एक ही सीध में हैं शिव के आठ मंदिर, विज्ञान से है कनेक्शन 

By: Dilip Kumar
7/5/2018 3:40:23 PM
नई दिल्ली

आलोक श्रीवास्तव@यह आश्चर्य है लेकिन सौ फीसदी सत्य है. केदारनाथ से रामेश्वरम की दूरी ( उत्तर से दक्षिण ) तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा है लेकिन इनके बीच भगवान शिव के आठ मंदिर हैं और सभी मंदिर लगभग – लगभग एक ही देशांतर रेखा ( 79 डिग्री पूर्वी देशांतर ) यानी एक ही सीध में हैं. एक ही सीध में होने के कारण इनके समय में कोई अंतर नहीं पड़ता यानी जो समय केदारनाथ में होगा वही रामेश्वरम में होगा.

ये सभी मंदिर आदिकालीन हैं, इनके निर्माण के समय का आकलन करना मुश्किल है, लेकिन वर्तमान स्वरूप में तो करीब एक हजार साल से हैं. उस वक्त जब न तो वैज्ञानिक उपकरण थे और न ही विज्ञान इतना विकसित था, इतनी लंबी दूरी तक एक ही सीध में मंदिर को बनाना न सिर्फ आश्चर्यचकित करता है बल्कि हमारे मनीषियों की बुद्धिमत्ता को भी दर्शाता है. एक प्रश्न और भी है कि एक ही सीध में मंदिरों को बनाने के पीछे का विज्ञान क्या है ? यह शोध का विषय है.

केदारनाथ (79.0669 डिग्री पूर्व देशांतर)

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धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि केदारनाथ में पाण्डवों ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए यहां तप किया था. भगवान शिव ने जिस स्थान पर पाण्डवों को दर्शन दिए उसी स्थान पर केदारनाथ मंदिर है. पता चलता है कि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में पुनर्निर्माण कराया था.

कालेश्वरम (79.9067 डिग्री पूर्व देशांतर)

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तेलंगाना में गोदावरी और प्राणहिता के संगम पर स्थित यह कई शताब्दी पुराना है. यहां पूजा अर्चना से मोक्ष मिलता है. इसलिए कालेश्वर-मुक्तेश्वर भी कहा जाता है.

कालहस्ती (79.6984 डिग्री पूर्व देशांतर)

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सुदूर दक्षिण में आंध्र प्रदेश की स्वर्णमुखी नदी तट पर भगवान शंकर के इस अद्भुत मंदिर को पल्लव वंश के राजाओं ने बनवाया था.

तिरुवनाईकवल (78.7054 डिग्री पूर्व देशांतर)

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महान गणितिज्ञ सीवी रमन की जन्म स्थली और कावेरी नदी के तट पर बना है तिरुवनायीकवल मंदिर.

चिदंबरम नटराज (79.6935 डिग्री पूर्व देशांतर)

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यह भगवान शंकर का आकाश स्वरूप लिंगम है. यह मंदिर कब बना यह तो सही-सही नहीं मालूम लेकिन चोल शासकों ने इस मंदिर को खूब दान दिया.

तिरुवनामलाई (79.0676 डिग्री पूर्व देशांतर)

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यहां मिले शिलालेखों के आधार कहा जाता है अन्ना मलाई पर्वत श्रृंखला पर भगवान शंकर के इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में चोल शासकों ने करवाया था.

एकम्बरनाथ (79.6969 डिग्री पूर्व देशांतर)

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तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित एकम्बरनाथ मंदिर को 500 ईसवीं सदी में विजयनगरम सम्राट ने बनवाया था. इस मंदिर में भगवान शंकर के लिंग स्वरूप में दर्शन होते हैं.

रामेशवरम (79.3174 डिग्री पूर्व देशांतर)

तमिलनाडु में सेतुबंध रामेश्वरम के नाम से यह मंदिर विख्यात है. कहा जाता है वनगमन के दौरान भगवान राम ने इसकी स्थापना की थी. रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है। यह तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। मंदिर में विशालाक्षी जी के गर्भ-गृह के निकट ही नौ ज्योतिर्लिंग हैं, जो लंकापति विभीषण द्वारा स्थापित बताए जाते हैं। रामनाथ के मंदिर में जो ताम्रपट है, उनसे पता चलता है कि ११७३ ईस्वी में श्रीलंका के राजा पराक्रम बाहु ने मूल लिंग वाले गर्भगृह का निर्माण करवाया था। उस मंदिर में अकेले शिवलिंग की स्थापना की गई थी।

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देवी की मूर्ति नहीं रखी गई थी, इस कारण वह नि:संगेश्वर का मंदिर कहलाया। यही मूल मंदिर आगे चलकर वर्तमान दशा को पहुंचा है। बाद में पंद्रहवीं शताब्दी में राजा उडैयान सेतुपति और निकटस्थ नागूर निवासी वैश्य ने १४५० में इसका ७८ फीट ऊंचा गोपुरम निर्माण करवाया था। बाद में मदुरई के एक देवी-भक्त ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। सोलहवीं शताब्दी में दक्षिणी भाग के द्वितीय परकोटे की दीवार का निर्माण तिरुमलय सेतुपति ने करवाया था। इनकी व इनके पुत्र की मूर्ति द्वार पर भी विराजमान है। इसी शताब्दी में मदुरई के राजा विश्वनाथ नायक के एक अधीनस्थ राजा उडैयन सेतुपति कट्टत्तेश्वर ने नंदी मण्डप आदि निर्माण करवाए। 

दो देशांतर रेखा की दूरी 110 किलोमीटर होती है. इस लिहाज से पूरब-पश्चिम दिशा में मंदिरों की स्थिति में अंतर 90 से 95 किलोमीटर का पड़ेगा. सभी मंदिर का देशांतर 79 डिग्री पूर्वी ही है. आगे सिर्फ दशमलव में कुछ अंकों का अंतर है. इसलिए पूरब-पश्चिम दिशा में स्थित में अंतर है. उत्तर से दक्षिण तीन हजार किलोमीटर की दूरी को ध्यान में रखते हुए लगभग सीध है.

 


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