खालसा कॉलेजों में मनमाने ढंग से हुई भर्तियों की जांच हो : जीके
By: Dilip Kumar
11/11/2024 1:27:01 PM
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कल सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने के आए फैसले का स्वागत किया है।अकाली दल कार्यालय में आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए जीके ने केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का बजट कम करने और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के अधिकारों पर अतिक्रमण करने की नीतियों को गलत बताया। जीके ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के अधिकारों को लेकर अनुकरणीय एवं ऐतिहासिक फैसला दिया है। संविधान से इन संस्थाओं को मिले मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसा निर्णय आवश्यक भी था।
जीके ने पिछले साल दिल्ली कमेटी के चार खालसा कॉलेजों में 300 से अधिक स्टाफ की हुई भर्ती के दौरान दिल्ली कमेटी द्वारा इन कॉलेजों को मिले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के दर्जे की अनदेखी करने का दावा किया। जीके ने कहा कि अगर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय अपनी स्थाई भर्ती के दौरान उर्दू भाषा के बुनियादी ज्ञान की शर्त लगा सकता है, तो खालसा कॉलेजों ने पंजाबी भाषा के ज्ञान की शर्त क्यों नहीं रखी थी ? जीके ने इन भर्तियों की जांच की मांग करते हुए कहा कि जब दिल्ली में 7 सरकारी सहायता प्राप्त तमिल स्कूलों ने अपने रोजगार विज्ञापन में तमिल और एक बंगाली स्कूल ने बंगाली भाषा की जानकारी को अनिवार्य कर दिया, तो दिल्ली कमेटी ने भी सुखो खालसा स्कूल के भर्ती विज्ञापन में पंजाबी भाषा की जानकारी को प्राथमिकता देने का उल्लेख किया। लेकिन सुखों खालसा स्कूल की भर्ती के समय जागने वाले दिल्ली कमेटी नेता खालसा कॉलेजों की भर्ती के समय क्यों सोए हुए थे? जीके ने खालसा कॉलेजों की भर्ती में धांधली को मुद्दा बनाते हुए उम्मीदवारों के चयन के पीछे सिफारिश, धनबल और भाई-भतीजावाद जैसे कारणों के होने के प्रति संदेह व्यक्त किया। जीके ने दिल्ली शिक्षा निदेशालय द्वारा पिछले 10-12 वर्षों से दिल्ली के लगभग 25 सरकारी सहायता प्राप्त खालसा स्कूलों में कर्मचारियों की स्थाई भर्ती को मंजूरी नहीं देने को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों की संवैधानिक संप्रभुता पर हमला करार दिया।
जीके ने दिल्ली के उपराज्यपाल से खालसा स्कूलों की लंबित स्टाफ भर्ती फाइलों को तुरंत पारित करने का अनुरोध किया। जीके ने उपराज्यपाल से दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की अनुपस्थिति को समाप्त करने के लिए आयोग का पुनर्गठन करने की अपील भी की। जीके ने केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के बजट में कटौती का भी खुलासा किया। जीके ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट 1689 करोड़ से घटाकर 1575 करोड़ कर दिया गया है। फीस रिफंड योजनाओं का बजट भी 433 करोड़ रुपये से कम करके 326 करोड़ रुपये हो गया है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का वार्षिक बजट 1 करोड़ रुपये कम कर दिया गया है। ये सभी तथ्य सरकार की अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के अधिकारों पर अतिक्रमण की नीति का हिस्सा प्रतीत होते हैं। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति और हिंदी का वर्चस्व स्थापित करने की सरकार की मंशा के कारण दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 1000 पंजाबी शिक्षकों के पद खत्म होते नजर आ रहे हैं। जीके ने इन सभी मुद्दों पर जल्द ही दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलने की घोषणा करते हुए खालसा कॉलेजों और स्कूलों के अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन शुरू करने की घोषणा की। इस मौके पर अकाली दल के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. परमिंदर पाल सिंह, दिल्ली कमेटी के सदस्य सतनाम सिंह खीवा, महिंदर सिंह, अकाली नेता राजा बलदीप सिंह, एडवोकेट सतिंदर सिंह, जसप्रीत सिंह ओबराय, सुखमन सिंह, मनजीत सिंह आदि मौजूद थे।