18570 फीट की ऊंचाई पर विराजमान हैं श्रीखंड महादेव
By: Dilip Kumar
7/18/2019 8:28:18 PM
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पंच कैलाश की यात्रा का काफी महत्व है। इन पंच कैलाश में भगवान शिव के पांच तीर्थ किन्नर कैलाश, मणिमहेश, कैलाश पर्वत, आदि कैलाश और श्रीखंड महादेव शामिल हैं। इनमें से हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है। श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है।
क्या है पौराणिक महत्व
श्री खंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।
भोले शंकर लेते हैं कड़ी परीक्षा
यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के आनी में है। दुनिया की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्राओं में शामिल होने के बावजूद श्रीखंड यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यात्रा में पहुंचते हैं। कुल्लू के निरमंड से श्रीखंड यात्रा के लिए 25 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई भोले के भक्तों के लिए किसी अग्निीपरीक्षा से कम नहीं होती है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है। उसके बाद किसी का नंबर आता है तो वो है अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है।
अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट की ऊंचाई पर चढऩा होता है। श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
ये दिक्कतें आती हैं
18 हजार 370 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पड़ती है। वहीं, रास्ता भी खतरनाक है। मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं रहती है। मौसम खराब रहता है। बर्फीला रास्ता है।
पंजीकरण फीस 100 रुपए
श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए इस बार पंजीकरण फीस बढ़ाकर 100 रुपए की गई है। यात्री पंजीकृत मेडिकल संस्थान से अपना स्वास्थ्य फिटनेस प्रमाणपत्र ला सकते हैं। बिना फिटनेस के श्रद्धालु यात्रा में भाग नहीं ले सकता। बिना पंजीकृत यात्री को सुविधाएं नहीं श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए हर श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य है। यदि कोई बिना पंजीकरण के जाता है तो वो ट्रस्ट द्वारा दी जा रही तमाम सुविधाओं से वंचित रहेगा और उस श्रद्धालु की अपनी जिम्मेदारी होगी। यात्रा के पड़ाव यहां की यात्रा जुलाई में प्रारंभ होती है जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है। सिंहगाड, थाचड़ू, भीमडवारी और पार्वतीबाग में कैंप स्थापित हैं। यात्रा के तीन पड़ाव हैं। सिंहगाड़, थाचड़ू, और भीम डवार है।
श्रीखंड के आसपास घूमने की जगह
देवदांक -देवदांक वही गुफा है, जहां भस्मामुर भस्मा कंगन के साथ उनका पीछा कर रहा था, लेकिन महादेव इस गुफा से कहीं गायब हो गये।
थचरु - सिंघ जौ गांव से लगभग 11 किमी (यात्रा यहाँ से शुरू होती है) और यहां स्थित मंदिर वन देवता या जंगल को समप्रित है। विकास खण्ड द्वारा स्थापित थचरु में तीर्थयात्रियों के लिए एक आराम स्थान भी है।
नैनी सरोवर : यह एक प्राकृतिक जलाशय है, जो सर्दियों के दौरान पूरी तरह जम जाता है। कहा जाता है कि,यह जलाशय मां पार्वती के आंसू से बना हुआ है..भक्त यहां आकर इस पवित्र जलाशय में डुबकी लगाते हैं साथ ही इस जल को अपने साथ ले जाते है।
भीम शीला - बड़े आकार के पत्थर श्रीखंड महादेव पीक और नैन सरोवर झील के बीच स्थित हैं। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, पांडवों के भाई भीम ने यहां एक सीढ़ी का निर्माण किया था जोकि स्वर्ग की ओर जाती है।
श्रीखंड महादेव तक कैसे पहुंचे
आप रामपुर बुशहर(शिमला से 130 कि0 मी0) से 35 कि0 मी0 की दूरी पर बागीपुल या अरसू सड़क मार्ग से पहुँच सकते है श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावोंमें माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं। बागीपुल से 7 कि0 मी0 दूरी पर जाँव गाँव तक गाड़ी से पंहुचा जा सकता है जाँव से आगे की 25 किलोमीटर की सीधी चढाई पैदल यात्रा शुरू होती है।
वायु से - श्रीखंड महादेव का निकटतम हवाई अड्डा जुबर्हट्टी, शिमला में है। यहां से पर्यटक बस द्वारा कुल्लू पहुंच सकते हैं..जिसके बाद आगे की यात्रा शुरू होती है।
रेल द्वारा - श्रीखंड महादेव का निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला में है। फिर वहां से आपको सड़क से जाना होगा