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जैव विविधता दिवस पर विशेष आलेख : जैव विविधता सुरक्षित तो जीवन सुरक्षित

By: Dilip Kumar
5/21/2022 10:18:18 PM

पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव धारियों वनस्पतियों जीव जंतुओं में पाई जाने वाली भिन्नता ही जैव विविधता कहलाती है। हम कह सकते हैं किसी एक परितंत्र में पाए जाने वाले पादप तथा जीव जंतुओं में भिन्नता होती है जो कि एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं । किसी प्राकृतिक प्रदेश में पाए जाने वाले जानवरों तथा पेड़ पौधों की प्रजातियों में भिन्नता ही जैव विविधता कहलाती है। पृथ्वी पर सर्वाधिक जैव विविधता शून्य डिग्री रेखा, भूमध्य या विषुवत रेखा पर पाई जाती है क्योंकि यहां पर उच्च तापमान और सबसे अधिक वर्षा होती है। जब तेज या उच्च तापमान होगा तब वाष्पीकरण उच्च होगा अधिक वाप्पीकरण होने के कारण अधिक होती है जिसके कारण ही भूमध्य रेखा पर अत्यधिक जैव भिन्नता पाई जाती है। यहां पर विभिन्न प्रकार की जीव जंतुओं और पादपों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इसलिए इस क्षेत्र में सर्वाधिक जैव विविधता होती है ।सबसे कम जैव विविधता ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती है अर्थात धुर्वे प्रदेशों में जीवन दुर्लभ होता है इसलिए जीव-जंतु पेड़-पौधे कम होते हैं।

पेड़ पौधे फूल घास जीव जंतुओं में भिन्नता पाई जाती है। विश्व के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर प्रजातियां अत्यधिक संख्या में होती हैं। इन क्षेत्रों को हॉटस्पॉट या मेगा डायवर्सिटी क्षेत्र या उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहा जाता है। विश्व के लगभग 60% पेड़ पौधों जीव जंतुओं पशु पक्षियों आदि इन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं। आनुवंशिक विविधता जैसे हर मनुष्य दूसरे मनुष्य से बहुत भिन्न होता है अलग-अलग आयाम पाए जाते हैं। पेड़-पौधों पशु-पक्षियों अन्य प्राणियों की किसी प्रजाति का हर सदस्य अपनी आनुवंशिकी संरचना में दूसरे सदस्यों से बहुत भिन्न होते हैं । हर सदस्य अपनी खास विशेषता के लिए जाना जाता है । यह खास जीन को आनुवंशिकी विविधता कहते हैं। प्रजातीय विविधता से अभिप्राय पारिस्थितिकी तंत्र के पशु वृक्ष जीव जंतुओं के समुदायों की प्रजातियों में अंतर होता है प्रजातीय विविधता की दृष्टि से कुछ क्षेत्र दूसरे क्षेत्र से अधिक समृद्ध संपन्न होते हैं। यह प्राकृतिक व खेती हार दोनों ही तरह के परितंत्र में होती हैं । जैसे प्रौद्योगिकी या निजी उपयोग के लिए लगाए गए पेड़ पौधों की अपेक्षा प्राकृतिक और अप्राकृतिक और अप्रभावित उष्णकटिबंधीय वनों में प्रजातियों की संख्या काफी अधिक होती है।

वैश्विक मानव जीवन में जैव विविधता का महत्व अत्यधिक है। जैव विविधता मनुष्य के अस्तित्व के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह सभी प्राणियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है । हमारी रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भी जरूरी है। संसाधनों की प्राप्ति जैव विविधता द्वारा ही होती है । इसलिए हमारे संसार में जीवन का अस्तित्व ही तब तक है जब तक जैव विविधता बनी हुई है। जैव विविधता मानव जीवन, जीव जंतु और पादपों के जीवन का आधार है । क्योंकि जैव विविधता से अत्यधिक उत्पादन की प्राप्ति होती है अत्यधिक कच्चे माल की प्राप्ति होती है अत्यधिक आयुर्वेदिक दवाइयों की प्राप्ति होती है तथा इमारती लकड़ी भी जैव विविधता से ही प्राप्त होती है। जीवन का आरंभ कैसे हुआ क्यों हुआ किन कारणों से हुआ तथा जीवन का वर्तमान कैसा रहेगा भविष्य कैसा होगा? यह सब जैव विविधता के विषय में वैज्ञानिकों की खोज चल रही है।  परितंत्र को कायम रखने में प्रत्येक प्रजाति की अहम भूमिका होती है जिसका मूल्यांकन जैव विविधता के अध्ययन से किया जा सकता है।

विश्व स्तर पर आईयूसीएन अर्थात इंटरनेशनल यूनियन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ नेचर की स्थापना 5 अक्टूबर 1948 को फ्रांस में की गई जिसका उद्देश्य प्रकृति को संरक्षण प्रदान करना था किंतु 1956 में इसका नाम परिवर्तित करके आईयूसीएन अर्थात इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर कर दिया अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संघ इसका कार्य प्रकृति की रक्षा करने और उसका संरक्षण करना है । यह संकटग्रस्त प्रजातियां की खोज करती है जिनके लुप्त हो जाने का खतरा बना हुआ रहता है। आईयूसीएन विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों के बारे में रेड लिस्ट जारी करती है और दुनिया के देशों को यह दर्शाने या बताने का कार्य करती है कि अमुक जीव जंतुओं या पादपों की प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं । यह अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग अध्ययन है करती है जैसे सूभेद्य प्रजातियां वे प्रजातियां जिन्हें संरक्षित नहीं किया गया तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा रहेगा । इसी तरह दुर्लभ प्रजातियां वे है जोकि विश्व की वे प्रजातियां होती हैं जो कुछ सीमित स्थानों पर ही रह गई हैं।

भारत सरकार ने वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम 1972 पारित किया जीवमंडल आरक्षित क्षेत्रों की घोषणा की जिसके द्वारा प्रजातियों को विकास करने का अवसर मिलता है । जीव मंडल आरक्षित क्षेत्र में कोई मानव नहीं रहेगा किंतु वहां पर जीव जंतु पशु पक्षी ही रहेंगे और वे अपना अपने समुदाय का पर्याप्त मात्रा में विकास करेंगे । सरकार उनको सभी प्रकार से संरक्षण प्रदान करेगी। जैव विविधता पर खतरा मुख्य जनसंख्या वृद्धि ,प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, उच्च स्तर का प्रदूषण ,वनों का दोहन ,जीव जंतुओं पेड़ पौधों का शिकार करना ,बाढ़ आना , भूकंप का आना , इत्यादि जैव विविधता के लिए खतरा है। एक जीव दूसरे जीव पर निर्भर रहता है उसे बचाकर ही एक दूसरे जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं अर्थात पृथ्वी पर शाकाहारी मांसाहारी और सर्वाहारी जीव पाए जाते हैं। जो एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। एक दूसरे का भोजन होते हैं यदि शाकाहारी या मांसाहारी विलुप्त हो गए तो बाकी का जीवन की कल्पना करना संभव नहीं होगा इसलिए हमें मानव समुदाय को ध्यान देना होगा कि संकटा पन्ने प्रजातियों के संरक्षण के ऊपर ध्यान दिया जाए ।

लुप्त प्राय होने वाली प्रजातियों को बचाने के लिए सरकार और मानव समुदाय मिलकर ठोस प्रभावी और व्यवहारिक योजनाएं तैयार करें। खाद्यान्न संबंधी किस्में ,चारा संबंधी किस्में, इमारती लकड़ी की किस्में, पशुधन जीव-जंतुओं की किस्मों को संरक्षित रखना यह सरकार और मानव की जिम्मेदारी बनती है। प्रत्येक देश को वन्यजीव पौधों के आवासों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए । वन्यजीव पौधों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार नियमों के अनुरूप ही होना चाहिए । तब ही हम जैव विविधता के खतरे से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं । जब पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में जैव विविधता होगी तब ही जैव मंडल सुरक्षित होगा। जैव विविधता के खतरे से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी देशों की सरकारों को और उन में रहने वाले लोगों को सोचना होगा कि कैसे हम अपने परितंत्र को सुरक्षित रख सकते हैं ? जब हमारा परितंत्र या पर्यावरण सुरक्षित होगा तब ही जीव जंतु पादप सुरक्षित और संरक्षित होंगे।

लेखक
सत्य प्रकाश
उप प्राचार्य
डॉक्टर बी आर अंबेडकर
जन्म शताब्दी महाविद्यालय
धनसारीअलीगढ़


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