तेज़ी से विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर भारत!

By: Dilip Kumar
3/1/2021 7:06:53 PM
फिरोज़ बख़्त अहमद

भारत एक महान देश है और उसकी यह महानता सदियों से प्रतिष्ठित है. प्राकृतिक संसाधनों, जलवायु, खान-पान, पहनावे, रहन-सहन की जैसी विविधताएं हमारे देश में हैं, वह अन्यत्र शायद ही मिले. अब भारत का लक्ष्य है विश्वगुरु बनने का और राष्ट्रों के समूह में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त करने का. इस लक्ष्य को साकार करने का प्रयास छह साल पहले शुरू हो चुका है. मध्यकाल के प्रसिद्ध फ्रांसीसी भविष्यवक्ता नास्ट्रेदमस ने सदियों पहले यह भविष्यवाणी की थी कि इक्कीसवीं सदी में भारत विश्वगुरु बनेगा क्योंकि यहां एक ईमानदार और मेहनती शासक आयेगा तथा उसे शासन का लंबा समय जनता दे सकती है. अभी तक तो यह कथन सही साबित हो रहा है. अब आते हैं मौजूदा स्थिति पर. मौजूदा भारत का काम करने का अपना खास ढंग है. भारत ने विश्व को अक्सर अचरज में डाला है. जिस प्रकार से भारत में दो स्वदेशी वैक्सीनों का निर्माण हुआ है, वह इसका एक उदाहरण है. कोरोना महामारी के शुरुआत के समय ही इन वैक्सीनों को बनाने का काम शुरू हो चुका था, जो साल बीतते-बीतते पूरा हो गया और अब टीकाकरण अभियान पूरी गति से चल रहा है. महामारी के दौरान विपक्ष सरकार की निंदा में व्यस्त था कि मोदी सरकार कुछ अन्य देशों की तरह वैक्सीन बनाने की दिशा में कोशिश नहीं कर रही है. लेकिन असल में हमारी प्रयोगशालाओं में काम हो रहा था. हम सलाम करते हैं मोदी जी को की जिस प्रकार से उन्होने कोविड-19 की आपदा से भारत को उबारा है.


चीन के विस्तारवाद को मुंहतोड़ जवाब

बीते साल चीन की आक्रामकता एक चुनौती के रूप में देश के सामने आयी, लेकिन प्रधानमंत्री की कूटनीति और सैन्य नीति ने चीन को करारा जवाब दिया है. चीन को भी समझ में आ गया है कि क्षमताओं और आकांक्षाओं से लैस यह नया भारत है. इसे डराना या दबाना आसान काम नहीं है. मैं या हमारा देश युद्ध नहीं चाहते, पर अगर ऐसी नौबत आती है, तो हमारी सेनाएं न केवल मुकाबले के लिए तैयार हैं, बल्कि उनके पास चीन को पीछे धकेलने की ताकत भी है. क्रिकेट के मैदान में नये खिलाड़ियों की भारतीय टीम ने जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया को इस खेल के हर विभाग में परास्त किया है, वह न केवल टीम, बल्कि देश के आत्मविश्वास को भी इंगित करता है. ऑस्ट्रेलिया की पिच पर और विशेष रूप से गाबा में उसकी टीम कई सालों से अजेय रही है, पर भारत ने पराजित करने में कामयाबी पायी है और इस खेल में भी उसने स्वयं को विश्व गुरु बना लिया है.

किसानों को भी राम करने के रास्ते पर सरकार

उत्कृष्ट शासनाध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री मोदी की ख्याति पूरी दुनिया में है. मुस्लिम देशों में भी उन्हें बड़े सम्मान से देखा जाता है. धर्म की दुर्भाग्यपूर्ण राजनीति ने देश का विभाजन जरूर करा दिया, लेकिन आज भी आकार में भारत बहुत बड़ा देश है. देश बड़ा है, तो यहां बहुत सारी समस्याओं का होना भी स्वाभाविक है. अभी खेती-किसानी से जुड़ी जो समस्या आई है, मुझे भरोसा है कि सरकार इसका उचित हल जल्दी ही निकाल लेगी. इसके लिए लगातार बातचीत भी चल रही है. किसानों की बेहतरी के लिए मोदी सरकार ने कई अहम कदम उठाये हैं, मगर समस्या यह है कि भोले-भाले किसानों को बहलाया, फुसलाया, बहकाया, भड़काया और भटकाया जा रहा है.

 

अतिवादी व देश विरोधी तत्वों से सचेत रहे भारत

इस संबंध में यह भी रेखांकित करना जरूरी है कि किसानों और उनके आंदोलन की आड़ में कुछ देशी व विदेशी तत्व देश को अस्थित करने या अलगाववादी भावनाएं उकसाने की कोशिश कर सकते हैं या कर रहे हैं. ऐसी कोशिशें को लेकर हमें सचेत रहना चाहिए. लेकिन इसमें चिंतित होने की बात नहीं है क्योंकि देश के पास प्रधानमंत्री मोदी जैसा नेतृत्व है, जिनके बारे में कहा जाता है कि मोदी है तो मुमकिन है! प्रधानमंत्री के पास अमित शाह जैसे कर्मठ गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसे सहयोगी है जो किसी भी तरह की अस्थिरता, अलगाववाद और आतंकवाद से निपटने में सक्षम हैं. सरकार और जनता को दिग्भ्रष्ट करने के प्रयत्न आए दिन कभी तो धर्म निरपेक्षता की आड़ में तो कभी भारत में सीoएoएo को न लागू होने देने की धम्की में तो कभी किसानों को भड़काने की आड़ में चलते रहते हैं। बहुत से विपक्षी नेता प्रधानमंत्री मोदी को कोसने से भी नहीं चूकते और उनकी तुलना सद्दाम हुसैन, गद्दाफ़ी व हिटलर से करते हैं। फिर सरकार पर हिन्दुत्व विचारधारा से राज चलाने का आरोप लगाते हैं। हिन्दुत्व को वे एक सर्व सम्मति से स्वीकृत कार्यप्रणाली न मान कर उसे धर्म विशेष मानते हैं जिससे वे मुस्लिमों के मन में दर की भावना पैदा करना चाहते हैं। भारत आजतक और आगे भी किसी विशेष धर्म की विचारधारा पर न चलकर वसुदेव कुटुंबकम और सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की विचारधारा पर चलता चला आया है, भले ही सरकार किसी भी पार्टी के हो। सभी भारतवासियों को इस प्रकार के समाज तो तोड़ने वाले तत्वों से बच कर रहना की आवश्यकता है। आज भी भारत उसी रास्ते पर चल रहा है जिसकी निशानदेही सर सैयद अहमद खान ने की थी कि भारत एक खूबसूरत दुल्हन की भांति है जिसकी दो सुंदर आँखें हिन्दू और मुस्लिम हैं। इसी विचार धारा पर भारत को पंडित जवाहरलाल नेहरू से नरेंद्र मोदी तक चलाया गया है और आगे भी चलाया जाएगा।

मुस्लिमों के लिए सही रास्ता

इस पृष्ठभूमि में हम पूरे भरोसे से कह सकते हैं कि भारतीय गणतंत्र पहके की तुलना में अधिक सुरक्षित और मजबूत है तथा उसका भविष्य उज्जवल है. चंडूखाने की राजनीति करने वाले कुछ मुस्लिम नेताओं ने इनपर ढक्कन कस रखा है जिसके कारण वे सरकार, आरoएसoएसo और भाजपा से नफरत करते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि राजनीति में कोई अछूत नहीं होता और अच्छे व्यक्ति को ही चुनना चाहिए चाहे वह किसी भी पार्टी से हो. आरoएसoएसo और भाजपा को अछूत समझना मुस्लिमों की गलती है क्योनी ये लोग अनुशासित हैं और कानून को सर्वोपरि रख राज करते हैं जिसके कारण मोडीजी को दूसरा कार्येकाल मिला है और तीसरे की ओर अग्रसर हैं। आज वैश्विक व्यवस्था में भारत अगली कतार में खड़ा है. यहां एक जरूरी निवेदन मैं मुस्लिम समुदाय से करना चाहता हूं, जिसकी जड़ों से मैं जुड़ा हूं मौका-महल के देखकर वे निर्णय लें कि किस राजनेता का साथ देना है क्योंकि पिछले 60 वर्ष से यह समुदाय कांग्रेस कोस इस प्रकार से आँखें बंद करके वोट देता चला आया है, मानो अल्लाह मियाँ ने मुस्लिमों से. यह कह दिया हो या कुरान शरीफ में लिखा हो, “ऐ मुसलमानों, कांग्रेस को वोट दो!” हालांकि मुस्लिम संप्रदाय ऐसा ही करता चला आया है मगर कांग्रेस ने उसे मात्र सत्ता का सुख भोगने हेतु वोट बैंक से अधिक कुछ नहीं समझा और उसका शोषण करती रही.

उनकी बस्तियों में बजाय स्कूल, हस्पताल, क्रीड़ांगन आदि बनाने के थाने व पुलिस चौकियाँ ही बनाईं! मुस्लिम समुदाय भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य का महत्वपूर्ण भाग है. इसे किसी के बरगलाने में नहीं आना चाहिए. समुदाय का नेता बनकर अपने स्वार्थों को साधने की टोह लगा रहे नेताओं से मुस्लिम आबादी को होशियार रहना चाहिए. हिंदुस्तान से बेहतर कोई मुल्क नहीं है इस समुदाय के लिए. हमें सरकार और उसकी नीतियों पर भरोसा रखना चाहिए तथा उसके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने की कोशिश करनी चाहिए ताकि हमारा गणतंत्र समृद्धि और विकास की ओर अग्रसर होता रहे. अंत में अपने कलम को यह लिख कर विराम देना चाहूँगा कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास जीतने वाले नरेंद्र मोदी का हाथ थाम लें, जिन्हों ने 6 जून 2016 को अपने निवास पर एक बड़ी संख्या में आए मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमा को संबोधित करते हुए मुसलमानों के लिए कहा था, “मैं हर मुस्लिम के एक हाथ में कुरान और दूसरे में कम्प्यूटर देखना चाहता हूँ!” इससे बेहतर बात मुस्लिमों के लिए क्या हो सकती है! अतः मुस्लिमों को भी चाहिए कि उनके बारे में अपनी नेगेटिव विचारधारा को पॉज़िटिव में बदलें और सरकार के साथ चलें।

मौलाना आजाद के पौत्र का अपमान क्यों ? - Why firoz bakht ahmed grandson of  Maulana Azad is humiliated in university

फिरोज बख़्त अहमद
कुलाधिपति: मानू, हैदराबाद


comments