अद्भुत,ऐतिहासिक शिवलिंग : बाबा भुवनेश्वर नाथ

By: Dilip Kumar
7/9/2019 3:28:02 PM
नई दिल्ली

बाबा भुवनेश्वर नाथ पर जलाभिषेक करने से हर मुरादें पूरी हो जाती हैं। इस शिवलिंग की चर्चा पुराणों में है। कहा जाता है कि भगवान शंकर के भक्त महर्षि परशुराम ने स्वयं देकुली में बाबा भुवनेश्वर नाथ के शिवलिंग का स्थापना की थी। यह शिव मंदिर द्वापर काल का बना हुआ है। इसकी पुष्टि मुजफ्फरपुर के पुराने गजट से भी होती है। यह भारत में अकेला शिव लिंग है, जहां शिवलिंग के ऊपर अरधा है, शिवलिंग के ठीक ऊपर गुबद के न्यूनतम भाग में श्री यंत्र स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर जलाभिषेक के उपरांत श्री यंत्र के दर्शन से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

महर्षि परशुराम ने इसी मंदिर से एक मील उत्तर बागमती नदी के तट पर आश्रम बनाकर हजारों वर्षो तक पूजा-अर्चना की थी। उन्हीं की याद में बसा है परशुरामपुर गांव भी। आश्रम से देकुली तक भूमिगत मार्ग भी था। संभवत: महर्षि परशुराम उसी मार्ग से भगवान शंकर की पूजा करने आते थे। अब उस मार्ग को शिला खंडों से ढक कर उस पर मंदिर का निर्माण किया गया है। श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में वर्णित कथा के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान श्री राम विवाहोपरांत अयोध्या लौटते समय पिता के साथ बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव के दर्शन किए थे। भगवान शिव एवं हरि के साक्षात्कार स्थल का नाम शिवहरि अर्थात शिवहर पड़ा। जब भगवान श्री राम बारातियों के साथ लौट रहे थे तो भगवान शिव के धनुष टूटने से क्रोधित महर्षि परशुराम से उनका मुठभेड़ भी यहीं हुआ था, जिसे परशुराम लक्ष्मण संवाद के रूप में जाना जाता है।

इसी स्थल पर महर्षि परशुराम का मोहभंग हुआ था। जिसके बाद महर्षि परशुराम सब कुछ त्याग कर हिमालय चले गए थे। चूंकि महर्षि परशुराम को गहरा कोप हुआ था इसलिए उस मंदिर के बगल के गांव के नाम कोपगढ़ पड़ा। जिस स्थान पर महर्षि का मोहभंग हुआ उसका नाम मोहारी पड़ा। इस मंदिर में पुरातात्विक दृष्टि से अनेक प्रमाण हैं जो प्रांगण में रखे किले का अवशेष इसके प्राचीनता का साक्षी है। मान्यता है द्रौपद का गढ़ भी यहीं था जहां पांडवों ने अज्ञातवास किया था।

ब्रिटिश शासन काल में भारतीय पुरावशेष सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भी देकुली धाम के शिवलिंग का वर्णन है। काले पत्थर की अनियमित आकार का एक लिंग है जो एक उलका पिंड की तरह है। इसका व्यास 11 व 12 इंच है। इसका ऊपरी भाग सपाट है। यह लिंग सतह से आठ या 9 सीढ़ी नीचे है। सतयुग काल व देश का पुराना मंदिर बताया। यह मंदिर जगत जननी मां सीता की जन्म भूमि सीतामढ़ी शहर से 21 किलोमीटर पश्चिम और शिवहर जिला मुख्यालय से पांच किलो मीटर पूरब एनएच 104 के दक्षिण स्थित है।


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