श्री यज्ञती उमा महेश्वर : अनूठा,अजूबा,रहस्मयी शिव मंदिर

By: Dilip Kumar
7/25/2019 11:04:58 PM
नई दिल्ली

आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित श्री यज्ञती उमा महेश्वर मंदिर भी भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर का निर्माण वैष्णव परंपराओं के अनुसार हुआ है। यह भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण विजयनगर साम्राज्य के हरिहर-बुक्का राय ने 15वीं शताब्दी के दौरान करवाया था। इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक किवदंतियां भी जुड़ी हुईं हैं। माना जाता है कि ऋषि अगस्त्य यहां भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनाने चाहते थे, बाद में मूर्ति बनाई गई लेकिन उसकी स्थापना नहीं हो सकी क्योंकि मूर्ति की पैर की एक उंगली का नाखून टूट गया था। ऋषि काफी दुखी हुए और उन्होंने भगवान शिव का तपस्या की। बाद में ऋषि की भगवान शिव से की गई प्रार्थना के अनुसार यज्ञती उमा महेश्वर के रूप में यहां माता पार्वती विराजमान हुईं। यह मंदिर जितना अद्भुत है अपने आप में उतने ही रहस्यों को समेटे हुए है।

इस मंदिर में मौजूद नंदी महाराज की प्रतिमा लगातार रहस्यमय तरीके से विशालकाय होती जा रही है, जिसकी वजह से यह यागंती उमा महेश्वर मंदिर काफी सुर्खियों में है। नंदी को लेकर ऐसी मान्यता है कि एक दिन ऐसा आएगा जब नंदी महाराज जीवित हो उठेंगे, उनके जीवित होते ही इस संसार में महाप्रलय आएगा और इस कलयुग का अंत हो जाएगा।

20 साल में 1 इंच बढ़ती है मूर्ति

इस यागंती उमा महेश्वर मंदिर में स्थापित नंदी की मूर्ति का आकार हर 20 साल में करीब एक इंच बढ़ जाती है। इस रहस्य से पर्दा उठाने के पुरातत्व विभाग की ओर से शोध भी किया गया था। इस शोध के मुताबिक कहा जा रहा था कि इस मूर्ति को बनाने में जिस पत्थर का इस्तेमाल किया गया था उस पत्थर की प्रकृति बढऩेवाली है। इसी वजह से मूर्ति का आकार बढ़ रहा है। कहा जाता है कि इस यागंती उमा महेश्वर मंदिर में आनेवाले भक्त पहले नंदी की परिक्रमा आसानी से कर लेते थे लेकिन लगातार बढ़ते आकार के चलते अब यहां परिक्रमा करना संभव नहीं है। विशाल होते नंदी को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने वहां से एक पिलर को भी हटा दिया है।

क्या है पुष्करिणी का रहस्य ?

इस यागंती उमा महेश्वर मंदिर परिसर में एक छोटा सा तालाब है जिसे पुष्करिणी कहा जाता है। इस पुष्करिणी में लगातार नंदी के मुख से जल गिरता रहता है। लाख कोशिशों के बाद भी आज तक कोई पता नही लगा सका की पुष्करिणी में पानी कैसे आता है। ऐसी मान्यता है की ऋषि अगस्त्य ने पुष्करिणी में नहाकर ही भगवान शिव की आराधना की थी।

मंदिर से दूर भागते हैं कौवे

मंदिर परिसर में कभी भी कौवे नही आते है। ऐसी मान्यता है कि तपस्या के समय विघ्न डालने की वजह से ऋषि अगस्त ने कौवों को यह श्राप दिया था कि अब कभी भी कौवे मंदिर प्रांगण में नही आ सकेंगे। यह कहना मुश्किल है कि क्या वाकई में पत्थरों की प्रकृति की वजह से नंदी की प्रतिमा बढ़ रही है या फिर इसके पीछे कोई रहस्य है। लेकिन विशालकाय होते नंदी को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि वो दिन दूर नहीं है, जब नंदी महाराज जाग उठेंगे और कलयुग की लीला समाप्त हो जाएगी।


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