भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत: डोकलाम से 100 मीटर पीछे हटने को चीनी सैनिक सशर्त तैयार
By: Dilip Kumar
8/11/2017 12:16:18 AM
डोकलाम विवाद पर भारत और चीन के बीच तनातनी बरकरार है। इस बीच चीनी मीडिया अपनी रिपोर्ट और संपादकीय आलेखों के जरिए आग में घी डालने का काम कर रही है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने तो भारत को युद्ध की चेतावनी तक दे दी है जबकि असलियत में ग्राउंड जीरो पर चीनी सैनिक 100 मीटर पीछे हटने पर सहमत हो गए हैं। कहा जाता है कि चीनी सेना ने भारतीय सेना के कहने के बाद ही इस पर सहमति जताई है। भारतीय सेना ने चीनी सेना से डोकलाम से 250 मीटर पीछे जाने को कहा था।
इंडिया टुडे के मुताबिक, चीन की तरफ से कहा गया है कि उनकी सेना विवादित स्थल से 100 मीटर पीछे हटने को तैयार है लेकिन भारतीय सेना को भी पूर्व स्थिति पर लौटना होगा। इस संवाद और सहमति का सीधा सा मतलब इतना है कि डोकलाम विवाद से दोनों ही देश सम्मानजनक विदाई चाहते हैं। इसी बीच, चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक बेनाम चीनी सैन्य अधिकारी के हवाले से लिखा है कि चीनी सैनिक डोकलाम से एक कदम भी पीछे नहीं हटेंगे। यानी चीनी मीडिया अभी भी उस विवाद को हवा देने में लगी हुई है। इससे पहले भी चीनी अखबार ने भारत को लिए जंग के लिए ललकारा था।
चाईना डेली ने अपने संपादकीय में लिखा था, “दो ताकतों के बीच टकराव होने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। समय हाथ से निकलता जा रहा है।” संपादकीय में यह भी लिखा था कि भारत को जल्द ही अपने जवान क्षेत्र से हटा लेने चाहिए ताकि दोनों मुल्कों के बीच बातचीत हो सके और किसी तरह का संघर्ष न हो। ‘न्यू डेह्ली शुड कम टू इट्स सेंसिस वाइल इट हैड टाइम’, शीर्षक से प्रकाशित इस संपादकीय में और भी कई बातें लिखी गई हैं।
इधर, सीमा और महासागर मामलों के चीनी उप महानिदेशक वांग वेनेली ने कश्मीर और उत्तराखंड पर हमला करने की धमकी दी है, जहां चीन के साथ भारत की एक तिहाई सीमा पाकिस्तान और नेपाल के साथ मेल खाती है।दोनों देशों की तरफ से एक जैसी रिपोर्ट आ रही है कि चीन के (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) पीएलए ने डोकलाम गतिरोध बिंदु से करीब एक किलोमीटर दूरी पर तंबू में लगभग 300-400 सैनिकों को तैनात किया है। दूसरी ओर, भारत ने भी सूकना आधारित 33 कोर को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा है और डॉकलाम या डोका ला क्षेत्र में सैन्य सुदृढीकरण के आदेश का इंतजार करने के लिए कहा है।
भूटान के खुलकर सामने आने के बाद डोकलाम में भारत की बढ़ी मजबूती
डोकलाम में चीन के साथ गतिरोध वाले क्षेत्र को भूटान ने अपना बताया है। भूटान ने यह दावा चीन को पत्र लिखकर किया है। भूटान ने हाल में चीन द्वारा इस क्षेत्र को अपना बताए जाने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वह 29 जून को बीजिंग को लिखे पत्र पर कायम है। डोकलाम का यह क्षेत्र भूटान का है। इस तरह से खुलकर भूटान के आ जाने के बाद डोकलाम में भारत के दावे को नया बल मिल गया है।
उच्चपदस्थ सूत्र बताते हैं कि नई दिल्ली ने इसे केन्द्र में रखकर कूटनीतिक पहल को तेज कर दिया है।
भारत का साफ कहना है कि अब चीन भी विवाद का निपटारा होने तक अपनी सेना को पीछे (16 जून से पहले) ले जाने की पहल करे। ऐसा माना जा रहा है कि भारत ने चीन के साथ इस विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक प्रयासों के साथ-साथ राजनीतिक स्तर पर होने वाले प्रयास को भी तेज कर दिया है। नई दिल्ली के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि यदि सबकुछ ठीक रहा तो दो सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चीन यात्रा पर जाने से पहले इस गतिरोध का समाधान निकल आएगा। प्रधानमंत्री चीन के श्यामोन शहर में आयोजित ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका ) देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं। यह सम्मेलन 31 अगस्त से 4 सितंबर तक चीन में होगा।
हर चुनौती से निबटने की तैयारी में है भारत
रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार डोकलाम को लेकर चीन से लगातार मिल रही युद्ध की धमकियों को देखते हुए भारत ने हर चुनौती से निबटने की तैयारी की है। बताते हैं कि सेना 33 वीं कोर से तोपखाना डिवीजन को सिक्किम और डोकलाम के पीछे के क्षेत्र में तैनात करना शुरू किया है।
सीमा से करीब 15 किमी दूर पर सेना की एक ब्रिगेड संभव सहायता उपलब्ध करने के लिए तैनात है। कुछ स्थानों पर बारूदी सुंरग भी बिछी है। इसके अलावा चीन द्वारा स्थानीय स्तर की झड़प जैसी स्थिति पैदा करने की संभावना को देखते हुए आस-पास के गांवों को खाली कराने की पहल की जा रही है। ऐसा सीमा के उस पार चीन की तैयारियों तथा डोकलाम से अपनी सेना को पीछे न हटाने की कोशिश को देखते हुए किया जा रहा है।
रक्षात्मक तैयारी जरूरी
रक्षा मंत्री अरुण जेटली पहले ही संसद को आश्वस्त कर चुके हैं कि सुरक्षा बल हर चुनौती से निबटने के लिए तैयार हैं। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ मेजर जनरल(रिटा.) अशोक मेहता के अनुसार एहतियात के तौर पर सैन्य तैयारी जरूरी है। मेहता के अनुसार भारत की स्थिति काफी मजबूत है। हालांकि मेजर जनरल का कहना है कि भारत चीन के बीच डोकलाम को लेकर किसी युद्ध की संभावना नहीं है। बहुत हुआ तो चीन स्थानीय स्तर की सैन्य झड़प जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। लेकिन यह संदेश भी देना जरूरी है कि हम चीन की धमकियों से नहीं डरते। किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। इसलिए रक्षात्मक तैयारी जरूरी है।
भारत को कमजोर न समझे चीन
मेजर जनरल के अनुसार भारत को कमजोर समझना चीन की भूल होगी। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ का कहना है कि कल के लिए यदि डोकलाम को लेकर चीन की फौज आक्रामक होती है तो भारत चुनौती का भरपूर जवाब देने में सक्षम है। मेहता के मुताबिक रणनीतिक तैयारी के तहत भारत ने लगातार रक्षात्मक और नॉन कॉम्बैट मोड में डोकलाम में सैनिकों को रखा है। ऐसे में यदि चीन हमला करता है तो उसे रक्षात्मक भारत की सैन्य क्षमता का पांच-छह गुना अधिक तैयारी के साथ आगे बढऩा होगा। क्योंकि भारत न केवल रक्षात्मक मोड में है बल्कि भारतीय सैन्य चौकियां और सीमा ऊंचाई पर है। भारत के सैन्य तैनाती क्षेत्र से चुम्बी वैली, डोकलाम साफ दिखता है। इसलिए इधर से सुरक्षा करना काफी आसान है। दूसरे भारतीय सेना को कई युद्ध के अनुभव हैं, जबकि चीन इस मामले में बहुत पीछे हैं।
नहीं होगा युद्ध
मेजर जनरल मेहता का कहना है कि भारत के साथ टकराव की दशा में नफा और नुकसान को चीन भी समझता है। हवाई और लड़ाकू विमानों से हमले की दशा में भी चीन को हमसे कई गुणा अधिक संसाधन की जरूरत पड़ेगी। इसलिए डोकलाम को लेकर चीन के साथ स्थानीय स्तर पर सैन्य झड़प भले हो जाए, लेकिन युद्ध की संभावना काफी क्षीण है।