वियतनाम में एक मंदिर की खुदाई के दौरान मिला 1100 साल पुराना शिवलिंग
By: Dilip Kumar
5/27/2020 6:48:24 PM
साउथ ईस्ट एशिया का छोटा-सा खूबसूरत और शांत देश है-वियतनाम। वियतनाम और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध काफी पुराने हैं। यहां चौथी से लेकर 13वीं शताब्दी तक की बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के जुड़ी कलाकृतियां पहले भी मिलती रही हैं। हाल में वियतनाम में बलुआ पत्थर का विशाल शिवलिंग खुदाई में मिला है। इस शिवलिंग के मिलने की जानकारी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर तस्वीरों के साथ शेयर की हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को गत बुधवार एक संरक्षण परियोजना की खुदाई के दौरान 9वीं शताब्दी का शिवलिंग मिला है। यह शिवलिंग बलुआ पत्थर का है और इसे किसी तरह की हानि नहीं पहुंची है। यह शिवलिंग वियतनाम के माई सोन मंदिर परिसर की खुदाई के दौरान एएसआई को मिला है। इस खोज पर एएसआई की प्रशंसा करते हुए, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा कि 9वीं शताब्दी का अखंड बलुआ पत्थर शिवलिंग वियतनाम के मई सन मंदिर परिसर में जारी संरक्षण परियोजना की नवीनतम खोज है। एएसआई की टीम को बधाई ।’
विदेश मंत्री ने खुदाई की तस्वीरें ट्वीट कर 2011 में इस अभयारण्य की अपनी यात्रा को भी याद किया। अपने एक अन्य ट्विट में उन्होंने इस खोज को भारत की विकास साझेदारी का एक महान सांस्कृतिक उदाहरण बताया। बता दें कि इस मंदिर परिसर से पहले भी कई मूर्तियां और कलाकृतियां मिली हैं, जिनमें भगवान राम और सीता की शादी की कलाकृति और नक्काशीदार शिवलिंग प्रमुख हैं।
वियतनाम स्थित ‘माई सन मंदिर’ पर हिन्दू प्रभाव है और यहां कृष्ण, विष्णु तथा शिव की मूर्तियां हैं। यह परित्यक्त और आंशिक रूप से ध्वस्त हिन्दू मंदिर हैं। इनका निर्माण चंपा के राजाओं ने चौथी से 14वीं शताब्दी के बीच कराया था। मंदिर परिसर मध्य वियतनाम के क्वांग नाम प्रांत के दुय फू गांव के पास स्थित है। मंदिर परिसर करीब दो किलोमीटर लंबी-चौड़ी घाटी में स्थित है जो दो पहाड़ों से घिरा हुआ है।
वियतनाम का चंपा क्षेत्र प्राचीन काल में हिंदू राज्य और हिंदू धर्म का गढ़ था। यहां स्थानीय समुदाय चम का शासन दूसरी शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक रहा था। चम समुदाय में ज्यादातर लोग हिंदू थे, लेकिन आगे चलकर इस समुदाय के कई लोगों ने बौद्ध और इस्लाम धर्म को अपना लिया। वियतनाम वॉर के दौरान एक सप्ताह में ही अमेरिका की बमबारी ने इस परिसर को बड़े पैमाने पर नुकासन पहुंचा था। इस दौरान यह मंदिर परिसर लगभग तबाह हो गया था।