सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे लेकिन द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं, इसपर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया।

सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। इतने भावुक हुए कि आंसुओ से पैर धोए। जब भी भक्तों पर विपदा आई है। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं। अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया।

तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते है। इसी के साथ कथा का विराम हो गया। अंत में भागवत भगवान की आरती की गई और लंगर में प्रसाद वितरण किया गया। आज के परिच्चित जय प्रकाश गुप्ता, बीना गुप्ता जी रहे।कथा में डॉ आर आर आज़ाद चेयर मैन एहसास, आचार्य परमानंद शर्मा, आचार्य ऋषि राज , आचार्य गगन दुबे, आचार्य विपिन शुक्ला , कामेश्वर प्रसाद गर्ग, दिनेश शर्मा ज्वालापुरी,सचिन शर्मा, दिलीप त्रिपाठी, राजेंद्र चौधरी, महेश शर्मा,रमेश, शीला डोरी नगर, श्रीकान्त उपाध्यय,श्रृद्धा राठी , गीता अरोड़ा, सुमन यादव, बीना गुप्ता आदि सैकड़ों भक्त उपस्थिति रहे।


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