फ़िरोज़ बख़्त अहमद का कॉलम: विरोधी “इण्डिया” संगठन, भाजपा के लिए ख़तरे की घंटी!
By: Dilip Kumar
7/18/2023 11:36:44 PM
राजनीतिक पंडितों ने बिलकुल ठीक ही कहा है कि चुनाव अलग ही फटकार का खेल/खेला होते हैं और ऊँट किस करवट बैठता है, कुछ नहीं कहा जा सकता। रोचक बात यह है कि मोदी सरकार एक ऐसे दोराहे पर है कि जहां 2024 में वह सत्ता के बाहर भी जा सकती है और अगर सितारे अछे हुए तो 300 के पार भी, जिसका फैसला तो सियासत के सबसे बड़े खिलाड़ी, न तो मोदी, न राहुल, न ममता बल्कि जनता के हाथ में है, अर्थात जनता असली राजा है कुछ भी कर सकती है। जो सियासी धुरंधर, चाहे वे किसी भी तरफ के हों, सोचते हैं कि उनकी चलेगी, तो उन से बड़ा मूर्ख कोई नहीं!
“इण्डिया” के नाम से विपक्ष ने जो नया संगठन खड़ा किया है, यह बिलकुल ऐसा ही लग रहा है, जैसा कि आपात काल के पश्चात, 1977 में “जनता पार्टी”, इंदिरा गांधी की कांग्रेस के विरुद्ध दबंग बन कर आई थी और एक हकीम राज नारायण ने उस समय की दुनिया की जानी-मानी हस्ती और क़दआवर राजनेता, इंदिरा गांधी को मात दे दी थी। कुछ ऐसा ही वातवर्ण विश्व के सर्वोच्च राजनेता, मोदीजी के साथ भी नज़र आता है। इंदिरा गांधी का डंका भी पूर्वी पाकिस्तान को समाप्त कर बांग्लादेश बनाने के लिए पीटा जाता था मगर बावजूद इसके वे चुनाव हार गईं और वह भ ऐसे समय कि जब कहा जाता था, “इंदिरा इज़ इण्डिया, इण्डिया इज़ इंदिरा”, अर्थात, “इंदिरा ही भारत हैं और भारत इंदिरा है!” हालांकि मोदीजी इस प्रकार के नारों को पसंद नहीं करते मगर कहा जाए कि “मोदी भारत है, भारत मोदी है”, तो राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्टार के भांति पर उनका बुलंद-ओ-बाला सियासी क़द देख कर यदि ऐसा कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी।
चलिए देखते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रधानमंत्रित्व की तिकड़ी बनाने के रास्ते में क्या समस्याएं हैं। बावजूद इसके कि पिछले नौ वर्ष उन्होंने भारत को आज चौथी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था वएक मजबूत राष्ट्र बनाने का कार्य किया है, दिनों-रात बैल की तरह जुत कर आम जनता के दुखों का निवारण किया है, “एंटी इन्कमबैनसी”, 2024 में किसी न किसी रूप में उनके सामने खड़ी है। एक नानी कारण यह भी है कि अपने इन नौ सालों में मोदीजी ने यह तो साबित कर दिया कि भारत के इतिहास में आजतक उनके जैसा दमदार, दिलदार, जानदार, शानदार, वफादार, वज़ादार, सेवादार, कामदार और सबसे ज़्यादा ईमानदार प्रधानमंत्री अभी तक न तो आया है और न ही आने की संभावना है, मगर वे इस बात में फ़ेल हो गए कि अपने जैसे आधे तो क्या, बीस प्रतिशत मंत्री व सांसद अपने जैसे न बना सके। उनकी जैसी शराफत, सदाक़त (सच्चाई), निफ़ासत, और नज़ाकत उनके सांसद अभी तक नहीं सीख पाए हैं। उनके जैसी हंसमुख नेचर ऐसे 20 प्रतशत सांसद भी भाजपा के मोदी नंबर-2 बन जाते तो अवश्य ही भाजपा 2024 में 300 का आंकड़ा पार कर जाती।
जिस प्रकार से उस समय सत्ताधीन कांग्रेस को “जनता पार्टी” नामक संगठन ने पछाड़ दिया था, ऐसा अभी तो लगता नहीं, मगर सतपाल मित्तल की मानें तो कुछ नही हो सकता है, क्योंकि उन्होंने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा है कि मोदी 2024 में नहीं आएंगे। वअः कोई ज्योतिषी तो नहीं, मगर मोदीजी को अपनी हे पार्टी के ऐसे लोगों से सतर्क रहना होगा कि जो उनके क़सीदे इस लिए पढ़ते हैं कि उन्हें मंत्रालय मिल जाए या कुछ और मावा प्राप्त हो तो प्रधानमंत्री को बजाए कच्चे कान का बनने के, उनसे किनारा करना होगा। महार्श्त्र में जिस प्रकार से उन्होंने अजित पवार को अपनी पार्टी का हिस्सा बना लिया इससे दूरगामी तरीके से देखा जाए तो भाजपा को लाभ कम और हानी अधिक है। शिंदे तक तो ठीक था मगर अजित के आ जाने से भाजपा का गणित गड़बड़ा गया है क्योंकि इस में छगन भुजबल, हसन मुशरीफ़ आदि ऐसे नेता हैं जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हैं और जनता पूछती है कि क्या भाजपा के पास भ्रष्टाचार धुलाई की कोई मशीन है!?
मगर जो भी हो, इन 25-26 दलों का मजबूती के साथ एकजुट हो मोदी को धूल चाटने के लिए इस “इण्डिया” नमक संगठन को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि अगर ऐसा ही हुआ तो इंदिरा गांधी वाला हाल इतिहास दोहरा सकता है। भले ही इंदिराजी के पिता चीन से मात खा गए हों, उन्होंने पाकिस्तान का आधा अस्तित्व उखाड़ फेंका था, जबकि मोदीजी ने अबतक इस मैदान में केवल दो सर्जिकल स्ट्राइकें ही करी हैं। अपने को इंदिराजी के बराबर लाने के लिए उन्हें पाक अधिकृत कश्मीर के लेना होगा। यह सब ठीक है मगर, बावजूद इन तमाम बातों के इस “इण्डिया” संगठन के मुक़ाबले इनके 52 नेताओं के आगे आज भी मोदीजी अधिक वजनदार हैं।
जिस प्रकार से मोदीजी १५० करोड़ भारतवासियों के दिल में बसे हैं, सही मायनों में वे युग पुरूष और विकास वीर हैं। और हां, "वसुधैव कुटुंबकम्" व "सर्वे भवंतु सुखिनः" को उन्हों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में तो सच कर ही दिखाया है, आज अपनी क्षमता से बाइडेन, शी जिनपिंग, इमानुएल मैकरों और ऋषि सुनाक आदि से वे आगे बढ़ आज विश्व के प्रधानमंत्री की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं और कभी भी विश्व शांति नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जा सकते हैं!
मोदीजी ने अवश्य भारत को शीर्ष पर पहुंचाने के लिए जो अपने दौर में अब तक किया, वह बेमिसाल है, क्योंकि बतौर एक निर्धन चायवाले के, उन्हों ने गरीबों की दुर्दशा व दुर्व्यवस्था देखकर जो "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" मंत्र के अंतर्गत उनके लिए जन-धन, प्रधानमंत्री आवास योजना, वंदे भारत ट्रेन, जना, गृहिणी गैस सिलेंडर योजना, प्रधानमंत्री फसल योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, स्टार्ट अप इण्डिया, डिजिटल इण्डिया, स्मार्ट सिटी मिशन, स्किल इण्डिया आदि के लिए अपना दिन का आराम और रात की नींद हराम की है! यह एक ऐसा प्रधानमंत्री है जिसे सत्ता से कोई मोह नहीं! इनकी माताजी १०/१२ के कमरे में रहा करती थीं। जो भी हो गेंद अब मोदी व मोदी विरोधियों के पाले से बाहार निकाल कर सबसे बड़े खिलाड़ी, जनता नामक रैफरी के हाथ में है, जो किसी को भी पैनल्टी देकर मैदान मार सकता है! तक हैं।
(लेखक पूर्व चांसलर और भारत रत्न मौलाना आज़ाद के वंशज हैं)