फ़िरोज़ बख़्त का कॉलम: अंग्रेजों व कांग्रेस का पाला तोता मणिपुर, मोदी पर थोपा जा रहा है!
By: Dilip Kumar
7/25/2023 8:48:29 PM
आज भारत व विश्व में मणिपुर की हृदय विदारक घटनाओं का चर्चा । अधिकतर लोगों को इस समस्या के यहां तक पहुंचने के कारणों की पूरी जानकारी नहीं, मगर इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र पर नाना प्रकार के आरोप थोपे जा रहे हैं। जब से मणिपुर का वीभत्स कांड और दंगे सामने आए हैं, पूर्ण रूप से उसकी गाज मोदी सरकार पर गिराई जा रही है, जो कुछ हद तक तो ठीक हो सकता है, मगर सच्चाई इतिहास के गर्त में छिपी है। वहां जिस प्रकार से महिलाओं के साथ जघन्य व अमानवीय दुराचार किया गया है इसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है। जगजाहिर है की जिसकी राज्य व केंद्र में सरकार होगी, दोष उसी का माना जाएगा।
वास्तव में जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की ओर भी नज़रें गाड़ीं क्योंकि उनको चाय के साथ–साथ बढ़िया मौसम की सौग़ात भी प्रपट हुई। उनको इस पर कब्जा करना था और वे यह बात जानते थे कि पूर्वोत्तर के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं, मगर जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है। अपनी नफरती साजिश के अंतर्गत उन्हों ने इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था की व्यवस्था बना दी ताकि ये लोग भारत से कट जाएं। नशे को आम करने के लिए अंग्रेजों ने यहां अफीम की खेती चालू करवा दी।
इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को सभी जगह से यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू किया। जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। वैसे उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे। अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी। धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है।
तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे, नहिब तो जैसा कि एक बार क्षरजील इमाम ने कहा था कि पूर्वोत्तर व असम कि “चिकन नैक” काट कर इस ल्शेटर को भारत से अलग किया सकता है। अंग्रेजों ने सदा से बांटो और राज करो नीति के अंतर्गत, भारत को एक नहीं होए दिया। मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में वे कामयाब रहे। मणिपुर के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया। यहां ड्रग ट्रेड का भी दौर-दौरा है और “उड़ता पंजाब” की भांति यहां भी एक बड़ा तबका नशा युक्त रहता है।
आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको एस टी (अनुसूचित जन जाति) का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया। फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दी। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया गया जिस में 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को अनुसूचित जनजातियों में डाल दिया गया। इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी-नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था। यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए।
उधर ब्रिटेन की एमI6 और पाकिस्तान की आईएसआई मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत के विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे। मैतियो ने उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और वामपंथी लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया। पूरा पूर्वोत्तर आईएसआई के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण मीज़ो जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ। बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने आईएसआई समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे। उधर कांग्रेस और वामपंथियों ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया।
ये चिन लोग आईएसआई के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे। पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में हवाई हमले का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने ही सैंकड़ों लोगों की जाने ली। इसी के बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया।
हालांकि 2014 के बाद मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया तथा भारत सरकार के बीच हुए "नागा एकॉर्ड" के बाद हिंसा में कमी आई। भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए। भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला। धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए। भारत के प्रति यहां के लोगों का दुराव कम हुआ। रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई। वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ। मणिपुर उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को एसटी दर्जा मिलेगा। इसका परिणाम में यह होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग की जगह पर पूरे मणिपुर में कहीं भी रह, बस और जमीन ले सकेंगे जो कि कुकी और नगा को मंजूर नहीं और वे फसाद पर उतारू हैं। मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यांमार से आए अवैध चिन लोगों को बाहर निकलेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी। इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया और उन्हों ने राजी में ज़हर फैलाना और आग लगानी शूर कर दी, जिसको यह सरकार जल्द क़ाबू कर लेगी। जय हिंद, जय भारत! (लेखक पूर्व कुलाधिपति और भारत रत्न मौलाना आज़ाद के वंशज हैं)