मैरिटल रेप पर कानून बनाने को लेकर शुरू हुई नई बहस

By: Dilip Kumar
8/30/2017 6:36:13 PM
नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने मंगलवार (29 अगस्त) को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि 'वैवाहिक दुष्कर्म' (मैरिटल रेप) को अपराध घोषित करने से विवाह संस्था ढह सकती है और इसके अलावा यह पतियों को परेशान करने का आसान हथियार बन सकता है. केंद्र सरकार की ओर से अदालत में पेश किए गए हलफनामे में कहा गया कि पति और पत्नी के बीच यौन संबंध का कोई विशिष्ट सबूत नहीं हो सकता. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश सी. हरि शंकर की खंडपीठ के समक्ष पेश अपने हलफनामे में कहा, "इसे पूरी तरह सुनिश्चित करना होगा कि वैवाहिक दुष्कर्म परिघटना न बने, क्योंकि यह पतियों को परेशान करने वाला हथियार बन सकता है और विवाह संस्था को ढहा सकता है."

केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पूर्व गवर्नर और पति सुप्रीम कोर्ट के वकील स्वराज ने ट्वीट किया, “जेल में ज्यादा पति घर के मुकाबले ज्यादा पति होंगे।” जब एक उपयोगकर्ता ने पूछा कि क्या वह वैवाहिक बलात्कार की रक्षा कर रहा है, कौशल ने कहा, “वैवाहिक बलात्कार जैसी कुछ भी नहीं है। हमारे घरों में पुलिस स्टेशन नहीं होना चाहिए ” पत्रकार और लेखक राना अय्यूब ने स्वराज के रुख पर टिप्पणी करते हुए कहा, “पूर्व राज्यपाल और विदेश राज्य मंत्री सुषमा स्वराज का पति वैवाहिक बलात्कार की रक्षा करता है। इसलिए भगवान को जेल भेजने पर अभी तक आनन्द मत करो। ”

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है, "अगर पति द्वारा पत्नी के साथ किए जाने वाले सभी यौन संबंधों को वैवाहिक दुष्कर्म की तरह माना जाने लगेगा तो वैवाहिक दुष्कर्म का फैसला सिर्फ और सिर्फ पत्नी के बयान पर निर्भर होकर रह जाएगा. सवाल यह है कि ऐसी परिस्थिति में अदालत किन सबूतों को आधार बनाएगी, क्योंकि पति और पत्नी के बीच यौन संबंध का कोई अंतिम सबूत नहीं हो सकता."

माधवन नारायणन, पत्रकार और लेखक ने ट्वीट किया, “# MaritalRape पर कार्यकर्ताओं द्वारा लापरवाह पैरवी है। संदर्भ सिद्धांतों और पहले सिद्धांतों की ग़लत समझ से बाहर। “सुप्रीम कोर्ट के वकील करुना नंडी ने ट्वीट किया,” वैवाहिक बलात्कार संवैधानिकता पर आज सुनवाई: * सरकार अब एक वैवाहिक बलात्कार के अपवाद का समर्थन करती है। लेखन में। * एक और एमआरए ने पॉप अप किया आने वाला कल।”  

केंद्र सरकार ने कहा कि किसी भी कानून में वैवाहिक दुष्कर्म को परिभाषित नहीं किया गया है, जबकि दुष्कर्म भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 में परिभाषित है और वैवाहिक दुष्कर्म को परिभाषित करना समाज में वृहत सहमति की मांग करता है.

मशहूर लेखक देवदत्त पट्टानाइक, हालांकि, मानना है कि वैवाहिक बलात्कार को असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए। “अब हमने अंततः तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया है, क्या हम कृपया वैधानिक बलात्कार और समलैंगिकता को असंवैधानिक घोषित करने की घोषणा करेंगे? “उन्होंने ट्वीट किया वरिष्ठ पत्रकार निधि राजदान ने कहा, “भारत अपने पड़ोसियों से कुछ सीख सकता है। नेपाल में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ कानून हैं, भूटान भी हैं। “एक और ट्वीट में, वह कहती है,” इसलिए सरकार कह रही है कि आप शादी करने के बाद बलात्कार करने के लिए ठीक है। पत्नी के साथ पति के लिए यह ठीक है? पत्नी मना नहीं कर सकती हैं? दयनीय तर्क। ” 

केंद्र सरकार ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों, खासकर पश्चिमी देशों द्वारा वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने का यह मतलब नहीं है कि भारत को अनिवार्य रूप से उनका अंधानुकरण करना चाहिए. केंद्र सरकार ने कहा है कि वह वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित नहीं कर सकती, क्योंकि अशिक्षा, महिलाओं की अधिकांश आबादी का वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर न होने, समाज की मानसिकता, विभिन्न राज्यों की संस्कृति में अत्यधिक विविधता का होना और गरीबी के कारण भारत की अपनी खास समस्याएं हैं. भारत सरकार की वैवाहिक बलात्कार को एक आपराधिक अपमान बनाने के खिलाफ सोशल मीडिया पर बहस फैल गई है।

क्या है मैरिटल रेप और क्यों है विवाद?

भारत में 'वैवाहिक बलात्कार' यानी 'मैरिटल रेप' कानून की नज़र में अपराध नहीं है. यानी अगर पति अपनी पत्नी की मर्ज़ी के बगैर उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे अपराध नहीं माना जाता. केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में 'मैरिटल रेप' को 'अपराध करार देने के लिए' दायर की गई याचिका के ख़िलाफ़ कहा कि इससे 'विवाह की संस्था अस्थिर' हो सकती है. दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, "मैरिटल रेप को अपराध नहीं करार दिया जा सकता है औस ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है. पतियों को सताने के लिए ये एक आसान औजार हो सकता है." ऐसे में ये सवाल पूछा जा सकता है कि 'रेप' और 'मैरिटल रेप' में क्या फर्क है और विवाह की संस्था का इससे क्या संबंध है?

क्या है रेप

आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक़ कोई व्यक्ति अगर किसी महिला के साथ अगर इन छह परिस्थितियों में यौन संभोग करता है तो कहा जाएगा कि रेप किया गया.

  • महिला की इच्छा के विरुद्ध
  • महिला की मर्जी के बिना
  • महिला की मर्जी से, लेकिन ये सहमति उसे मौत या नुक़सान पहुंचाने या उसके किसी करीबी व्यक्ति के साथ ऐसा करने का डर दिखाकर हासिल की गई हो.
  • महिला की सहमति से, लेकिन महिला ने ये सहमति उस व्यक्ति की ब्याहता होने के भ्रम में दी हो.
  • महिला की मर्जी से, लेकिन ये सहमति देते वक्त महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो या फिर उस पर किसी नशीले पदार्थ का प्रभाव हो और लड़की कंसेट देने के नतीजों को समझने की स्थिति में न हो.
  • महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना किया गया सेक्स.

क्या है मैरिटल रेप

आईपीसी या भारतीय दंड विधान रेप की परिभाषा तो तय करता है लेकिन उसमें वैवाहिक बलात्कार या मैरिटल रेप का कोई जिक्र नहीं है. धारा 376 रेप के लिए सजा का प्रावधान करता है और आईपीसी की इस पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान है बर्शते पत्नी 12 साल से कम की हो. इसमें कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति अगर बलात्कार करता है तो उस पर जुर्माना या उसे दो साल तक की क़ैद या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं. 375 और 376 के प्रावधानों से ये समझा जा सकता है कि सेक्स करने के लिए सहमति देने की उम्र तो 16 है लेकिन 12 साल से बड़ी उम्र की पत्नी की सहमति या असहमति का कोई मूल्य नहीं है.

क्या कहता है हिंदू मैरिज एक्ट

हिंदू विवाह अधिनियम पति और पत्नी के लिए एक दूसरे के प्रति कुछ जिम्मेदारियां तय करता है. इनमें सहवास का अधिकार भी शामिल है. क़ानूनन ये माना गया है कि सेक्स के लिए इनकार करना क्रूरता है और इस आधार पर तलाक मांगा जा सकता है.

घरेलू हिंसा क़ानून

घर की चारदीवारी के भीतर महिलाओं के यौन शोषण के लिए 2005 में घरेलू हिंसा क़ानून लाया गया था. ये क़ानून महिलाओं घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है. इसमें घर के भीतर यौन शोषण को परिभाषित किया गया है.

 

 

 

 

 

 

 


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