सत्य प्रकाश का कॉलम : सरकार स्वस्थ आहार पर अमल करें
By: Dilip Kumar
7/16/2023 5:25:38 PM
विश्व स्तर पर तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या एक गंभीर संकट उत्पन्न कर रही है । जहां भारत विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बनने की स्थिति में पहुंच गया है । हम कह सकते हैं कि आज भारत विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है तो वही सर्वाधिक कुपोषण की समस्या से जूझने वाला देश भी भारत बन गया है। सर्वाधिक बेरोजगारी और भिखारियों वाला देश बन गया है । भारत में स्वस्थ आहार की बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है । यदि हम संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर अमल करें तो भारत में वर्ष 2021 में 74.1% आबादी स्वस्थ आहार नहीं ले पा रही है। अर्थात कुपोषण का शिकार है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में दुनिया भर में 78.3 करोड़ लोगों को भूखे रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की पांच एजेंसियों की ओर से वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर जारी रिपोर्ट में यह दिल दहला देने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में कई देशों के 2.4 अरब लोगों को लगातार या नियमित पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है । कोरोना महामारी ,बार-बार खराब मौसम, रूस तथा यूक्रेन युद्ध और अन्य संघर्षों के बीच विश्व में कई देशों में भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए हैं । पश्चिमी एशियाई देश कैरेबियाई देश और अफ्रीकी देशों को चयनित किया गया है। जहां पर 20 फ़ीसदी आबादी को भूखे ही रहना पड़ता है। यह वैश्विक औसत से दोगुना से भी अधिक है। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार 2020 से 22 के बीच 23.39 करोड लोगों को खाना नहीं मिल पा रहा था। वर्ष 2000 से2006 के बीच 24.72 करोड लोगों को भूखा रहना पड़ता था।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 से 2022 में 3 सालों का औसत है । रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में 5 साल से कम उम्र के 2.8% बच्चे अधिक वजन के थे जो एक गंभीर समस्या है । वर्ष 2030 में 208 करोड़ के भूखे रहने का अनुमान लगाया गया है। एक अनुमान के अनुसार 2030 में भारत में भी 60 करोड़ भूखे लोग रहने की जानकारी हो रही है जो जीरो हंगर प्रगति प्राप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य से बहुत दूर है । ज्यादातर देशों में बच्चे लगातार कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। इन देशों की सरकारों को ठोस और गंभीरता पूर्वक विचार और मंथन करना चाहिए। जब तक कारगर और ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे तब तक समस्या मुंह खोले खड़ी रहेगी।
5 साल से कम उम्र के 14.8 करोड़ बच्चे अविकसित हैं और 4.5 करोड़ अपनी लंबाई के हिसाब से बहुत पतले दुबले हैं। जबकि 3.7 करोड़ किशोर अधिक वजन वाले हैं।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बढ़ते शहरीकरण पर ध्यान दिया और पाया कि ग्रामीण और अर्द्ध शहरी इलाकों में भी लोग बड़े पैमाने पर बाजार के उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं। भारत में समस्या अत्यंत गंभीर है क्योंकि यहां की अधिकांश जनसंख्या अंधविश्वासी पाखंडी और टोटकों पर चलने वाली है वह जब उपवास नहीं रखनी चाहिए उस समय ही उपवास रखती है। अंधविश्वास की सभी सीमाएं तो तब टूटती हैं जब व्यक्ति मरणासन्न अवस्था में भी उपवास करता है । ऐसी स्थिति में बच्चे कुपोषित पैदा नहीं होंगे तो क्या तन्दरुस्त /होनहार उत्पन्न होंगे। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार वर्ष 2021 में 74.1% आबादी स्वस्थ आहार लेने में असमर्थ थी। यानी पौष्टिक भोजन फल सब्जी और अन्य स्वास्थ्य वर्धक दवाइयां अत्यंत महंगी होने के कारण लोग नहीं खरीद पा रहे हैं। पड़ोसी देशों में पाकिस्तान में 82.8 फीस दी श्रीलंका में 55.5 फीस दी तथा नेपाल में 76. 4% लोग स्वस्थ आहार लेने में असमर्थ हैं । भारत सरकार को संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर सच्चे मन से गहराई से अमल करना चाहिए तब ही स्वस्थ आहार अर्थात कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से निजात मिल सकती है।ख्याली पुलाव बनाने की बजाय वास्तविकता पर और जमीनी हकीकत पर विशेष ध्यान दिया जाए। सरकार और समाज की कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए।
आज भारत के पास विश्व की कुल भूमि का 2.4% हिस्सा है जबकि विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 18% जनसंख्या भारत के पास है। जनसंख्या और क्षेत्रफल के क्षेत्र में व्याप्त असमानता भी महंगाई कुपोषण और बेरोजगारी जैसी समस्याओं को बढ़ा रही है । इस प्रकार जनसंख्या और क्षेत्रफल में असमानता एक जटिल और विकराल समस्या है। भारत सरकार को स्वस्थ आहार के संबंध में राष्ट्रव्यापी विधिसंगत नीति बनानी चाहिए। यह नीति संविधान संगत तो हो ही साथ ही जाति धर्म लिंग से भी ऊपर उठकर होनी चाहिए किसी भी जाति धर्म के लोगों के हितों के साथ टकराव नहीं होना चाहिए। हमें ऐसी नीति बनाने चाहिए जो पारदर्शी और जवाबदेही सुनिश्चित करती हो। हालांकि भारतीय संविधान दुनिया का सर्वाधिक विशाल संविधान है।
भारतीय संविधान के निर्माता अंबेडकर का मानना था कि भारत का यह संविधान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है यदि इसे चलाने वाले अश्रेष्ठ लोग होंगे तो यह संविधान भी अश्रेष्ठ साबित होगा। किंतु सरकार और उसकी एजेंसी जब संविधान के अनुरूप कार्य नहीं करती इसलिए संविधान संकट उत्पन्न होता प्रतीत होता है । तब अज्ञानी लोग नए कानून बनाने की आवश्यकता महसूस करते हैं।आवश्यकता है सरकार संविधान के अनुरूप कार्य करें तो हर समस्या का समाधान संभव है। दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान मानव के हाथ में ना हो बशर्ते मानव बुद्धि और विवेक से काम ले। कर भला होगा भला की नीति पर मानव को चलना चाहिए दूसरों में कमी निकालने की वजह स्वयं के अंदर भी झांक लेना चाहिए। जब तक सरकार और आम नागरिक जागरूक होकर हर समस्या के प्रति सचेत नहीं होंगे तब तक भारत में बेरोजगारी कुपोषण अशिक्षा और अंधविश्वास पनपते रहेंगे और देशवासियों को झकझोर के रहेंगे देश का विकास बाधित होता रहेगा लोकतंत्र सही मायने में पनप नहीं पाएगा।
लेखक
सत्य प्रकाश
(प्राचार्य)
डॉक्टर बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़