दास्तान-ए-गुरू दत्त : सिनेमा जगत के दिग्गजों को संगीतमय श्रद्धांजलि
By: Dilip Kumar
9/30/2025 2:02:21 PM
कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। दास्तान-ए-गुरू दत्त सिनेमा जगत के दिग्गजों के लिए संगीतमय श्रद्धांजली है- न सिर्फ फिल्मी रीलों के माध्यम से बल्कि सदियों पुरानी कहानी सुनाने की परम्पराओं के माध्यम से भी, जो उनकी जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में दांस्तांगोई के रूप में दी गई है। यह एक श्रद्धांजली है जो उनकी चिरस्थायी विरासत को याद करती है, पारम्परिक श्रद्धांजली के बजाए दास्तान-ए-गुरू दत्त दर्शकों को उनकी दुनिया का अनुभव पाने का अवसर देती है, मानो वे कविता की लय, संगीत की धुन और कहानी के शब्दों में फिर से जीवंत हो उठते हैं।
इस दास्तान को भारत की पहली महिला दास्तांगो- मिस फॉज़िया दास्तांगो द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिन्हें कई मनमोहक प्र्रस्तुतियों- विशेष रूप से मीना कुमारी, मधु बाला, कृष्णा एवं राम पर उनकी प्रस्तुतियों के लिए जाना जाता है। उनका स्टोरीटैलिंग का अनूठा तरीका है, जिसमें कहानी के साथ गीतों का संयोजन भी खूबसूरती से पेश किया जाता है, जिसे वे स्वयं रचित या फिल्मी गीतों के साथ सहजता से मिश्रित करती हैं। इन गीतों को मुंबई की भावपूर्ण गायिका लतिका जैन द्वारा गाया जाएगा। सिनेमाज़ी की संस्थापक मिस आशा बत्रा ने दास्तान-ए-गुरू दत्त पर शोध किया है, जो भारतीय सिनेता का निजी डिजिटल आर्काइव एवं रीसर्च सेंटर है। स्क्रिप्ट की योजना अब्बास कामर ने बनाई है।
कार्यक्रम का विवरण
शो का विषयः दास्तान-ए-गुरू दत्त (सिनेमा जगत के दिग्गजों का संगीतमय श्रद्धांजली)
दिनांकः 11 अक्टूबर 2025
समयः शाम 6 से 8 बजे
स्थानः कामिनी ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
प्रोड्युसर्स के बारे में
कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के जालान परिवार द्वारा किया जा रहा है, जो लम्बे समय से संगीत, कला एवं संस्कृति के संरक्षक हैं। यह उनकी पहली दांस्तांगोई प्रस्तुति है। श्रीमति रूपाली और श्री विकास जालान गुरू दत्त की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में यह प्रस्तुति लेकर आए हैं। गुरू दत्त जैसे खूबसूरत रहस्य के प्रति उनके मन में अपार प्रेम है।
यह दास्तांगोई की खूबसूरत अनूठी अवधारणा को जीवंत रखने और युवा पीढ़ी को इससे परिचित करने का एक प्रयास है।
फॉज़िया दास्तांगो के बारे में
भारत की पहली महिला दास्तांगोई कलाकार के रूप में सम्मानित फॉज़िया पिछले दो दशकों से दर्शकों को लुभा रही हैं। उन्होंने न सिर्फ पुरूष प्रधान स्टोरीटैलिंग के क्षेत्र में प्रवेश किया है, बल्कि 13वीं सदी की लुप्त हो रही मौखिक उर्दु स्टोरीटैलिंग- दास्तांगोई को देश में फिर से जीवंत करने के लिए हर दिन प्रयास भी किया है। फॉज़िया देश-विदेश में 500 से अधिक शो कर चुकी हैं। शुरूआत में उन्होंने अपनी आवाज़ और अपनी कहानियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। फिर उन्होंने मानवीय भावनाओं की जटिलताओं को व्यक्त करने में महारत हासिल की।
वे अशरफ सुबाही देहेल्वी, इस्मत चुगताई, इंतिज़ार हुसैन जैसे जाने-माने लेखकों की कहानियों को श्रोताओं के समक्ष लेकर आई हैं। ये कहानियां बच्चों, युवाओं और बुजु़र्गों सभी का दिल छू लेती हैं। उनकी प्रस्तुतियों में शामिल हैं- पुरानी दिल्ली की गलियों से घुम्मी कबीबी की दास्तान; इस्मत चुगताई की नन्ही की नानी जैसी संवेदनशील कहानी। मानसिक स्वास्थ्य से लेकर सामुदायिक सद्भाव और नारीवाद तक, फॉज़िया ने अपनी कहानियों के साथ दर्शकों को प्रभावित कर इस कला में महारत हासिल कर ली है।