त्याग, समर्पण और वीरता के मूल्यों से ही ‘अखण्ड भारत’ का होगा निर्माण : डॉ. जितेन्द्र सिंह
By: Dilip Kumar
7/29/2025 7:58:52 PM
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम समिति, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं जम्मू और कश्मीर पीपल्स फोरम के संयुक्त तत्वावधान में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हॉल में 'एक भारत श्रेष्ठ भारत अखंड भारत' विषयक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. जितेन्द्र सिंह, राज्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत और भी आगे बढ़कर शांति की कीमत चुकाने में नहीं, शांतिभंग करने वालों से कीमत वसूलने में विश्वास रखता है। ऑपरेशन सिन्दूर ने भारत की छवि को सैन्य और कूटनीतिक दोनों ही स्तरों पर बदल कर रख दिया है। पहले भारत रिएक्टिव था, आज भारत न सिर्फ़ एक्टिव है बल्कि प्रोएक्टिव भी है। आपने अखंड भारत पर चर्चा करते हुए कहा कि यह कोई नारा नहीं है, बल्कि 'अखंड भारत' वास्तव में भारत के विचार में ही निहित है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई अनछुए पहलुओं पर चर्चा करते हुए यह प्रश्न किया कि आखिर कांग्रेस को आजादी की मांग करने में 1931 के लाहौर अधिवेशन का इंतजार क्यों करना पड़ा? उन्होंने जोर देकर कहा कि ' भगत सिंह के बलिदान ने देश भर को जागृत कर किया, और आजादी की मांग जब देश के प्रत्येक घर से उठनी शुरू हुई तो कांग्रेस को भी यह याद आया। उन्होंने कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय हितों की अवहेलना पर प्रश्न खड़ा करते हुए बताया कि यदि 1947 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु ने एकतरफा संघर्षविराम नहीं किया होता, तो पीओके आज भारत का हिस्सा होता और पीओके से संबंधित कोई समस्या ही नहीं होती। उन्होंने कहा कि हम वीर सावरकर के प्रति कांग्रेस द्वारा चलाए गए नैरेटिव के शिकार बने, क्योंकि कहीं न कहीं हम उस झूठे नैरेटिव का खंडन नहीं कर पाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कारगिल विजय दिवस मनाने की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए कहा कि यह दिन भारत के सैनिकों के शौर्य,त्याग और पराक्रम को याद करने का दिन है। प्रो. सिंह ने कारगिल विजय के नायकों कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर राजेश सिंह आदि बलिदानियों को श्रद्दांजलि देने के अलावा तासी नामग्या नामक चरवाहे का भी जिक्र किया कि कैसे उसने पाकिस्तान के घुसपैठ को समझा और सैन्य बलों को इस खतरे से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन विजय से ऑपरेशन सिन्दूर तक भारत में गुणात्मक बदलाव हुए हैं। आज भारत प्रतिकार करने में देर नहीं लगाता। यह बदलता हुआ भारत है, जो पहलगाम का बदला 22 मिनट में लेता है और सिंधु जल समझौते को स्थगित करने की ताकत रखता है।
कार्यक्रम के संयोजक और मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम समिति, दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. निरंजन कुमार ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि 'एक भारत श्रेष्ठ भारत अखंड भारत' विषयक यह कार्यक्रम न केवल राष्ट्र की एकता एवं अखंडता को अटूट रखने का उद्घोष है बल्कि अखंड भारत के स्वप्न को दोहराने का संकल्प भी है। आज हमारे युवा देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लें। जम्मू और कश्मीर पीपल्स फ़ोरम के अध्यक्ष महेंद्र मेहता ने 1947 के विभाजन और 1990 के कश्मीर पलायन पर चर्चा करते हुए कहा कि अपनी माटी छोड़कर जान बचाने को विवश समुदाय को न्यायालय द्वारा भी समुचित रूप से न्याय नहीं मिल पा रहा है।
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर बृजेश पाण्डेय (से.नि.) ने कहा कि ‘एक भारत’ का सूत्र ऋग्वेद से निकला है। भारत माँ का जयघोष ही सैनिक के जीवन का मूल मंत्र है, इस जयघोष से सैनिक के ख़ून में इज़ाफ़ा होता है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी उच्च पदाधिकारियों सहित विभागाध्यक्ष, प्राचार्य, संकाय सदस्य, शिक्षक, शोधार्थी, छात्र और समाज के अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे, कार्यक्रम का संचालन डॉ. शोभना सिन्हा ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अनिल कुमार ने किया।