जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने बिहार के विकास को लेकर कह दी बड़ी बात

By: Dilip Kumar
2/24/2024 8:00:32 PM
पटना

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। “बिहार में भारत की विकास गाथा में योगदान देने की अपार क्षमता है। यह समय विकास के पारंपरिक दृष्टिकोण से परे सोचने और इस क्षमता को साकार करने के लिए मिशन मोड में काम करने का है। सपनों को साकार करने के लिए कार्य संस्कृति में बदलाव किया जाना चाहिए। इसके लिए नवाचार और इन्क्यूबेशन के माध्यम से उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है। समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए कुशल श्रम शक्ति के साथ-साथ बुनियादी ढांचे और रचनात्मक नेटवर्क में भारी निवेश की बहुत आवश्यकता है। इस संदर्भ में, प्रशासन, बुद्धिजीवियों और उद्योग जगत के बीच बेहतर समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है। विचारों और रणनीतियों का तरल नेटवर्क एक विकसित और मजबूत बिहार का मार्ग प्रशस्त करेगा। जीटीआरआई (ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव) एक बेहद महत्वपूर्ण मंच है जो राज्य के अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करने के अलावा राज्य के सर्वांगीण विकास हेतु प्रभावी रणनीति बनाने और सुविधा प्रदान करने के लिए भारत और दुनिया भर में फैले बिहारी प्रवासियों को एकजुट कर रहा है। मैं जीटीआरआई को उसके प्रयासों में सफलता की शुभकामनाएं देता हूं।''

उक्त बातें जीटीआरआई के चौथे संस्करण के उद्घाटन दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहीं। कार्यक्रम के दौरान, महामहिम उपराज्यपाल द्वारा ‘बिहार डिस्कोर्स जर्नल’ का पहला संस्करण और कवि-राजनयिक अभय के द्वारा अनुदित मगही उपन्यास 'फूल बहादुर' के अंग्रेज़ी संस्करण का विमोचन किया गया। पटना में आयोजित जीटीआरआई 4.0 के दो दिवसीय सम्मेलन में जीवन के हर क्षेत्र से सफल व्यक्तियों की भागीदारी देखी गई। इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने वाले हाई प्रोफाइल गणमान्य व्यक्तियों में भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय सिंह, डॉ. एस. सिद्धार्थ, बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, डॉ. एन. विजया लक्ष्मी, प्रधान सचिव, पशु और मत्स्य संसाधन, बिहार सरकार समेत कई बिजनेस और स्टार्टअप टाइकून शामिल थे।

जीटीआरआई क्यूरेटर अदिति नंदन ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। आयोजन के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह मंच बिहार के साथ-साथ बिहारी मूल के सफल व प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा विकसित और समृद्ध बिहार के सपने को साकार करने की दिशा में मिलजुल कर काम करने के लिए स्थापित किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में बिहार की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर विचार करने के लिए विभिन्न सत्र आयोजित किए गए, जिसमें विशेषज्ञों ने प्रमुख मुद्दों पर विचार-मंथन किया। दो दिनों के दौरान विविध विषयों पर हुई चर्चाओं से मिली व्यावहारिक सीख के आधार पर भविष्य की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

'बिहार: धारणा बनाम वास्तविकता' विषय पर आधारित एक सत्र में भाग लेते हुए, भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय सिंह ने कहा कि बिहार बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अधिकारी पैदा करने के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन दुर्भाग्यवश, हम अजीम प्रेमजी और एन आर नारायण मूर्ति जैसे उद्योगपति या बिजनेस टाइकून पैदा करने में सक्षम नहीं हैं। बुनियादी ढांचे का विकास समग्र विकास की कुंजी है। इस दिशा में राज्य के राजनीतिक नेतृत्व को आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है ताकि निवेश आकर्षित करने के लिए निवेशकों की धारणा बदली जा सके। साथ ही, उन्हें गंभीरता से सोचना चाहिए कि प्रवासी भारतीयों की क्षमता का यथोचित दोहन कैसे किया जाए। इस संदर्भ में जीटीआरआई एक महत्वपूर्ण मंच के तौर पर उभरा है।

मुख्यमंत्री बिहार के निजी सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार के बारे में किसी भी तरह कि नकारात्मक धारणा मुख्य रूप से बाहरी लोग ही बनाते हैं, न कि राज्य के मूल निवासी। हमें यह ध्यान में रखना होगा कि राज्य के बाहर के उद्योग-धंधे बिहार के श्रमिकों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। बिहार एक लैंडलॉक्ड राज्य है और हमारा आधार भी इतना व्यापक नहीं है, इसलिए हमारे विकास का आयाम उतना व्यापक नहीं है। हालाँकि, पिछले एक दशक में हमने काफी प्रगति की है। गहन विचार-विमर्श और अन्य राज्यों की योजनाओं के तुलनात्मक अध्ययन के बाद राज्य की औद्योगिक नीति तैयार की गयी है। वर्त्तमान में आईटी और पर्यटन राज्य सरकार का फोकस सेक्टर है। साथ ही, हम बिहार उद्यमी योजना के तहत स्टार्टअप और लघु उद्यमों को निरंतर बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे पूरे बिहार में लगभग 94 लाख परिवारों को लाभ मिलने की उम्मीद है। यह देखते हुए कि बिहार में सबसे मजबूत सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी है, हम इस क्षमता का दोहन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमें तथ्यों और आंकड़ों की बज़ाए कल्पना आधारित इस धारणा को खत्म करने की आवश्यकता है।

‘बिहार एक आकर्षक निवेश गंतव्य क्यों नहीं है’ विषय पर चर्चा करते हुए डॉ. एन. विजया लक्ष्मी, प्रधान सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन, बिहार सरकार ने कहा कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, इस दृष्टिकोण को व्यापार आधारित संस्कृति द्वारा प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है। हर बिहारवासी को बिहार का ब्रांड एंबेसडर की भूमिका निभानी चाहिए। पूरे बिहार में इतिहास और परंपराएं बिखरी पड़ी हैं जिनका हमें समुचित तरीके से प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। बिहार में शीर्ष व्यवसायियों को आकर्षित करने के लिए पांच सितारा होटलों के निर्माण पर ज़ोर देना होगा। साथ ही, विभिन्न क्षेत्र के सफल एवं प्रभावशाली लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ सोशल मीडिया सहित सभी मीडिया प्लेटफार्मों को बिहार में निवेश को बढ़ावा देने की मुहीम में शामिल किया जाना चाहिए।


comments