इसरो ने रीसैट2बीआर1 और 9 कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्च किया

By: Dilip Kumar
12/11/2019 4:17:10 PM
नई दिल्ली

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने दोपहर 3:25 बजे भारतीय उपग्रह रीसैट-2बीआर1 और चार अन्य देशों के 9 सैटेलाइट लॉन्च किए। यह प्रक्षेपण पीएसएलवी-सी48 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। रीसैट-2बीआर1 रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है। यह बादलों और अंधेरे में भी साफ तस्वीरें ले सकता है। अर्थ इमेजिंग कैमरे और रडार तकनीक के चलते यह मुठभेड़-घुसपैठ के वक्त सेना के लिए मददगार होगा। रीसैट-2बीआर1 और चार अन्य देशों के 9 सैटेलाइट सफलतापूर्वक अपने संबंधित कक्षा में स्थापित कर दिए गए।

रीसैट-2बीआर1 पांच साल तक काम करेगा। इससे रडार इमेजिंग कई गुना बेहतर हो जाएगी। इसमें 0.35 मीटर रिजोल्यूशन का कैमरा है, यानी यह 35 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित दो चीजों की अलग-अलग और स्पष्ट पहचान कर सकता है। यह सीमावर्ती इलाकों में आतंकी गतिविधियों और घुसपैठ पर नजर रखेगा। इससे तीनों सेनाओं और सुरक्षाबलों को मदद मिलेगी। इसका वजन 628 किलोग्राम है।

सुरक्षा एजेंसियों को 4 रीसैट की जरूरत

इसरो रीसैट सीरीज के अगले उपग्रह रीसैट-2बीआर2 की लॉन्चिंग भी इसी महीने करेगा। इसके बाद एक और सैटेलाइट लॉन्च किया जाएगा। हालांकि, इनकी तारीख अभी तय नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों को एक दिन में किसी एक स्थान पर सतत निगरानी के लिए अंतरिक्ष में कम से कम चार रीसैट की जरूरत है। किसी एनकाउंटर या घुसपैठ के समय ये चारों सैटेलाइट उपयोगी होंगे। 6 मार्च तक इसरो के 13 मिशन कतार में हैं। इनमें 6 बड़े व्हीकल के मिशन हैं, जबकि 7 सैटेलाइट मिशन हैं।

लॉन्च किए जाने वाले इजराइली उपग्रह का नाम दुचीफात-3 है। इसे इजराइल के हर्जलिया विज्ञान केंद्र और शार हनेगेव हाईस्‍कूल के 2 छात्रों ने मिलकर बनाया है। यह सिर्फ 2.3 किलोग्राम का है। यह एजुकेशनल सैटेलाइट है। इस पर लगा कैमरा अर्थ इमेजिंग के लिए इस्‍तेमाल किया जाएगा, जबकि रेडियो ट्रांसपोंडर वायु और जल प्रदूषण पर शोध करने और जंगलों पर नजर रखने के काम आएगा। इसे बनाने वाले तीनों इजरायली छात्र भी प्रक्षेपण के समय सतीश धवन केंद्र में मौजूद रहेंगे।

रीसैट-2 बीआर1 की लॉन्चिंग के बाद इसरो इस सीरीज का तीसरा रिसैट-2 बीआर 2 इसी महीने के अंत तक लाॅन्च करेगा। इसके बाद एक और सैटेलाइट लाॅन्च होगा। सुरक्षा एजेंसियों को एक दिन में किसी एक स्थान पर सतत निगरानी के लिए अंतरिक्ष में कम से कम चार रीसैट की जरूरत होगी। ऐसे में किसी एनकाउंटर या घुसपैठ के समय ये चाराें सैटेलाइट उपयाेगी हाेंगे।


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